Wednesday, July 22, 2009

गहराइयाँ लबालब -----




किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी

कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी



कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी

फसल चीखते रहे नहीं बरसा, जालिम
जब बरसा तो बेपानी कर गया पानी

ताकि प्यास बुझ सके इस शहर की
पाईपों से हो-होकर हर-घर गया पानी

क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी

छुपाया तल्खियां पर निगाह का पानी
दूध का दूध, पानी का कर गया पानी

सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी


.

43 comments:

अर्चना तिवारी said...

सच पानी रे पानी तेरा रंग कैसा...बहुत सुंदर एवं गूढ़ बात है आपकी इस ग़ज़ल में

ओम आर्य said...

sach hai paani me bahut sare bhed chhupe hote hai .......bahut hi sundar

श्यामल सुमन said...

जनाब आपने तो इस बार की कम बारिश की कमी को पूरा करते हुए पानी पानी कर दिया। वाह।

इस तरह पानी हुआ कम दुनियाँ में, इन्सान में
दोपहर के बाद सूरज जिस तरह ढ़लता रहा

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

विवेक said...

कह दो कि अंदर का मर गया पानी...बहुत खूबसूरत

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर रचना!

Razia said...

सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
वाकई पानी वही तो भरेगा जहा गहराई होगी.
बहुत सुन्दर गज़ल
हर शेर लाजवाब

पारुल "पुखराज" said...

किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी ....बहुत खूब

स्वप्न मञ्जूषा said...

सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
bahut hi khoobsurat...
kya baat hai..

only shayyiri... said...

kuch der rahi halchal mujh payas se paani mein
phir thi wahi jaulani[tezi] dariya ki rawani mein
.......................
.......................
aankhen vahin thehri hain, pehle kahan thehri thi
waisa hi hasin hai tu, tha jaisa jawani mein

Prem Farukhabadi said...

क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी

man ko bha gayi .bahut hi sundar!

mehek said...

कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी

कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी

waah dil khush kar diya,har sher lajawab.

Anil Pusadkar said...

सुन्दर्।यंहा तो ओव्हरफ़्लो होकर तबाही मचा रहा है पानी।

सदा said...

बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी आपने आभार्

vandana gupta said...

lag raha hai sari barsaat yahin ho gayi hai isiliye hum taras rahe hain........lajawaab prastuti........har shabd bahut badhiya.

Mohinder56 said...

दिलकश गजल के लिये बधाई


कोई इतना शर्मशार है कि रो नहीं सकता
लोग कहते हैं कि आंख का मर गया पानी

Unknown said...

ghazal ka har she'r khas hai
waah
ghazal ki karigari aapke pas hai

badhaai !

रंजू भाटिया said...

पानी का हर अंदाज दिल को भाया बहुत सुन्दर लिखा है आपने

रंजना said...

किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी ....

वाह वाह वाह !!!! लाजवाब ग़ज़ल लिखी है आपने.....

नीरज गोस्वामी said...

क्यूँ बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो की अन्दर का मर गया पानी

बहुत खूब वर्मा जी बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...बधाई....
नीरज

तरूश्री शर्मा said...

कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी...
Behad Umda aur positive panktiyan.... achchi gazal hai Verma ji...

निर्मला कपिला said...

कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी..
बहुत ही लाजवाब रचना है शायद ये सावन का असर है बधाई

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! रचना की हर एक पंक्तियाँ प्रशंग्सनीय है! बहुत बढ़िया लगा!

Vinay said...

बहुत ख़ूब, गहरे भावों में रची बसी रचना

अमिताभ श्रीवास्तव said...

behtreen janab/

Sonalika said...

KHOOBSURAT RACHANA


mere kuch doston ne bhi apka blog padha apki rachanaye unhe bahut pasand aai per comment nahi de paye. unki taraf se apko shukriya is behtaneen rachana ke liye.

Razi Shahab said...

bahut khoobsurat

विनोद कुमार पांडेय said...

ye pani puri kahani kaha gayi..
badhiya geet..sundar bhav..

dhanywaad..jo padhane ko mila..achcha laga..

Renu Sharma said...

paani ko paani -paani kar diya aapane .
renu...

रज़िया "राज़" said...

कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
सुंदर पानी...रे पानी...

हमारी नज़र तो वहीं ठहरी हुई थी।

पर न जाने किधर से ग़ुज़र गया पानी।

हरकीरत ' हीर' said...

वाह....आपने तो पानी पिला - पिला कर मार डाला .....!!!

लता 'हया' said...

shukria.paani ki kami ko khub pura kiya hai aapne.

haya

डिम्पल मल्होत्रा said...

किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया ...boht khoob...

ज्योति सिंह said...

bahut khoobsurat .
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी
paani ke kitane rang ,rang gaye .

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"किसी की निगाहों से उतर गया पानी|
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी|
क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम,
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी|"
सुन्दर रचना....

daanish said...

ग़ज़ल अच्छी कही है
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
बहुत अछा विचार है

---मुफलिस---

shama said...

Mujhe sahee me aapki rachnaon pe comment karna aata nahee..
Baar,baar padhtee hun..'kiseekee nigaahon me thahar gaya paanee.."

Aapki sabhi rachnayen, pata nahee kitnee baar padheen..aur har baar usme aur adhik gahraayee payee...

http:/shamasansmaran.blogspot.com

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http://lalitlekh.blogspot.com

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संजय भास्‍कर said...

आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।

kshama said...

Kya gazabki rachana hai!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बेहतरीन रचना....

स्वप्न मञ्जूषा said...

आज एक बार फिर पढ़ी ये कविता...बस कमाल की कविता है वर्मा जी..

सच फिर एक बार भिगो कर गया पानी...!!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

वर्मा जी, एक बेहतरीन रचना / ग़ज़ल है.

गहराईयों में लबालब भर गया पानी

बहुत सुन्दर भाव एवं उम्दा प्रस्तुति. विश्व जल दिवस के मौके पर एक कीमती रचना.

vandana gupta said...

किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी

कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी

atyant gahan abhivyakti.........bahut kuch kah diya .

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत ही सशक्‍त रचना है बधाई।