Sunday, May 5, 2019

स्तुत्य हौसला

जमीन से कुछ उठाकर  
यह परिंदा 
पंख फैलाकर उड़ रहा है
सच तो यह है कि
इस तरह वह
अपने जमीन से जुड़ रहा है
जो ज़मीन से जुड़ता नहीं है
वह ऊँचाई पर उड़ता नहीं है
स्तुत्य है इसका श्रम
परखना हो तो परखो
इसका हौसला
तिनका-तिनका जोडकर
बना रक्खा है इसने
खूबसूरत एक घोसला
जहाँ इसके बच्चे
चीत्कार कर रहे हैं
और बेसब्री से इसका
इन्तेजार कर रहे हैं
देखो,
अब यह अपने घोसले की ओर
मुड रहा है
और इसका पंख 
धीरे धीरे सिकुड़ रहा है 
सच तो यह है कि
इस तरह वह
अपने जमीन से जुड़ रहा है

5 comments:

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को विश्व हास्य दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/05/2019 की बुलेटिन, " विश्व हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

M VERMA said...

धन्यवाद

M VERMA said...

धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....