रहनुमाओं की रहनुमाई का असर देखिए
उजड़ गए दरो - दीवार और घर देखिए
भला चंगा था मरीज़ मेरा, अब से पहले
हकीमी निगहबानी में गया मर देखिए
उनके हर जुमले इल्म से थे मेरे लिए
चाशनी में डूबे जुमलों का ज़हर देखिए
दरख्त देखो शाखो को तलाश रहा है
ज़ालिम इन आधियो का कहर देखिए
ज़ालिम इन आधियो का कहर देखिए
थकन के कारण मांगी थी चाँदनी मैने
सर पर मगर रख दिया दोपहर देखिए
ज़ख्मी था परिंदा पर उड़ जाता शायद
बेरहम ने कुतर दिया उसका पर देखिए
3 comments:
wah, sabhi sher umda, badhai.
thank your SWAPN ji for comment
बहुत सुन्दर गजल
पढ़ कर दिल खुश हो गया
बहुत अच्छे तेवर हैं
वीनस केसरी
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