सोमवार, 21 जून 2010

कल ही दाह संस्कार किया गया उसका ~~



तकरीबन हर रोज़ उसे
धूल में मिलाया गया,
साजिशन
उसे जहर पिलाया गया,
उसके गले में
फन्दा डाला गया;
एनकाउंटर उसका हुआ,
कुचला गया उसको
गाड़ियों के टायरों से,
अक्सर वह घिरा मिला
स्वयंभू कायरों से,
मारा गया तो चीखा वह
चीख के कारण फिर मार पड़ी,
अट्टहास की ध्वनियों ने
उसका पीछा किया
और फाईनली कल ही तो
दाह संस्कार किया गया उसका,
उसकी राख तक
तिरोहित कर दी गयी गंगा में.
.
पर आज फिर वह
अनाहूत सा ज़िन्दा मिला,
फिर उसकी कोख में
एक अधजला परिन्दा मिला,
कोशिश जारी है
फिर से उसे मौत की घाट
उतारने की,
उसे फिर मारा जायेगा
उसे फिर जिन्दा जलाया जायेगा
उसे फिर ......
उसे फिर ......

49 टिप्‍पणियां:

Aman Peace ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता ... आम आदमी का हश्र कुछ ऐसा ही होता है

निर्मला कपिला ने कहा…

गरीब आदमी की साथ यही होता है।बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है बधाई

Smart Indian ने कहा…

मार्मिक!
एनकाउंटर से भाग पाया तो माफिया से भूना जाएगा
माओ के बच निकला तो खाप अदालत में नापा जाएगा

kshama ने कहा…

Uff ! Yah kaisa bhayawah manzar hai...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बडा बेशर्म है आम इंसान। मरता ही नहीं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत संवेदनशील रचना....प्रतिदिन यही होता है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है

दीपक 'मशाल' ने कहा…

सच्ची कविता..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पर आज फिर वह अनाहूत सा ज़िन्दा मिला,
फिर उसकी कोख में एक अधजला परिन्दा मिला, कोशिश जारी है
फिर से उसे मौत की घाट उतारने की,
--
सदियों से यही तो हो रहा है!
--
सदाबहार साहित्य स्रजन के लिए साधुवाद!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

छायावाद में बहुत कुछ व्यक्त कर गये आप । कई लोगों के लिये कई संदेश, ब्लॉग को साहित्यिक उपहार ।

vandana gupta ने कहा…

बेहद मार्मिक रचना।

रंजना ने कहा…

आपका अभिप्रेत ..."आम आदमी" है न शायद इस कविता में ??

वाणी गीत ने कहा…

महंगाई या रावण ...हर बार पहले से और अधिक बड़े ...
या फिर आम इंसान ...बार- बार मरने को अभिशप्त ..
संवेदनशील रचना ..!!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत ऊंची सोच है वर्मा जी ।
बहुत खूब।

हमारीवाणी ने कहा…

आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम



हिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!

ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।

अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
http://hamarivani.blogspot.com

shikha varshney ने कहा…

bahut sundar ,sachchi kavita

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Dil ko gaharayee tak chuu gayee apkee yah kavita.....

रचना दीक्षित ने कहा…

कितना कड़वा पर सच दिल को कुरेदता गया सोचने पर मजबूर करता गया
बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है बधाई

Razia ने कहा…

सटीक और शानदार कविता

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत सुन्दर मार्मिक कविता...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा "चर्चा मंच" पर भी है!
--
http://charchamanch.blogspot.com/2010/06/193.html

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अंकल जी, बहुत दूर की बात लिख देते हो आप अपनी कविताओं में. हमेश पापा से पढवाना पड़ता है...पर है दमदार.

________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप' जरुर देखने आयें !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आम आदमी हर रोज़ ही ऐसे मार दिया जाता है ... फिर भी आम आदमी बहुत जीवट है ... जिंदा रहता है ... अच्छी रचना है बहुत ही ...

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!

कडुवासच ने कहा…

...प्रसंशनीय रचना !!!!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

aam aadmi ki jindgi aur uski jivatTa par rachi ek sudrad kavita.

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत ही दर्दनाक अभिव्यक्ती । जो भी इस व्यवस्था के किलाफ आवाज उठायेगा एनकाउंटर में मारा जायेगा । पर एक का एनकाउंटर होगा तो फिर कोई दूसरा फिर तीसरा आता रहेगा लेकिन इक्के दुक्के से काम नही चलेगा हुजूम उठना चाहिये फिर कैसे दबायेंगे उसे फिर बदलेगी व्यवस्था ।

Jyoti ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना ... पददलित गरीब इंसान इसी तरह कुचले जाते हैं ...

शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

फिर उसकी कोख में
एक अधजला परिन्दा मिला...

क्या खूब कहा है....

Prem Farukhabadi ने कहा…

आम आदमी आम की तरह है कच्चा है तो चटनी बनायीं जाएगी और पका है तो चूसा जायेगा.बेचारा क्या करे क्या न करे. सच्चाई बयाँ करती आपकी पोस्ट सराहनीय है.

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

वर्मा जी, अत्यन्त भावपूर्ण कविता लिखी आपने इससे पहले की पोस्ट भी मुझे बहुत अच्छी लगी थी और वैसे ही यह भी..धन्यवाद वर्मा जी

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आम जन के दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति.
बहुत अच्छी कविता.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अब आपकी नई रचना का इंतजार.


***************************
'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut hi badhiya kavita .

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

बेहद मार्मिक रचना।

ZEAL ने कहा…

badhiya prastuti

बेनामी ने कहा…

क्षमताएं नष्ट हो रही हैं ! बितती हुई सदी की खूबसूरत कविता ! आभार !

Girish Billore Mukul ने कहा…

पराजय ग़रीब के हाथ ही लगती है सदा

anilpandey ने कहा…

achchha lga aapke blog pg pahunchne ke baad . kitni sahi baat kahi hai aapne .

Satish Saxena ने कहा…

बेहतरीन रचना ! शुभकामनायें भाई जी !

Renu Sharma ने कहा…

bahut khoob likha hai.

Renu Sharma ने कहा…

bahut khoob likha hai.

Parul kanani ने कहा…

man mein utar gayi!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाह.... इस बिजुका पर तो शायद किसी ने पहली बार कविता लिखी हो ......

आपकी लेखनी हमेशा अच्छा विषय पकडती है ....बहुत सुंदर ......!!

हाँ ...इस पंक्ति को पुन: देखें ......

मेरे समक्ष उगे फसलों को
फसल स्त्रीलिंग है.....

Unknown ने कहा…

marmik abhivyakti.
..badhai.

Unknown ने कहा…

marmik abhivyakti.
..badhai.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

आज आपका ब्लॉग देखा...खजाना है

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

आज आपका ब्लॉग देखा...खजाना है