गुरुवार, 18 मार्च 2010

ना --- री

जब भी उसने

हक की बात की

जमाने ने कहा

ना री !

अंततोगत्वा

नाम पड़ गया उसका

नारी

****

निगाहों में

क्यों न उभरे निशान

सवालिया

देखते नहीं देकर ‘एक’

उन्होंने तो

सवा लिया

****

सुनते थे कि

प्यार से लबरेज होकर

मुस्कराती हैं

हसीना

लाख जतन किया पर

वो तो

हंसी ना

39 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

वाह क्या ख्याल है....अंतिम पंक्तियाँ कमाल कर गईं हैं

कडुवासच ने कहा…

....अदभुत,लाजवाब,बेमिसाल अभिव्यक्ति,बहुत बहुत बधाई !!!!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

वाह शब्द से खेलना कोई आप से सीखे...बेहतरीन भावपिरोया आपने अपनी इन क्षणिकाओं से.....लाज़वाब पंक्तियाँ..धन्यवाद वर्मा जी...

समय चक्र ने कहा…

कविता का भाव बहुत सुन्दर हैं . बढ़िया प्रस्तुति .... आभार.

Razia ने कहा…

यमक अलंकार की अनुपम छटा बिखेर दी आपने तो.
बहुत सुन्दर रचनाएँ

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ना री और हंसी ना ..दोनों शब्दों ने गज़ब का कमाल किया है.....सुन्दर रचनाएँ....

मनोज कुमार ने कहा…

अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी।

sonal ने कहा…

मन मोह लिया इन रचनाओ ने

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अरे वाह. क्या शब्दों की हेराफेरी की है.

shama ने कहा…

Teeno rachnaon ki aakhari panktine nishabd kar diya..kamal hai!

kshama ने कहा…

Wah! Wah! Wah!

Unknown ने कहा…

सभी काव्यों में अद्भुत प्रयोग किये हैं जी.......

ख़ासकर नारी और हँसी ना तो गज़ब हैं

लगे रहो दादा !

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

shabdo ki hara-fairi aur usme bhari gahrayi...lajawaab hai.

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह जी वाह कमाल कर दिया आप ने तो बहुत सुंदर भाव लिये है आप की यह कविता

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत शानदार प्रयोग!! आनन्द आया.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah. shabdon ki kalakari , behatareen.

vandana gupta ने कहा…

हमेशा की तरह लीक से हट्कर शानदार भाव लिये उम्दा प्रस्तुति।

Jyoti ने कहा…

जब भी उसने

हक की बात की

जमाने ने कहा

ना री !

सुन्दर रचनाएँ..........

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut acghi soch lagi bahut2 badhai..

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

Bahut khoob !

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ना, री!
सच में, जब बच्चे से नाम पूछा गया तो बोला - जॉनी डोण्ट!
जॉनी, ये न करो, जॉनी, वो न करो!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया!
आप ना+री कह सकते है
मगर
हम तो
ना+अरि = नारि ही कहेंगे!

rashmi ravija ने कहा…

कमाल के शब्द प्रयोग हैं....बिलकुल नायाब :)

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

कमाल का शब्दांकन,अच्छा भाव, मज़ा आया पढकर!

ठाकुर पदम सिंह ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया
अच्छा लगा कि आप जैसे शब्द शिल्पी ब्लॉग जगत को आबाद कर रहे हैं ... आप का ब्लॉग बुकमार्क आकर लिया है सदा पढता रहूँगा ... टिप्पणी भले न कर पाऊं ... क्योंकि मै गूगल रीडर का इस्तेमाल करता हूँ पढ़ने के लिए ... माफी चाहूँगा
सभी रचनाये स्तरीय और सुंदर

Urmi ने कहा…

नए अंदाज़ के साथ एक बेहतरीन रचना! बेहद ख़ूबसूरत भाव लिए लाजवाब रचना! बढ़िया लगा!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शब्दों का सुन्दर प्रयोग ।

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

bahut hi sundar abhivyakti sari ki sari ek se badh kar ek.
poonam

शरद कोकास ने कहा…

नारी सवालिया और हसीना .. सन्धि न होने के बावज़ूद कवि का जबरदस्त सन्धि विग्रह ।

अजय कुमार ने कहा…

सुंदर संधि विग्रह ,शानदार प्रस्तुति

अंजना ने कहा…

बहुत बढ़िया !

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

वाह ..
वर्मा जी,
मैं ना री..भी नहीं समझ पाई थी अब तक
और हंसी ना....बनी घूमती रही...
बहुत ही सुन्दर प्रयोग शब्दों का....
यह बहुत ही गहन विषय-वस्तु है और आपने जो कहा है उसपर यकीन करने को दिल कर गया है..
समस्त नारियों की ओर से आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ
चलते चलते एक हास्य के पुट की धृष्टता कर रही हूँ....(हंस बंद ..से कहीं हसबैंड तो नहीं बना है )
यह हास्य है अन्यथा मत लीजियेगा ....
आपका आभार...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

जब भी उसने

हक की बात की

जमाने ने कहा

ना री !

अंततोगत्वा

नाम पड़ गया उसका

नारी

वाह बहुत सुन्दर.

हितेष ने कहा…

जब भी उसने

हक की बात की

जमाने ने कहा

ना री !

शुरुआत में ही आपने सारांश दे दिया. बहुत खूब.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ये आपकी छोटी-छोटी नोंचियाँ बड़ी असरकारी होती हैं

रचना दीक्षित ने कहा…

गज़ब की जादूगरी शब्दों से !!!!!!!!!!!!!वाह.. वाह... वाह अब और क्या कहूँ. तस्वीर ने तो कमाल की छटा बिखेरी है नायब

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

!!!वाह..!!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह .. शब्दों की उलट फेर की श्रंखला लाजवाब है वर्मा जी ....
ना री और हसी ना .... क्या ग़ज़ब का ख्याल है ...