Monday, May 18, 2009

बेरहम ने कुतर दिया ..

रहनुमाओं की रहनुमाई का असर देखिए
उजड़ गए दरो - दीवार और घर देखिए

भला चंगा था मरीज़ मेरा, अब से पहले
हकीमी निगहबानी में गया मर देखिए

उनके हर जुमले इल्म से थे मेरे लिए
चाशनी में डूबे जुमलों का ज़हर देखिए

दरख्त देखो शाखो को तलाश रहा है
ज़ालिम इन आधियो का कहर देखिए

थकन के कारण मांगी थी चाँदनी मैने
सर पर मगर रख दिया दोपहर देखिए

ज़ख्मी था परिंदा पर उड़ जाता शायद
बेरहम ने कुतर दिया उसका पर देखिए

3 comments:

Yogesh Verma Swapn said...

wah, sabhi sher umda, badhai.

M VERMA said...

thank your SWAPN ji for comment

वीनस केसरी said...

बहुत सुन्दर गजल
पढ़ कर दिल खुश हो गया
बहुत अच्छे तेवर हैं

वीनस केसरी