सर्दियो मे पिघलना है ~~
~~~मौसम का मिज़ाज बदलना है
सर्दियो मे हमको पिघलना हैसफर सहेज लिया है दामन में
सूरज से भी पहले निकलना है
माना 'तंज' बोये हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
बाजुओ की पतवार सलामत रहे
लहरों के खिलाफ़ फिसलना है
क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है ~~~
31 comments:
khoobsurat ehsaason kee jheel-si kavita....bahut sundar
मौसम का मिज़ाज तो जो है वो ठीक है परंतु आपके ये गीत बेमिशाल हैं..
बेहतरीन अभिव्यक्ति..धन्यवाद इस सुंदर गीत के लिए...
waaqai mein mausam ka mijaaz badla hua hai.....
बाजुओ की पतवार सलामत रहे
लहरों के खिलाफ़ फिसलना है.....
yahi to zindagi hai.....
bahut hi khoobsoorat ehsaas ke saath likhi hui ek behtareen rachna...
समझ नहीं पा रही कि क्या कहूँ.......रचना के योग्य प्रशंशा के शब्द संधान कहा जा करूँ....
लाजवाब लाजवाब लाजवाब !!!! वाह !!!
bahut sundar .happy dashhara .
सर्दियों मे हमको पिघलना है .. वाह यही तो है द्वन्द्वात्मक भौतैकवाद ,वर्मा जी
सर्दियों में पिघलना है ...
पत्थरों ने तंज बोए हैं
क्यों करूँ मैं इंतज़ार बादलों का
धूप के साये में टहलना है
बहुत खूब ....शुभकामनायें ...!!
मौसम का सुन्दर चित्रण।
बधाई!
बाजुओ की पतवार सलामत रहे
लहरों के खिलाफ़ फिसलना है.....
क्या बात है बहुत सुन्दर बधाई हो
क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है
YE PANKTI BAHUT KHOOBSURAT HAI .....
क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है...intzar to hai..badal barsenge...essi intzar me dhoop me bhi tahala jata hai.....
मौसम का मिज़ाज बदलना है
सर्दियो मे हमको पिघलना है
kya khoob khyal hain.क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है
behtreen bhavon se paripoorna rachna.
kis kis pankti ki vyakhya ki jaye............har pankti sochne ko majboor karti hai.
badhayi
बहुत खूब वर्मा जी बहुत ही बेहतरीन रचना ,,, काफी दीनो बाद आप के ब्लॉग पर आया हूँ माफ़ी चाहूंगा ,,
क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
परिस्थितियाँ कुछ भी हों
हमें उनसे सँभलने का खूब
ढ़ाँढ़स बंधाया है आपने
सचमुच एक लाज़वाब रचना ।
http://gunjanugunj.blogspot.com
माना 'तंज' बोये हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
wah verma ji, behatareen rachna ke liye badhaai sweekaren.
bhavpoorn abhivyakti,svar bhi sunder hai
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! सर्दियों में हमें पिघलना है..बहुत खूब, बेहद सुंदर !
सफर सहेज लिया है दामन में
सूरज से भी पहले निकलना है
Wah ji Wah
माना 'तंज' बोये हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
सफर सहेज लिया है दामन में
सूरज से भी पहले निकलना है
उम्दा ग़ज़ल...बेहतर...
dhoop ke saaye mein hi tahalna hai
bahut gahri baat
naseeb mein jab dhoop hai safar hai
chalna hai
jalna hai to
aisi hi sahi
bahut achcha laga
सफर सहेज लिया है दामन में
सूरज से भी पहले निकलना है
वाह!! क्या बात है...अच्छा शेर हैं
बहुत बढ़िया रचना कही है..
माना तंज बोए हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
वाह ...वाह.....उत्साह वर्द्धक इस नज़्म के लिए आभार .....!!
Encouraging one...
varma ji
deri se aane ke liye maafi chahunga
aapki kavita ke bhaav hamesha hi man ko lubhaate hai , is gazal ke saare sher ek se badhkar ek hai.. aakhri sher to shaandar hai ..
meri badhai sweekar kare..
dhanywad
vijay
www.poemofvijay.blogspot.com
क्यूँ करू मैं इंतज़ार बादलो का
धूप के साये में ही टहलना है
बहुत खूब.बधाई!!!!!!!
माना 'तंज' बोये हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
बाजुओ की पतवार सलामत रहे
लहरों के खिलाफ़ फिसलना है
अति सुन्दर
Baharon ke saye kiskee qismat the?
Panah dee dhoop ke hee sayone...!
सफर सहेज लिया है दामन में
सूरज से भी पहले निकलना है
बहुत खूब सुन्दर लिखा है आपने
बेमिशाल
माना 'तंज' बोये हैं पत्थरों ने
ठोकरों के बाद भी संभलना है
बहुत खूब सुन्दर लिखा है आपने
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