सोमवार, 22 अप्रैल 2019

गालियों की वापसी ....

पहचान कर
बयान देकर वापस लेने के ट्रेंड को
माँ-बहन की अनगिनत गालियाँ
दे डाली मैंने अपने फ्रेंड को
सोचा था मैं उसको
सरप्राईज दूंगा
बाद में अपनी गालियाँ
वापस ले लूंगा,
गालियाँ सुनकर
उसका ब्लडप्रेशर बढ़ गया
पारा भी
सातवें आसमान पर चढ़ गया
आव देखा न ताव
छोड़ दिया उसने अपना
अब तक अर्जित नेह-भाव
गाल पर एक झन्नाटा दिया और
धुन दिया मुझे बे-भाव.
मैं हकबकाया
बदहवास सा उसे बताया
मैं तो गालियाँ वापस लेने वाला था

देखकर मेरा चेहरा मुरझाया
वह मुझपर तरस खाया
और फिर समझाया
तुम्हारी सोच में खामी है
ध्वनि ऊर्जा है, यह नष्ट नहीं होती
यह तो वन-वे अनुगामी है
बयान, कथन, गाली-वाली
इनकी कोई वापसी नहीं है
ये नहीं हैं महज़ जुगाली
इसलिए
जब भी मुँह खोलो
सोच समझ कर बोलो
जी हाँ, सोच समझ कर बोलो  

cartoon pic : साभार गूगल 

21 टिप्‍पणियां:

Dr. Shaifali Gupta ने कहा…

Good reply. Kabhi galiyan nhi dega.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-04-2019) को "झरोखा" (चर्चा अंक-3314) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
पृथ्वी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/04/2019 की बुलेटिन, " टूथ ब्रश की रिटायरमेंट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

एक झापड़ के बाद अच्छी सीख दी है! मज़ा आ गया!!!

M VERMA ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इस व्यंग रचना के माध्यम से गहरा सन्देश छोड़ा है आपने ...
सच है की सोच समझ के बोलने का ही माहोल है आज और बोलना भी चाहिए ...
मजा आया रचना का ...

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

Pammi singh'tripti' ने कहा…



जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 24अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

विश्वमोहन ने कहा…

सुंदर।

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

अनीता सैनी ने कहा…

बेहतरीन रचना आदरणीय
सादर

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

मन की वीणा ने कहा…

वाह करारा व्यंग बहुत ही शानदार सीख देती अभिव्यक्ति।
काश झापड़ रसीदते बनता ।
उत्तम।

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद.

Sudha Devrani ने कहा…

तुम्हारी सोच में खामी है
ध्वनि ऊर्जा है, यह नष्ट नहीं होती
यह तो वन-वे अनुगामी है
बहुत लाजवाब व्यंग....सुन्दर सीख भी...
वाह!!!

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

ध्वनि ऊर्जा है, यह नष्ट नहीं होती
यह तो वन-वे अनुगामी है
...........बहुत लाजवाब व्यंग

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद