शुक्रवार, 21 मई 2010

उँगलियॉ बेचैन हैं ज़ख्म कुरेदने वाले~~

मत करो प्रश्न
उत्तर नहीं पाओगे
और फिर निरुत्तर रहकर
ख़ुद ही पर झुंझलाओगे

प्रतिउत्तर में आएंगे
सैकड़ो प्रश्नों के जाल
और फिर तुम्हारा अस्तित्व ही
बन जाएगा एक सवाल
क्या हुआ गर प्रहरी सो गया
मत ढूढो गर तुम्हारा कुछ खो गया
बचा सको तो बचा लो
तुम्हारे पास जो कुछ बचा है
खोये को ढूढ़ते ढूढ़ते तुम
बचे को भी खो दोगे
अपने हालात पर फिर
फूट फूट कर रो दोगे

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासे की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
नमक मल देंगे वे
गर दिखलाओगे छाले
अपने ज़ख्म मत दिखलाओ
उँगलियॉ बेचैन हैं
ज़ख्म कुरेदने वालों की

जो करना है करो
पर प्रश्न मत करो
उत्तर नहीं पाओगे
और फिर निरुत्तर रहकर
ख़ुद ही पर झुंझलाओगे

41 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर, मार्मिक और सठिक रचना ! हर एक शब्द दिल को छू गयी!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासा की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.....प्रेरणाप्रद

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

उत्तम रचना...सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई ..नमस्कार चाचा जी

दिलीप ने कहा…

waah sahi kaha...zakhmo pe kahan koi marham lagata hai...kuredne waale hazaaro hai...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जो करना है करो
पर प्रश्न मत करो
उत्तर नहीं पाओगे
और फिर निरुत्तर रहकर
ख़ुद ही पर झुंझलाओगे

अरे वाह!
सवाल के साथ जवाब भी!
सुन्दर रचना!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सटीक रचना!

कडुवासच ने कहा…

...निरुत्तर ... अदभुत भाव ... सारगर्भित रचना!!!

हर्षिता ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण रचना।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासा की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
नमक मल देंगे वे
गर दिखलाओगे छाले
अपने ज़ख्म मत दिखलाओ
उँगलियॉ बेचैन हैं
ज़ख्म कुरेदने वाले

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !सच ही है कि यहाँ मानसिकता इस कदर बदल चुकी है कि किसी को तकलीफ हो तो लोगों को संवेदना के वजाय खुशी होती है ...

Razia ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासा की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
behatareen

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बचा सको तो बचा लो
तुम्हारे पास जो कुछ बचा है
खोये को ढूढ़ते ढूढ़ते तुम
बचे को भी खो दोगे
अपने हालात पर फिर
फूट फूट कर रो दोगे

वाह , क्या बात कही है ।
बढ़िया वर्मा जी ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय,
सुन अठलहियें लोग सब, बाँट न लहियें कोय ।

रहीमदास जी के बाद पहली बार यह भाव इतने सशक्त शब्दों में सुन रहा हूँ ।

rashmi ravija ने कहा…

अपने ज़ख्म मत दिखलाओ
उँगलियॉ बेचैन हैं
ज़ख्म कुरेदने वाले
बिलकुल सच...निज मन की व्यथा मन में ही रखनी ही बेहतर ....बहुत ही सुन्दर कविता

Pawan Kumar ने कहा…

तुम्हारे पास जो कुछ बचा है
खोये को ढूढ़ते ढूढ़ते तुम
बचे को भी खो दोगे
अपने हालात पर फिर
फूट फूट कर रो दोगे

कमोवेश यही सच्चाई है.......
हम सब इसी जद्दोजहद में जी रहे हैं.....बहुत सुन्दर भावों को उकेरा है आपने.....!

