आतुर सुलझाने को
उलझा धागा
वह जागा
उठकर भागा,
सूरज से टकराया
चकराया, गश खाया
जीवन को दे डाला
जीवन का वास्ता
रास्ते पर वह
या उसके अंदर रास्ता?
दो पल के सुकून के लाले
खोले उसने सात ताले,
तिलिस्मी मंजर
मकडी के जाले,
गुंजायमान अट्टहास
कृत्रिम अनुबंध,
रिश्तो की अस्थिया
लोहबानी गंध,
खुद ही से मिलने पर
सख्त प्रतिबंध
सुलझाया कम
ज्यादा उलझाया
सांझ ढले
लहुलुहान वह
फिर वही लौट आया.
चित्र साभार : Google