Friday, November 11, 2011

इससे पहले कि लौह-कपाट बन्द हो …


इससे पहले कि
मेरे हौसले मन्द हों;
इससे पहले कि
लौह-कपाट बन्द हो
मैं प्रवेश कर जाना चाहता हूँ
उस तिलिस्मी दुनिया में ।
मुझे पता है
एक बार जाने के बाद
लौट पाना मुश्किल है;
मुझे पता है
पग-पग पर तैनात हैं वहाँ
अनाचार-व्यभिचार के तिलिस्म,
अलगनी से टंगे मिलेंगे
रक्तरंजित रक्तबीज,
मेरे पैरों में बाँध दी जायेगी
मायावी बेड़ियाँ,
कीलों की साजिश से
छलनी हो जायेंगी एड़ियाँ,
सांप तो कहीं;
सीढियां मिलेंगी,
कुछ लोगों के द्वारा;
कुछ लोगो के लिए
नकार दी गयीं
पीढियां मिलेंगी,
गुजरना होगा मुझको
त्रासदी के भयावह सिलसिले से ।
.
पर इससे पहले कि
मेरे हौसले मन्द हों;
इससे पहले कि
लौह-कपाट बन्द हो,
और सुरक्षित हो जाएँ वे
जो इन सबके संचालक हैं
मैं प्रवेश कर जाना चाहता हूँ
उस तिलिस्मी दुनिया में ।

39 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरी कविता , तिलिस्म से बचते बचते कहाँ फिरा जायेगा?

मनोज कुमार said...

कभी-कभी मन इसी तिलिस्म में जीवन जीना चाहता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यह कौन सी जगह है ..कौन स दयार है ?

बहुत गहन अभिव्यक्ति

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

रंजना said...

बस... वाह...वह...वाह...

और कुछ कहने को शब्द ढूँढने कहाँ जाऊं....?

अनुपमा पाठक said...

सांप तो कहीं;
सीढियां मिलेंगी,
कुछ लोगों के द्वारा;
कुछ लोगो के लिए
नकार दी गयीं
पीढियां मिलेंगी,
तिलिस्मी दुनिया में प्रवेश का हौसला लिए गहन अभिव्यक्ति...!

रश्मि प्रभा... said...

bahut zaruri hai...

प्रतिभा सक्सेना said...

सीढियां मिलेंगी,

कुछ लोगों के द्वारा;

कुछ लोगो के लिए

नकार दी गयीं

पीढियां मिलेंगी,

गुजरना होगा मुझको

त्रासदी के भयावह सिलसिले से ।
-पूरी कविता आज के यथार्थ का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण .बधाई !

Amrita Tanmay said...

तिलिस्मी दुनिया ..जिसका तोड़ न हो. बहुत सुन्दर .

वाणी गीत said...

तिलिस्मी दुनिया ...
कहाँ है !

Rajesh Kumari said...

bahut gahan bhaavon ko sametti prastuti.

रचना दीक्षित said...

त्रासदी से मुकाबला करने के लिये हौसलों का बुलंद होना अत्यंत आवश्यक है.

बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

Anamikaghatak said...

bahut sundar......is duniya me pravesh asan hai par nikalna mushkil......satyakathan

रवि कुमार, रावतभाटा said...

एक अलग ही प्रभाव छोड़ती कविता...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह! वाह!
बाँध लेती है रचना...
सादर बधाई...

दिगम्बर नासवा said...

ये जानते हुवे भी की ये तिलिस्म है इससे बच पाना आसान नहीं होता ... बहुत गहरी अभिव्यक्ति है वर्मा जी ...

मेरे भाव said...

आशा और हौसला जगाती कविता

अनामिका की सदायें ...... said...

us tilasmi duniya tak kya koi khud pahunch sakta hai bina vaha ke sarankshkon ke ?

sunder gehen abhivyakti.

चंदन said...

लग रहा ही नर्क की बात चल रही है..कौन जीना चाहेगा वहाँ जहां किले साजिश करेंगी |

बहुत ही गहन चिंतन..

Urmi said...

गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जज्बाती प्रभाव छोडती रचना..बढ़िया पोस्ट
नये पोस्ट में स्वागत है,

mridula pradhan said...

wah....kamal ka likha.....

Dr.NISHA MAHARANA said...

पर इससे पहले कि

मेरे हौसले मन्द हों;

इससे पहले कि

लौह-कपाट बन्द हो,

और सुरक्षित हो जाएँ वे. गहन अभिव्यक्ति.

Kailash Sharma said...

बहुत गहन चिंतन...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

इससे पहले कि

मेरे हौसले मन्द हों;

इससे पहले कि

लौह-कपाट बन्द हो

मैं प्रवेश कर जाना चाहता हूँ

उस तिलिस्मी दुनिया में ।
Waah! Chah cheez hi aisi hai… us tilismi duniya ki chah le hi jaaegi dil ko wahan… shubhkamnaayen!!!

Jeevan Pushp said...

गहरी सोच लिए रचना ...
आभार ...

Anupama Tripathi said...

आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...

Nidhi said...

हौसलों को मंद नहीं पड़ने देना चाहिए....

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत अच्छा लिखा है सर!

सादर

Mamta Bajpai said...

तिलस्म जो बस तिलस्म है ..सच्चाई कहाँ ?..अच्छा लिखा है

SANDEEP PANWAR said...

अद्भुत अभिव्यक्ति

Asha Joglekar said...

हौसला बुलन्दी तो है ही तभी तो भारी भरकम लोह कपाट वाली तिलिस्मी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं । वापसी का क्या ।

Urmi said...

मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com

Jyoti Mishra said...

so deep n intense
awesome lines... I read around twice .

Nice read !!

S.N SHUKLA said...

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

विभा रानी श्रीवास्तव said...

पग-पग पर तैनात हैं वहाँ

अनाचार-व्यभिचार के तिलिस्म,

अलगनी से टंगे मिलेंगे

रक्तरंजित रक्तबीज,

सच्चाइयों से रूबरू कराती अच्छी कविता.... !!

vikram7 said...

प्रभावी अभिव्यक्ति

***Punam*** said...

इससे पहले कि
मेरे हौसले मन्द हों;
इससे पहले कि
लौह-कपाट बन्द हो
मैं प्रवेश कर जाना चाहता हूँ
उस तिलिस्मी दुनिया में ।

aur dwaar khula hai....

प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।