पहलू में आग ---- !
*
खु़द के पहलू में आग रखा करो
शफ्फ़ाक़ वज़ूद है दाग़ रखा करो
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
धूप से दोस्ती कर ली तुमने तो
एहसासों में अपने बाग़ रखा करो
कोई और हिसाब क्यूँ रखेगा भला
खु़द अपना गुणा-भाग रखा करो
ज़ेहन की नसें फटें क्यूँ शोर से
शिराओं में भैरव राग रखा करो*
39 comments:
badhiya gajal
निरन्तर: जोग - जरा मुस्कुरा दें
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
बहुत सुन्दर शेर --- सभी शेर खूबसूरत
भाव सुन्दर
lajawaab rachna verma ji, badhaai sweekaren.
रचना अच्छी बन पड़ी है वर्मा जी। नाग रखने वाली बहुत पसन्द आयी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बेहद खूबसूरत रचना...
बेहद खूबसूरत रचना...
बेहतरीन... दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ..
शुभकामनायें.
भुवन वेणु
लूज़ शंटिंग
आपकी प्राह: स भी कवितायें पड़ डाली । अच्छा लिखते हैं आप । सभी भावः पूर्ण अभिव्यक्तियाँ है ,
शुभकामनायें
... bahut sundar rachanaa !!!
बहुत ख़ूबसूरत रचना! आपकी हर एक रचना लाजवाब है!
अति सुन्दर, धन्यवाद!
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति बधाई ।
वाह...
कोई और हिसाब क्यूँ रखेगा भला
खु़द अपना गुणा-भाग रखा करो
बहुत सुन्दर शेर! शुभकामनायें!
बहुत खूब...जिंदगी की गहरी समझ दिखती है आपकी रचनाओं में
bahut hi khoobsoorat bhav.........behtreen
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
Kya kah diya? 'khudke pahloome aag rakha karo..!'
Behad khoobsoorat ashar hain...!
वर्मा साहब,
बहुत ही अच्ची गज़ल कही है। एक एक अशआर बेहतरीन। जाति तौर मुझे यह शे’र बहुत पसंद आया :-
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
कोई और हिसाब क्यूँ रखेगा भला
खु़द अपना गुणा-भाग रखा करो
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
bahut khub kaha aapne ...
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
Verma ji,
kamal ka likhte hain aap..
har sher lajawaab hai..
bahut hi badhiya...
badhai..
'बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो'
- सुन्दर और तीखा.इन शेरों को पढ़ कर दुष्यंत कुमार की रचनाओं की याद ताजा होती है.
lajawab rachna!
Apka blog to beautiful hai.
Happy Friendship day.....!! !!!!
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
बहुत ही उम्दा ,साधुवाद .तस्वीर भी बहुत कुछ बोल रही है ....
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
नायाब रचना.
रामराम.
wah wah bahut hi lajawaab gajal hai!
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
साथ अपने एक नाग रखा करो
वाक़इ। सच कहते हो वर्मा साहब। बधाइ।
so beautifully written
ठीक कहा.. अच्छा प्रयास है.. निरन्तरता बनाए रखें..
वर्माजी सशक्त रचना के लिए बधाई ,
बहुत भरोसा मत करो ज़माने पर
अपने साथ एक नाग रक्खा करो |
आज के वक़्त पर सही व्यंग है |
धूप से दोस्ती कर ली तुमने तो
एहसासों में अपने बाग़ रखा करो
सुन्दर पंक्तियाँ....मन को छु गयी.,...
regards
धूप से दोस्ती कर ली तुमने तो
एहसासों में अपने बाग़ रखा करो
इन खूबसूरत अशआरों के लिए
मुबारकवाद।
धूप से दोस्ती कर ली तुमने तो
एहसासों में अपने बाग़ रखा करो
इन खूबसूरत अशआरों के लिए
मुबारकवाद।
maja aagaya ..kya baat hai...
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ, आपकी रचनाओं को पढ़कर लगा, इस ब्लॉग पर पहले बहुत पहले आ जाना चाहिए था, सभी रचनाएँ दिल को छु लेती हैं..आभार !
बहुत सुन्दर
sir ji , main sirf kahunga .. jabardasht... badhai ..
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!
Post a Comment