मंगलवार, 4 जनवरी 2011

अफ़वाह है जिन्दगी… Life is rumor


कभी हाय तो कभी वाह है जिन्दगी
सतत और निर्बाध प्रवाह है जिन्दगी
.
चौराहों पर दम तोड़ती इंसानियत से
रूबरू औ’ चश्मदीद गवाह है जिन्दगी
.
जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी
.
खुद को समेटने से कतराती रही है
देखिये किस कदर बेपरवाह है जिन्दगी
.
रिश्ता, दस्तूर, फर्ज, दुनियादारी का
प्रतिरोध रहित निर्वाह है जिन्दगी
.
आशिक युगल से पूछ कर तो देखिये
कह देंगे इक-दूजे से विवाह है जिन्दगी
.
ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी

61 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

वाह , वाह, क्या बात है ।
सभी सरकारी नौकरों की दुखती राग पर जैसे हाथ रख दिया हो ।

इतने दिनों कहाँ रहे वर्मा जी ?

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत सही कहा आपने बस इसी इंतजार में कटती है ज़िंदगी

नव वर्ष की शुभकामनाये ,नया साल आपको खुशियाँ प्रदान करे

shikha varshney ने कहा…

वाह हर किसी के लिए अलग अलग है जिंदगी.
बहुत सुन्दर.

बेनामी ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी
--
हकीकत से रूबरू करा दिया आपने तो अपनी इस सुन्दर रचना में!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अग्रिम जिन्दगी की चिन्तायें अफवाह के रूप में ही लें। सुन्दर कविता।

deepti sharma ने कहा…

bahut sunder rachna

mere blog mai
"mai aa gyi hu lautkar"

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा

खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी
Wah, Bahut khoob !

कडुवासच ने कहा…

खुद को समेटने से कतराती रही है
देखिये किस कदर बेपरवाह है जिन्दगी
... kyaa baat hai !
जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी
... kyaa kahane !!

Mithilesh dubey ने कहा…

वाह हर किसी के लिए अलग अलग है जिंदगी.
बहुत सुन्दर.

विनोद पाराशर ने कहा…

’कभी धूप हॆ,तो कभी छांव हॆ जिंदगी’
हम-सफर साथ दे,तो ठंडी ब्यार हॆ जिंदगी.
वाह! वर्मा जी जीवन के संदर्भ में सुंदर
अभिव्यक्ति आपको एवं आपके अन्य परिवारजनों को भी नव-वर्ष की मंगल कामनायें.

vandana gupta ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा

खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी

कितना बडा सच इतनी सरलता से कह दिया…………यही आपके लेखन की खूबी है।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

verma ji. nav varsh ki badhayi.

aapki rachnaye hamesh zindgi ko chhooti hui yathaarth se ot-prot hoti hain.

शरद कोकास ने कहा…

हर शेर खूबसूरत है ।

M VERMA ने कहा…

kshama has left a new comment

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा

खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी
Wah!Kya gazab likhte hain aap!

Shah Nawaz ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी



बहुत ही ज़बरदस्त भाव है.... बेहद खूबसूरत रचना...

सदा ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

बहुत खूब ...सुन्‍दर शब्‍दों का संगम है इस रचना में ।

Prem Farukhabadi ने कहा…

आशिक युगल से पूछ कर तो देखिये
कह देंगे इक-दूजे से विवाह है जिन्दगी

yah bhi khoob kaha aapne.

निर्मला कपिला ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं

यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी
ज़िन्दगी की सही व्याख्या। सभी शेर बहुत अच्छे लगे। बधाई।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

bahut sundar abhivyakti zindagi ki ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

वह क्या बात है वर्मा जी ..... हर शेर सच्चाई बयान कर रहा है ... जीवन का यथार्थ लिखा है ....
आपको नव वर्ष किबहुत बहुत बधाई ...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'chaurahon par dam todti insaniyat se
roobru au chashmdeed gawah hai jindgi'
umda gazal.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी

waah, kya kahoon ... har pankti jaise satya kee paribhasha ho ...
lajawaab rachna !

अभिषेक आर्जव ने कहा…

जिन्दगी को अफवाह बताकर आपने जीवन के समस्त संत्रासो की एकमुश्त अभिव्यक्ति की है . बहुत प्रभावित किया ग़ज़ल ने

रोहित ने कहा…

nyc composition sir!!!!!!!!!1

रचना दीक्षित ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी
दारल साहब की बात से पूरी तरह सहमत हूँ
ज़िन्दगी की सही व्याख्या। खूबसूरत रचना नव वर्ष की शुभकामनाये

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

सार्थक और बेहद बेहद खूबसूरत रचना
नव वर्ष की मंगलकामनायें

अजय कुमार ने कहा…

जिंदगी कैसी है पहेली
शानदार व्याख्या

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय वर्मा जी
नमस्कार !
ज़िन्दगी की सही व्याख्या। खूबसूरत रचना नव वर्ष की शुभकामनाये

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

आद. वर्मा जी,

"ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा

खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी"

आपने ज़िन्दगी की सुलगती सच्चाइयों को बड़ी ही खूबसूरती से हर शेर में ढाला है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

वाणी गीत ने कहा…

सबकी अपनी अपनी परिभाषा है जिंदगी ...
कही आह तो कही वाह है जिंदगी ...
जिंदगी के कई रूपों पर नजर डाल दी है आपने ...