शारदा अरोरा ने कहा…

सुन्दर , मन जैसे खुद से बातें कर रहा हो ।

जब दिलासा की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
माफ़ कीजियेगा , वर्मा जी , इन पंक्तियों को जब दिलासे की थपथपाहट मिले ...दर्द को बयां तब करो ..होना चाहिए ..शायद ?

ज़ख्म कुरेदने वाले ..ज़ख्म कुरेदने वालों की ..शायद आप यही कहना चाहते हैं ?

varsha ने कहा…

दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
bahoot khoob dard badhta hi jata hai yoon dawa karne par.

राज भाटिय़ा ने कहा…

अति उत्तम ओर सुंदर रचना धन्यवाद

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना...

संजय भास्‍कर ने कहा…

DERI SE AANE KI MAFI CHAHTA HOON

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

बेनामी ने कहा…

क्या बात है...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना.

रामराम.

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

sartahk aur chintan ko prerit kar rahi rachna... kuch achhe vimb bhi hai... kai saare sawal chhodti kavita..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

वर्मा जी! आपका टिपणी पढकर (अलग अलग पोस्ट पर) जो आपका बारे में हम राय बनाए थे, ऊ आज आपका कबिता पढ़कर और मजबूत हो गया... वास्तविकता से भरपूर है आपका कबिता.. रहीम का दोहा याद आ गया..
रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय
सुन इठलैहैं लोग सब, बाँट न लैहैं कोय.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

बहुत भावपूर्ण है ये भी.. सच है जख्म कुरेदने को फिरती है दुनिया..

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासे की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
नमक मल देंगे वे
गर दिखलाओगे छाले
अपने ज़ख्म मत दिखलाओ
उँगलियॉ बेचैन हैं
ज़ख्म कुरेदने वालों की

aapki kavita ko maine jaane kitni baar padha..... bahut hi satik likha hai aapne.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासे की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले ..

बहुत ही लाजवाब ... सच है जब इंसान कुछ कर नही पाता खुद पर ही झुंझलाता रहता है .... सटीक ....

रंजना ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासे की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले !!!

कितना सही कहा आपने....

बहुत ही सार्थक सुन्दर मनमोहक रचना...

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

bahu hi sundar shadon ka prayoog kiy hai..

ज्योति सिंह ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासा की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले
dil ko sparsh kar gaye shabd saare ati uttam

Girish Billore Mukul ने कहा…

मर्म स्पर्शी रचना

Vinay ने कहा…

सच तो सच ही है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

लिस्ट में अभी बहुत कुछ डालना है...
_________________
'पाखी की दुनिया' में 'सपने में आई परी' !!

Shabad shabad ने कहा…

Zazbat......
Bahut achee rachna hai.
Dil ko choo lene vali.

Hadeep

Apanatva ने कहा…

pooree kavita bahut sashakt abhivykti hai ...........
jindgee aise hee chaltee rahatee hai kabhee ghisattee kabhee thamtee aur kabhee lahratee..............

Jyoti ने कहा…

जो करना है करो
पर प्रश्न मत करो
उत्तर नहीं पाओगे
और फिर निरुत्तर रहकर
ख़ुद ही पर झुंझलाओगे......
सुन्दर रचना........

वाणी गीत ने कहा…

अपने जख्म दिखाओगे तो और अकेले रह जाओगे ...!

vandana gupta ने कहा…

नमक मल देंगे वे
गर दिखलाओगे छाले
अपने ज़ख्म मत दिखलाओ
उँगलियॉ बेचैन हैं
ज़ख्म कुरेदने वालों की

कितनी गहरी बात कह दी।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

रुदन और क्रंदन तभी सार्थक हैं
जब दिलासे की थपथपाहट मिले
दर्द का बयां तब करो
जब संवेदना की आहट मिले ... per kabhi kabhi ... nahi kai baar akulahat me aahten dhokha ker jati hai , aur yah bhi yaad nahin rahta ki suni ithlaihen log sab baant na laihen koi

Unknown ने कहा…

Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!