मंगलवार, 23 दिसंबर 2025

अरावली: एक असहज सवाल

 

अब तक सोये बुलडोज़रों को
आख़िर काम मिलेगा,
अरावलीतुझे अब
एक नया नाम मिलेगा।

जिसे पहाड़ कहा जाता था
वह प्लॉट कहलायेगा,
हर चोटी का कद अब
फ़ाइल में नापा जायेगा।

तू अपनी ऊँचाई खुद
कभी क्यों नहीं नापता?
तू सियासतों की फितरत
अब तक क्यों नहीं भापता?

कुर्सी से दिखता जो ऊँचा
वही तुझे महान लगे,
धरती की चीखें तुझे
अब तक क्यों अनजान लगे?

यह विकास नहीं
यह माप बदलने की साज़िश है,
जहाँ बुलडोज़र सच है
और पहाड़ एक बार-बार उठता
असहज सवाल है।


याद रख!
इतिहास ऊँचाई नहीं पूछेगा,
इतिहास नीयत नापेगा।

2 टिप्‍पणियां:

Razia Kazmi ने कहा…

अरावली का दर्द बखूबी बयान करती रचना

M VERMA ने कहा…

😊 नमस्ते