दुकान लुटाकर जश्न मनाओ ~~~
******हर नाले में कंकाल मिलेगा
हर जिस्म पर खाल मिलेगासच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा
आम आदमी आतुर क्यूँ हो
तुमको तो बस सवाल मिलेगा
तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगादुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर मॉल मिलेगा
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27 comments:
वीभत्स रस.
तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा,
Bahut Badhiya....Sundar rachana..Badhayi!!!
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति, बधाई ।
कडवा यथार्थ है
बहुत खूब
wakai bahut achi rachna hai
अत्यंत कटु यथार्थ की रचना
सभी शेर उत्तम
सच कहेंगे त गाल तो फूलेगा ही सच कदवा होता है सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई
सही लिखा जी।
आज के समय का सटीक चित्रण।
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दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )
हमने तो यूं ही शुरू कर दी थी ब्लोग्गिंग,
कहां कब सोचा था, इत्ता यहां बवाल मिलेगा...
vartmaan sanskriti ko bakhoobi pesh kiya hai
ek katu satya ko ujagar karti rachna.
"सच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा ।"
यथार्थ को पचा पाने का सामर्थ्य कितनो में है ?
बहुत खूब ।
सही तरशा है ।
आभार ।
बहुत उम्दा.....एक हम भी जोड़ना चाहेंगे
उनको सपनों की मीठी दुनिया
हमको कड़वा यथार्थ मिलेगा ..
तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा
hmmm! ek kadwi sachchai.....
यथार्थ की परतें खोलती एक और उम्दा ग़ज़ल...
बेहतरीन...
बहुत ही कडुवी सच्चाई सामने रख दी आपने।
आज के समाज का यथार्थपरक चित्रण । शब्दों की सुंदर जुगलबंदी ।
दुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर मॉल मिलेगा
मॉल संस्कृति के आ जाने से कितने ही छोटे दुकानदारों के धंधे चौपट होते जा रहें हैं ।
क्या जानता था कि वर्मा की ज़ज़्बातों में
इतना सच्चा रूखा चोखा माल मिलेगा
अतिरँजना कहीं कुछ अधिक तो नहीं हो गयी ?
डा० अमर कुमार जी
सादर
आपने कहा है “अतिरँजना कहीं कुछ अधिक तो नहीं हो गयी ?”
विनम्र निवेदन है कि यदि हम नज़र उठाकर देखे तो यही सच्चाई है. शायद आपने “हर नाले में कंकाल मिलेगा” पंक्ति की ओर इंगित किया है. पर हम ‘निठारी कांड’ को क्यो भूल जाते है जहाँ नाले से ही सैकडो ‘नवजात’ के कंकाल बरामद हुए थे. सच कडवा है पर सच तो सच ही है.
सच कहना है, कहो पर तय है
कितनों का फूला गाल मिलेगा..
ये तो सच है .......... सत्य बोलना आजकल एक जुर्म हो गया है .........
तन्दूरी संस्कृति है अब तो
बहुतों का खाली थाल मिलेगा...
बदलते समाज का चित्रण है ........... बहूत खूब लिखा है .....
आम आदमी आतुर क्यूँ हो
तुमको तो बस सवाल मिलेगा
लाजवाब प्रस्तुति, बधाई!!
बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
sacchai ko darshatee rachana ! badhai
आपकी लेखनी को सलाम! वाह! क्या लिखते हैं आप! बहुत खूब.
जारी रहें. शुभकामनाएं.
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समाज और देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए व बहस में शामिल होने के लिए भाग लीजिये व लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
दुकान लुटाकर जश्न मनाओ
हर नुक्कड़ पर माल मिलेगा
--यह शेर बहुत अच्छा लगा।
Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!
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