शनिवार, 21 मई 2011

प्रतिध्वनि ... The Echo



प्रतिध्वनित होने के लिये जरूरी है

उच्च तीव्रता युक्त ध्वनि का

किसी वस्तु से टकराव;

जरूरी है -

स्रोत ध्वनि और

टकराव बिन्दु के बीच

कोलाहल रहित एक निश्चित दूरी;

ध्वनि ऊर्जा है

जो क्रमश: बटती जाती है,

अवलोकन और सिद्धांत बताते हैं

प्रतिध्वनित ध्वनि की तीव्रता

उत्तरोत्तर घटती जाती है.

.

उस दिन

कोलाहल युक्त इस भवन में

मुझे देख तुम

सकुचाती सी खड़ी थी,

ऐसा प्रतीत हो रहा था

मानो धरती में तुम गड़ी थी,

भीड़ का दामन थाम

मैं तुम्हारे बहुत करीब हो गया था,

इतना कि

एक सहज उत्कंठित स्पर्श का

अनायास प्रादुर्भाव हुआ था,

मेरे कर्ण पटल से टकराये थे

तुम्हारे संकुचित श्वासों संग

लगभग शून्य तीव्रता युक्त

उच्चरित अस्फुट स्वर,

और फिर तमाम सिद्धांतो से परे

ये स्वर प्रतिध्वनित हुए;

प्रतिध्वनित हो रहे हैं

यही नही,

तीव्रता ह्रास की जगह

इनकी तीव्रता बढ़ रही है

कहीं यह अनुनाद तो नहीं है?

40 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

यह अनुनाद बहुत गहरा है... सुन्दर कविता...

nilesh mathur ने कहा…

बेहतरीन, एक नए अंदाज में सुन्दर रचना!

बेनामी ने कहा…

वैज्ञानिक कविता...बेहतर...

Shah Nawaz ने कहा…

वाह! कमाल का लिखा है वर्मा जी... बहुत बढ़िया...

vandana gupta ने कहा…

कमाल का चित्रण किया है।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खूब! विज्ञान और कोमल अहसासों का बहुत सुन्दर भावपूर्ण संयोजन..बहुत सुन्दर

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

तुम
निर्निमेष ताक रही थीं
फटी पोशाक में से झाँकती हुई
मेरी मांसपेशियों को।
मैंने जल्दी से
पैबंद सी दिया
और तुमने भी
अपने नक़ाब पर दूसरा नया पन्ना
चिपका लिया।
[ऋषभ देव शर्मा की कविता ‘पोथी पढी पढी’ से.... कविताकोष में ‘ताकि सनद रहे’ में उपलब्ध]

mridula pradhan ने कहा…

gazab ka likha hai....wah.

ज्योति सिंह ने कहा…

अनायास प्रादुर्भाव हुआ था,

मेरे कर्ण पटल से टकराये थे

तुम्हारे संकुचित श्वासों संग

लगभग शून्य तीव्रता युक्त

उच्चरित अस्फुट स्वर,
waah kya kahne ,bahut badhiya likha hai

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

दोनों कविता सुन्दर है ... एक वैज्ञानिक बिम्बो को इस्तमाल करती और एक भावनाओं के स्रोत को ...

Razia ने कहा…

बहुत सुन्दर ... अत्यंत रोमांटिक

Unknown ने कहा…

bahoot khoob

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गूँज तो बड़ी घटनाओं की ही होती है।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ध्वनि विज्ञान की दो घटनाओं- प्रतिध्वनि और अनुनाद को आपने कविता में प्रतीक के रूप में सुंदरता से प्रयोग किया है।
कविता के कथ्य और शिल्प में अनूठी नवीनता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मन का विज्ञान वैज्ञानिक तथ्यों से परे होता है ...सुन्दर रचना

Anupama Tripathi ने कहा…

विज्ञानं को कविता में ढाल कर सुन्दरता से मन की बात लिखी है ..!!

वाणी गीत ने कहा…

तीव्रता हवस की जगह इनकी तीव्रता का बढ़ जाना ...
मानव जीवन , भावनाएं और एहसास कब विज्ञान के नियमों को कहाँ मानते हैं ...
सुन्दर रचना !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kamaal ke bhaw hai... adbhut

सदा ने कहा…

बेहतरीन शब्‍द रचना ।

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर

Unknown ने कहा…

बेहद भावपूर्ण, अद्भुत चित्रण ,बधाई

Vivek Jain ने कहा…

सुन्दर चित्रण किया है।
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Unknown ने कहा…

बेहद भावपूर्ण, अद्भुत चित्रण ,बधाई

Unknown ने कहा…

बेहद भावपूर्ण, अद्भुत चित्रण ,बधाई

रंजना ने कहा…

वाह....

यह प्रेमानुनाद अक्षुण रहे...

Vaanbhatt ने कहा…

ये अनुनाद नहीं अनंत नाद है...एक बार जो सुन ले...जीवन भर ना भूले...बाई द वे...ये बीमारी एक बार हुई...या बार-बार हो रही है...

अनुभूति ने कहा…

विज्ञान के तथ्यों और भावों का अनूठा समन्वयन ....शुभ कामनाएं....

Urmi ने कहा…

नए अंदाज़ और सुन्दर एहसासों के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
http://seawave-babli.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कमाल का लिखा है

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बेहतरीन रचना...

Arvind Mishra ने कहा…

नयी अनुभूति और प्रस्तुति की कविता !

Jyoti Mishra ने कहा…

Beautiful.... !!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इस अनुनाद की गूँज गूँजती रहती है हमेशा ... लाजवाब रचना ...

शरद कोकास ने कहा…

विज्ञान के विषयों को कविता की विषय वस्तु बनाना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है ।

Amrita Tanmay ने कहा…

अनुनाद प्रतिध्वनित करती रचना ..सुन्दर शब्द..सुन्दर भाव .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

भीड़ का दामन थाम

मैं तुम्हारे बहुत करीब हो गया था,

इतना कि

एक सहज उत्कंठित स्पर्श का

अनायास प्रादुर्भाव हुआ था.....

:))

बधाई .....

Kunwar Kusumesh ने कहा…

चिंतनपरक कविता.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अगले चौराहे पर
पड़ी हुई एक लाश है
अब वह भागेगा उस ओर
क्योंकि
उसे खुद की तलाश है
जी हाँ !
उसे खुद की तलाश है. ....

वाह! बहुत सुन्दर लेखन...
सादर...

ranjana ने कहा…

बेहद भावपूर्ण....लाजवाब रचना ...

Pawan Kumar ने कहा…

वह गुम है,

मगर उसे

स्वयं की गुमशुदगी का

एहसास ही नहीं है.

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
यह कविता भी अच्छी बन पड़ी है.