किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी
कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी
कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
फसल चीखते रहे नहीं बरसा, जालिम
जब बरसा तो बेपानी कर गया पानी
ताकि प्यास बुझ सके इस शहर की
पाईपों से हो-होकर हर-घर गया पानी
क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी
छुपाया तल्खियां पर निगाह का पानी
दूध का दूध, पानी का कर गया पानी
सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
फसल चीखते रहे नहीं बरसा, जालिम
जब बरसा तो बेपानी कर गया पानी
ताकि प्यास बुझ सके इस शहर की
पाईपों से हो-होकर हर-घर गया पानी
क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी
छुपाया तल्खियां पर निगाह का पानी
दूध का दूध, पानी का कर गया पानी
सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
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43 comments:
सच पानी रे पानी तेरा रंग कैसा...बहुत सुंदर एवं गूढ़ बात है आपकी इस ग़ज़ल में
sach hai paani me bahut sare bhed chhupe hote hai .......bahut hi sundar
जनाब आपने तो इस बार की कम बारिश की कमी को पूरा करते हुए पानी पानी कर दिया। वाह।
इस तरह पानी हुआ कम दुनियाँ में, इन्सान में
दोपहर के बाद सूरज जिस तरह ढ़लता रहा
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कह दो कि अंदर का मर गया पानी...बहुत खूबसूरत
बहुत सुन्दर रचना!
सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
वाकई पानी वही तो भरेगा जहा गहराई होगी.
बहुत सुन्दर गज़ल
हर शेर लाजवाब
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी ....बहुत खूब
सारी रात रह-रह कर बरसात हुई है
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
bahut hi khoobsurat...
kya baat hai..
kuch der rahi halchal mujh payas se paani mein
phir thi wahi jaulani[tezi] dariya ki rawani mein
.......................
.......................
aankhen vahin thehri hain, pehle kahan thehri thi
waisa hi hasin hai tu, tha jaisa jawani mein
क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी
man ko bha gayi .bahut hi sundar!
कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
waah dil khush kar diya,har sher lajawab.
सुन्दर्।यंहा तो ओव्हरफ़्लो होकर तबाही मचा रहा है पानी।
बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी आपने आभार्
lag raha hai sari barsaat yahin ho gayi hai isiliye hum taras rahe hain........lajawaab prastuti........har shabd bahut badhiya.
दिलकश गजल के लिये बधाई
कोई इतना शर्मशार है कि रो नहीं सकता
लोग कहते हैं कि आंख का मर गया पानी
ghazal ka har she'r khas hai
waah
ghazal ki karigari aapke pas hai
badhaai !
पानी का हर अंदाज दिल को भाया बहुत सुन्दर लिखा है आपने
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी ....
वाह वाह वाह !!!! लाजवाब ग़ज़ल लिखी है आपने.....
क्यूँ बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम
कह दो की अन्दर का मर गया पानी
बहुत खूब वर्मा जी बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...बधाई....
नीरज
कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी...
Behad Umda aur positive panktiyan.... achchi gazal hai Verma ji...
कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी..
बहुत ही लाजवाब रचना है शायद ये सावन का असर है बधाई
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! रचना की हर एक पंक्तियाँ प्रशंग्सनीय है! बहुत बढ़िया लगा!
बहुत ख़ूब, गहरे भावों में रची बसी रचना
behtreen janab/
KHOOBSURAT RACHANA
mere kuch doston ne bhi apka blog padha apki rachanaye unhe bahut pasand aai per comment nahi de paye. unki taraf se apko shukriya is behtaneen rachana ke liye.
bahut khoobsurat
ye pani puri kahani kaha gayi..
badhiya geet..sundar bhav..
dhanywaad..jo padhane ko mila..achcha laga..
paani ko paani -paani kar diya aapane .
renu...
कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
सुंदर पानी...रे पानी...
हमारी नज़र तो वहीं ठहरी हुई थी।
पर न जाने किधर से ग़ुज़र गया पानी।
वाह....आपने तो पानी पिला - पिला कर मार डाला .....!!!
shukria.paani ki kami ko khub pura kiya hai aapne.
haya
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया ...boht khoob...
bahut khoobsurat .
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी
paani ke kitane rang ,rang gaye .
"किसी की निगाहों से उतर गया पानी|
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी|
क्यूं बेवक्त हो रहे हो वक्त से पहले तुम,
कह दो कि अन्दर का मर गया पानी|"
सुन्दर रचना....
ग़ज़ल अच्छी कही है
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
बहुत अछा विचार है
---मुफलिस---
Mujhe sahee me aapki rachnaon pe comment karna aata nahee..
Baar,baar padhtee hun..'kiseekee nigaahon me thahar gaya paanee.."
Aapki sabhi rachnayen, pata nahee kitnee baar padheen..aur har baar usme aur adhik gahraayee payee...
http:/shamasansmaran.blogspot.com
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आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
Kya gazabki rachana hai!
बेहतरीन रचना....
आज एक बार फिर पढ़ी ये कविता...बस कमाल की कविता है वर्मा जी..
सच फिर एक बार भिगो कर गया पानी...!!
वर्मा जी, एक बेहतरीन रचना / ग़ज़ल है.
गहराईयों में लबालब भर गया पानी
बहुत सुन्दर भाव एवं उम्दा प्रस्तुति. विश्व जल दिवस के मौके पर एक कीमती रचना.
किसी की निगाहों से उतर गया पानी
किसी की निगाहों में ठहर गया पानी
कतरा-कतरा ओस मोती बन गया था
हवा के एक झोके से बिखर गया पानी
atyant gahan abhivyakti.........bahut kuch kah diya .
बहुत ही सशक्त रचना है बधाई।
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