जमीन से कुछ
उठाकर
यह
परिंदा
पंख
फैलाकर उड़ रहा है
सच
तो यह है कि
इस
तरह वह
अपने
जमीन से जुड़ रहा है
जो ज़मीन से जुड़ता नहीं है
वह ऊँचाई पर उड़ता नहीं है
जो ज़मीन से जुड़ता नहीं है
वह ऊँचाई पर उड़ता नहीं है
स्तुत्य
है इसका श्रम
परखना
हो तो परखो
इसका
हौसला
तिनका-तिनका
जोडकर
बना
रक्खा है इसने
खूबसूरत
एक घोसला
जहाँ
इसके बच्चे
चीत्कार
कर रहे हैं
और
बेसब्री से इसका
इन्तेजार
कर रहे हैं
देखो,
अब
यह अपने घोसले की ओर
मुड रहा है
और इसका पंख
धीरे धीरे सिकुड़ रहा है
सच
तो यह है कि
इस
तरह वह
अपने
जमीन से जुड़ रहा है
5 comments:
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को विश्व हास्य दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/05/2019 की बुलेटिन, " विश्व हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद
धन्यवाद
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
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