ज़िन्दगी जीने का जिसमे जूनून नहीं होगा
जिस्म खंगाल के देखिये उसमे खून नहीं होगा
खौफ खाकर जिससे पसर गया है सन्नाटा
हाड़-मांस का होगा कोई अफलातून नहीं होगा
ये शहर तो लेकर फिरता है ख़ुद की फिरौती
इस शहर का अपना कोई कानून नहीं होगा
.
जिसने फितरतों से भर ली हैं तिजोरियां
उस सख्श को तय है कि सुकून नहीं होगा
उसके ख्वाबों की पड़ताल करके देखिये
नून-रोटी ही होगी कोई 'मून' नहीं होगा
14 comments:
bahut sundar badhai ho
सच है...ख्वाब में रोटी-नून ही है...बहुत सुंदर
bahut hi sahi kaha aapane .......shabda our bhaw bahut hi sundar hai.....
वाह क्या कहा है.
मेरा कहना है:
"अन्धेरा इस कदर काला नही था,
उफ़्फ़्क पे झूंठ का सूरज कहीं उग आया होगा."
बस एक शब्द - आपकी लेखनी को सलाम।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत ही बढ़िया रचना . आभार
खौफ खाकर जिससे पसर गया है सन्नाटा
हाड़-मांस का होगा कोई अफलातून नहीं होगा
... अत्यंत प्रभावशाली !!!!!
kya baat hai sir ji !
lootlee mehafil aapne..........
kar diya mushaayra poora.................
BADHAAI !
बहुत ही सुंदर भाव के साथ आपने ये ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है जो काबिले तारीफ है!
vermaji, behatareen rachna ke liye badhai sweekaren.
भाई बहुत खूब लिखा है. क्या बात है.
प्रभावशाली रचना
आपकी रचना इतनी सुंदर है कि आभार कहना ही ठीक रहेगा
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