Saturday, September 26, 2009

दुकान लुटाकर जश्न मनाओ ~~~


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हर नाले में कंकाल मिलेगा
हर जिस्म पर खाल मिलेगा


सच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा

आम आदमी आतुर क्यूँ हो
तुमको तो बस सवाल मिलेगा

तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा


दुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर मॉल मिलेगा
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27 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वीभत्स रस.

विनोद कुमार पांडेय said...

तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा,

Bahut Badhiya....Sundar rachana..Badhayi!!!

सदा said...

बहुत ही लाजवाब प्रस्‍तुति, बधाई ।

Anonymous said...

कडवा यथार्थ है
बहुत खूब

abhishek..... said...

wakai bahut achi rachna hai

Razia said...

अत्यंत कटु यथार्थ की रचना
सभी शेर उत्तम

निर्मला कपिला said...

सच कहेंगे त गाल तो फूलेगा ही सच कदवा होता है सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई

Gyan Dutt Pandey said...

सही लिखा जी।

Arshia Ali said...

आज के समय का सटीक चित्रण।
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दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )

अजय कुमार झा said...

हमने तो यूं ही शुरू कर दी थी ब्लोग्गिंग,
कहां कब सोचा था, इत्ता यहां बवाल मिलेगा...

रश्मि प्रभा... said...

vartmaan sanskriti ko bakhoobi pesh kiya hai

vandana gupta said...

ek katu satya ko ujagar karti rachna.

हेमन्त कुमार said...

"सच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा ।"

यथार्थ को पचा पाने का सामर्थ्य कितनो में है ?
बहुत खूब ।
सही तरशा है ।
आभार ।

शेफाली पाण्डे said...

बहुत उम्दा.....एक हम भी जोड़ना चाहेंगे
उनको सपनों की मीठी दुनिया
हमको कड़वा यथार्थ मिलेगा ..

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा


hmmm! ek kadwi sachchai.....

रवि कुमार, रावतभाटा said...

यथार्थ की परतें खोलती एक और उम्दा ग़ज़ल...
बेहतरीन...

Anil Pusadkar said...

बहुत ही कडुवी सच्चाई सामने रख दी आपने।

मनोज भारती said...

आज के समाज का यथार्थपरक चित्रण । शब्दों की सुंदर जुगलबंदी ।

दुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर मॉल मिलेगा

मॉल संस्कृति के आ जाने से कितने ही छोटे दुकानदारों के धंधे चौपट होते जा रहें हैं ।

डा० अमर कुमार said...


क्या जानता था कि वर्मा की ज़ज़्बातों में
इतना सच्चा रूखा चोखा माल मिलेगा


अतिरँजना कहीं कुछ अधिक तो नहीं हो गयी ?

M VERMA said...

डा० अमर कुमार जी
सादर
आपने कहा है “अतिरँजना कहीं कुछ अधिक तो नहीं हो गयी ?”
विनम्र निवेदन है कि यदि हम नज़र उठाकर देखे तो यही सच्चाई है. शायद आपने “हर नाले में कंकाल मिलेगा” पंक्ति की ओर इंगित किया है. पर हम ‘निठारी कांड’ को क्यो भूल जाते है जहाँ नाले से ही सैकडो ‘नवजात’ के कंकाल बरामद हुए थे. सच कडवा है पर सच तो सच ही है.

दिगम्बर नासवा said...

सच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा..

ये तो सच है .......... सत्य बोलना आजकल एक जुर्म हो गया है .........

तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा...

बदलते समाज का चित्रण है ........... बहूत खूब लिखा है .....

Prem Farukhabadi said...

आम आदमी आतुर क्यूँ हो
तुमको तो बस सवाल मिलेगा

लाजवाब प्रस्‍तुति, बधाई!!

Urmi said...

बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Apanatva said...

sacchai ko darshatee rachana ! badhai

Amit K Sagar said...

आपकी लेखनी को सलाम! वाह! क्या लिखते हैं आप! बहुत खूब.
जारी रहें. शुभकामनाएं.

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समाज और देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए व बहस में शामिल होने के लिए भाग लीजिये व लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

दुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर माल मिलेगा
--यह शेर बहुत अच्छा लगा।

Unknown said...

Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!