Thursday, June 16, 2011

अगली बार ...


हर बार

उसके लिये भी

उसका हिस्सा

रखा गया

पर,

उस तक पहुँचने से पहले ही

अनुमान से ज्यादा

हिस्सेदार आ गये;

या फिर

कुछ हिस्सेदारों ने

निर्धारित से ज्यादा

उपभोग कर लिया,

और वह

वंचित रह गया.

ऐसा भी नहीं

कि उसे सर्वथा

नकार दिया गया

बल्कि,

उसे अगली बार का

आश्वासन दिया गया

वह सौभाग्यशाली है

क्योंकि,

उसके धैर्य और

उसकी महत्ता का

समवेत गुणगान

भरे मंच से किया गया.

56 comments:

kshama said...

Wah! Kya gazab kaa sashakt wyang hai!

Jyoti Mishra said...

damn good sarcastic post !!
Enjoyed reading..

सदा said...

वाह ...बेहद सशक्‍त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

रश्मि प्रभा... said...

yah agli baar ... kab aayega , kahan tay hai !

shama said...

Kamaal kaa likha hai!

vandana gupta said...

बेहद सशक्त व्यंग्य्।

अनुभूति said...

अगले चुनाव तक स्वाति नक्षत्र से टपकने वाली बूंदों का इंतज़ार....श्रेष्ठ रचना....अपार शुभ कामनाएं...

Unknown said...

कमाल की अभिव्यक्ति बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

यही कहानी हर घर फैली।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मन के तारों को झंकृत कर गयी रचना।

---------
ब्‍लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...

Urmi said...

सुन्दर भावों से सुसज्जित शानदार रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब रहा! वर्मा जी आपकी लेखनी को सलाम! उम्दा प्रस्तुती!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बेचारा अगली बार का ही इंतज़ार करता रह जायेगा ..सशक्त व्यंग

स्वप्निल तिवारी said...

यह तो हिस्सा मर जानें वालों की साजिश थी....अच्छी नज़्म वर्मा जी..:)

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वंचित हमेशा अगली बार के लिए टरकाया जाता रहा है।
...सटीक व्यंग्य।

वीना श्रीवास्तव said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति...

डॉ टी एस दराल said...

लोकतंत्र झूठे आश्वासन पर ही चल रहा है ।
सुन्दर सार्थक रचना ॥

आशा जोगळेकर said...

उसके धैर्य का यही फल मिलना था उसको । कमाल की रचना ।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सुंदर
एवं सच के करीब।

---------
ब्‍लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्‍टें...

Anonymous said...

वाह ..बेहतरीन ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बुहत सुन्दर रचना!
वर्मा जी आपका जवाब नहीं!

अजय कुमार said...

सार्थक रचना

Anonymous said...

लोग समन्दर पी जाते हैं
मैं चुल्लू बनाए झुका रह जाता हूं...

बेहतर बात...

मुकेश कुमार तिवारी said...

आदरणिय वर्मा साहब,

अगली बार के आश्वासनों का बोझ उठाते हुए जिस दिन इस व्यव्स्था में गौण हो चुके लेकिन जरूरी बने हुए व्यक्ति का धैर्य जवाब दे गया?

तब बाकियों के हिस्सों में क्या बचेगा?

एक गंभीर व्यंग्य.........

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

दिगम्बर नासवा said...

जनता का भी तो कुछ कुछ ऐसा ही हाल है .... शशक्त रचना ...

सु-मन (Suman Kapoor) said...

behatreen

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मन के भावों को झंकृत करती रचना।

---------
टेक्निकल एडवाइस चाहिए...
क्‍यों लग रही है यह रहस्‍यम आग...

Patali-The-Village said...

बेहद सशक्‍त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

रंजना said...

सत्य कहा...

सर्वथा सटीक और सार्थक...

आभार इस सुन्दर रचना के लिए...

Rajeev Panchhi said...

Very impressive!



The reasons of various problems in India are on my blog. You're cordially invited to keep your views. Thanks.

Kailash Sharma said...

यह अगली बार कुछ लोगों को कभी नहीं आता..बहुत सटीक व्यंग...बहुत सुन्दर और सशक्त प्रस्तुति..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपको बार-बार पढने का मन करता है।

---------
रहस्‍यम आग...
ब्‍लॉग-मैन पाबला जी...

Urmi said...

टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/

कविता रावत said...

bahut badiya prabhvpurn bhavabhivykti...

Dr Varsha Singh said...

बेहद सशक्‍त रचना है यह. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें

Vandana Ramasingh said...

आम आदमी आश्वासनों के भरोसे जीवन बिता देता है ...बढ़िया व्यंग्य

अरुण चन्द्र रॉय said...

खूबसूरत और सार्थक कविता...

Satish Saxena said...

यह अक्सर होता है वर्मा जी ! शुभकामनायें आपको !

रचना दीक्षित said...

बहुत अच्छा सार्थक कटाक्ष.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है

नयी पुरानी हल चल में आज -

Vivek Jain said...

bahut sundar,

आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।

अनामिका की सदायें ...... said...

KITNA SABR HAI ? SUNDER VYANGYE

Vivek Jain said...

सच नकाब में होता है , यहां नहीं नंगा कोई.
सबका दिल घायल घायल यहां नहीं चंगा कोई.
सच्चे प्यार - मोहब्बत पर नफ़रतों की गश्ती है.
यह इंसानों की बस्ती है यह इंसानों की बस्ती है.


विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरत सार्थक कविता...शुभ कामनाएं...

कविता रावत said...

उसे अगली बार का

आश्वासन दिया गया

वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
..aur wah agli baar kab chala jaata hai use khabar tak nahi hoti!
..vartmaan haalaton ka sundar chitran prastuti ke liye aabhar!

वीना श्रीवास्तव said...

सुंदर शब्दों के साथ सुंदर अभिव्यक्ति...

Dimple Maheshwari said...

bina kuchh kahe bahut kuchh kah gayi aapki kuchh panktiyaan

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

Amrita Tanmay said...

Din-pratidin hissedaar badhate hi jaa rahe hain aur vanchito ko manch mil hi jata hai . shubhkamna

विनोद कुमार पांडेय said...

वर्मा जी,हमेशा की तरह लाजवाब कविता...

बधाई हो....

Amrita Tanmay said...

आपकी प्रतीक्षा है...

mridula pradhan said...

very good.....

***Punam*** said...

अगली बार कोई और हिस्सा बंटाने आ जायेगा...
जिन्दगी की हकीकत यही है....!!

रचना दीक्षित said...

आपने तो पूरा शब्द जाल बनाकर कविता में परिवर्तित कर दिया. अद्भुत अभिव्यक्ति.

निर्झर'नीर said...

वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.

वर्मा जी ,
निचोड़ दिया आपने तो ,
बहुत ही सुन्दर