धूप में देखिये पसीना सुखाने आया है
खंजरों को वह जख्म दिखाने आया है
नींद में चलते हुए यहाँ तक पहुंचा है
लोगों को लगा कि राह बताने आया है
गफलत की जिंदगी के मर्म को जाना
फितरत को जब वह आजमाने आया है
राह में जिसके पलके बिछाते रहे हम
आज वो हमको आँखे दिखाने आया है
सांस टूट गयी, बिखर गया जब वजूद
देखिये आज वो रिश्ता निभाने आया है