Wednesday, June 17, 2009

ख़ुद की फिरौती ----- ! !


ज़िन्दगी जीने का जिसमे जूनून नहीं होगा

जिस्म खंगाल के देखिये उसमे खून नहीं होगा





खौफ खाकर जिससे पसर गया है सन्नाटा


हाड़-मांस का होगा कोई अफलातून नहीं होगा





ये शहर तो लेकर फिरता है ख़ुद की फिरौती


इस शहर का अपना कोई कानून नहीं होगा


.




जिसने फितरतों से भर ली हैं तिजोरियां


उस सख्श को तय है कि सुकून नहीं होगा





उसके ख्वाबों की पड़ताल करके देखिये


नून-रोटी ही होगी कोई 'मून' नहीं होगा


14 comments:

pushpendrapratap said...

bahut sundar badhai ho

विवेक said...

सच है...ख्वाब में रोटी-नून ही है...बहुत सुंदर

ओम आर्य said...

bahut hi sahi kaha aapane .......shabda our bhaw bahut hi sundar hai.....

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

वाह क्या कहा है.
मेरा कहना है:
"अन्धेरा इस कदर काला नही था,
उफ़्फ़्क पे झूंठ का सूरज कहीं उग आया होगा."

श्यामल सुमन said...

बस एक शब्द - आपकी लेखनी को सलाम।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

समयचक्र said...

बहुत ही बढ़िया रचना . आभार

कडुवासच said...

खौफ खाकर जिससे पसर गया है सन्नाटा

हाड़-मांस का होगा कोई अफलातून नहीं होगा

... अत्यंत प्रभावशाली !!!!!

Unknown said...

kya baat hai sir ji !
lootlee mehafil aapne..........
kar diya mushaayra poora.................
BADHAAI !

Urmi said...

बहुत ही सुंदर भाव के साथ आपने ये ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है जो काबिले तारीफ है!

Yogesh Verma Swapn said...

vermaji, behatareen rachna ke liye badhai sweekaren.

अमिताभ मीत said...

भाई बहुत खूब लिखा है. क्या बात है.

Vinay said...

प्रभावशाली रचना

Nirbhay Jain said...

आपकी रचना इतनी सुंदर है कि आभार कहना ही ठीक रहेगा

Yogesh Verma Swapn said...
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