अपनी बेगुनाही का हरपल गवाह रखिये
खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये
.
दस्तूरन ‘सच’ जब शक के दायरे में हो
हो सके तो ‘झूठ’ को गुमराह रखिये
.
बचना चाहो जो बेवजह के ‘सलाहों’ से
औरों को लिए आप भी सलाह रखिये
.
‘मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये
.
माना कि किसी को परवाह नहीं आपकी
अपनों के लिए आप तो परवाह रखिये
.
तैनात हैं हर राह पर पत्थरों की ठोकरें
इनके पैनेपन की हरपल थाह रखिये
.
देखिये उन्होंने ‘गुलाम’ की चाल चली है
इसके ऊपर आप अपना ‘बादशाह’ रखिये
28 comments:
मतला, मक्ता दोनो लाज़वाब। सुंदर गज़ल।
अपनी बेगुनाही का हरपल गवाह रखिये
खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये
...वाह!
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
नेक सलाहें देती बेहतरीन रचना !
वाह, सब अनुकरण करने वाली सीखें...
‘मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये
.
माना कि किसी को परवाह नहीं आपकी
अपनों के लिए आप तो परवाह रखिये
नेक सलाह देती अच्छी गजल
देवेन्द्र पाण्डेय has left a new comment on your post "खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये ….":
मतला, मक्ता दोनो लाज़वाब। सुंदर गज़ल।
अपनी बेगुनाही का हरपल गवाह रखिये
खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये
...वाह!
देखिये उन्होंने ‘गुलाम’ की चाल चली है
इसके ऊपर आप अपना ‘बादशाह’ रखिये
गज़ब की भावाव्यक्ति है ………………बेहद उम्दा
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी ......
वन्दना has left a new comment on your post "खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये ….":
देखिये उन्होंने ‘गुलाम’ की चाल चली है
इसके ऊपर आप अपना ‘बादशाह’ रखिये
गज़ब की भावाव्यक्ति है ………………बेहद उम्दा
आप गुलाम हैं या बादशाह हमें नहीं मालूम वर्मा साहब .....
पर ग़ज़ल बादशाह है .....:))
दस्तूरन ‘सच’ जब शक के दायरे में हो
हो सके तो ‘झूठ’ को गुमराह रखिये
.ये नसीहत बड़े काम की है .....:))
वाह सर वाह!!!!
‘मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये
एक से बढ़ कर एक शेर...
दाद कबूल करें..
सादर.
‘मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये
...waah
वाह!!!!!बर्मा जी बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर बेह्त्रीन गजल,....
MY NEW POST ...सम्बोधन...
माना कि किसी को परवाह नहीं आपकी
अपनों के लिए आप तो परवाह रखिये
बहुत खूब । बढ़िया लिखा है ।
तैनात हैं हर राह पर पत्थरों की ठोकरें
इनके पैनेपन की हरपल थाह रखिये
बेहद खूबसूरत शेरों से सजी बढि़या ग़ज़ल।
दस्तूरन ‘सच’ जब शक के दायरे में हो
हो सके तो ‘झूठ’ को गुमराह रखिये
....बहुत खूब! बहुत सटीक सलाह...
अपनी बेगुनाही का हरपल गवाह रखिये
खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये
.
दस्तूरन ‘सच’ जब शक के दायरे में हो
हो सके तो ‘झूठ’ को गुमराह रखिये
Kya baat hai!
औरों को लिए आप भी सलाह रखिये
अद्भुत! बहुत शानदार ग़ज़ल जो दिल के साथ साथ दिमाग में भी जगह बनाती है।
कमाल है सामने तो दिख जाता है खुद को ही देख नहीं पाते..कमाल लिखा है..
अपनी बेगुनाही का हरपल गवाह रखिये
खुद पर खुद ही ख़ुफ़िया निगाह रखिये
सुन्दरम मनोहरं .एक से बढ़के एक अश आर .
देखिये उन्होंने ‘गुलाम’ की चाल चली है
इसके ऊपर आप अपना ‘बादशाह’ रखिये
.......बेहतरीन !
मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये ...
बहुत खूब ... नए अंदाज़ के शेर हैं सभी ... सामाजिक सरोकार लिए ... लाजवाब बयानी करते हुवे ... बहुत बधाई ...
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बहुत खुबसूरत ग़ज़ल... वाह!
सादर बधाई...
वर्मा जी मजा आ गया।
बहुत बढ़िया,...वर्मा जी
बेहतरीन नेक राय देती अच्छी प्रस्तुति,.....
MY NEW POST...आज के नेता...
‘मौत’ की खबर आम हो इससे पहले ही
सुगबुगा कर जिंदगी की अफवाह रखिये ।
बेहतरीन ।
माना कि किसी को परवाह नहीं आपकी
अपनों के लिए आप तो परवाह रखिये,,,
बहुत ही बढ़िया बात कही मामाजी ,पूरी गज़ल प्रेरणा दायक है |
माना कि किसी को परवाह नहीं आपकी
अपनों के लिए आप तो परवाह रखिये,,,
बहुत ही बढ़िया बात कही मामाजी ,पूरी गज़ल प्रेरणा दायक है |
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