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

खुद को समेटने से कतराती रही है
देखिये किस कदर बेपरवाह है जिन्दगी

रिश्ता, दस्तूर, फर्ज, दुनियादारी का
प्रतिरोध रहित निर्वाह है जिन्दगी

ज़िन्दगी को समेट सके ऐसा किसी के लिए कहाँ संभव हो सका! आपने उसके विविध रूपोंका बहुत प्रभावशाली चित्रण किया है -व्यापक और गहन !

रंजना ने कहा…

बेजोड़ ..लाजवाब...रचना...

किसकी प्रशंसा करूँ और किसे छोड़ दूँ..हर शेर ने ही मन को ऐसे बाँधा कि कई पलों तक हम ठिठके रह गए ..

बेहतरीन रचना...वाह !!!!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

इस गजल में तो इंद्रधनुष की तरह सब रंग समेटे हुए है जिंदगी।
..वाह!

ZEAL ने कहा…

सब अफवाह है , सब मिथ्या है ...लेकिन यही है जिंदगी ...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा,
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी।

ज़िंदगी के फलसफे़ को बखू़बी बयां करती पंक्तियां मुझे बेहद अच्छी लगीं।

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

आदरणीय वर्मा साहब,

सबसे पहले तो नववर्ष की शुभकामनायें।

जिन्दगी की मशरूफियों ने भुलाये रक्खा
वर्ना अफवाहों की सच्चाई जानते थे हम

बस जिन्दगी का एक अफवाह होना छू गया दिल को बहुत सुन्दर बात कही है, यह तो बस आपके ही बस की बात है।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

क्षमाप्रार्थी हूँ कि संपर्क की जीवंतता नही बरकरार रख पाया।

Parul kanani ने कहा…

well defined life! :)

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बाऊ जी,
नमस्ते!
हम तो यही कहेंगे कविता पढ़ने के बाद:
खूबसूरत कल्पना का प्रवाह है ज़िंदगी!
आनंद! आनंद! आनंद!
आशीष
---
हमहूँ छोड़ के सारी दुनिया पागल!!!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वर्मा जी अब ग़ज़ल में भी कलम तोड़ने लगे .....?

ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा

खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी

सुभानाल्लाह ......!!


आशिक युगल से पूछ कर तो देखिये

कह देंगे इक-दूजे से विवाह है जिन्दगी


ऊन्हुंक .....गलत ........

आजकल के आशिक यूँ नहीं कहते......

आशिक युगल से पूछ कर तो देखिये

कहेंगे जवानी की मौजगाह है ज़िन्दगी .....

'साहिल' ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

वाह ! वाह! क्या शेर कहा है!
पूरी ग़ज़ल खूबसूरत है...........बार बार पढने का मन होता है.

Dr Xitija Singh ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं
यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी...


ज़नाजे को कांधा देकर जब लौटेगा
खुद से कहेगा कि अफ़वाह है जिन्दगी...

वाह !! ... पंक्तियों ने दिल जीत लिया ... बहुत खूब वर्मा जी...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत गहरी बात कहदी वर्मा जी, बधाई।

---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्‍यक्ति, एक आंदोलन।
एक फोन और सारी समस्‍याओं से मुक्ति।

Amrita Tanmay ने कहा…

कितनी सरलता से आज का सच बयां कर दिया है . तन्ख्ह्वाह आज का पहला शर्त हो गया है .....और जरुरी भी ..भले ही जीना मज़बूरी हो . बहुत सटीक ..सुन्दर रचना ..बधाई

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

आदरणीय वर्मा साहब,

पेड़ के ठूंठ बनने की प्रक्रिया से गुजरते हुये केवल आदमी का निर्मम और मतलबी चेहरा ही सामने आया। शायद पेड़ों की दाता बनने रहने की प्रवृत्ती ही आज उनके निर्मूलन के लिये दोषी है। काश कि पेड़ भी निर्मम हो पाते.......

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी
कवितायन

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

चौराहों पर दम तोड़ती इंसानियत से
रूबरू औ’ चश्मदीद गवाह है जिन्दगी.

दिल को छू लेने वाली एक बेहतरीन रचना...संवेदनाओं से निहित ऐसी रचना बहुत कम पढ़ने को मिलती है..वर्मा जी आपका बहुत बहुत आभार

Coral ने कहा…

बहुत सुन्दर ....

गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को ढेरों शुभकामनाये

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं

यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

क्या बात है.....एकदम सही कहा....
इसी का तो इंतजार रहता है...कुछ समय सुकून से कटने के लिए

ज्योति सिंह ने कहा…

चौराहों पर दम तोड़ती इंसानियत से

रूबरू औ’ चश्मदीद गवाह है जिन्दगी

.

जरूरतें जब मुँह बाये खड़ी होती हैं

यूँ लगता है कि तनख़्वाह है जिन्दगी

.kya baat kahi ,man ko chhoo gayi ,ati uttam .

Arvind Mishra ने कहा…

जिन्दगी इतने शेड्स लिए चलती है बड़ी बदचलन सी लगती है !

Patali-The-Village ने कहा…

दिल को छू लेने वाली एक बेहतरीन रचना| धन्यवाद|

Asha Joglekar ने कहा…

वर्माजी आपके ब्लॉग पर आकर आना वसूल हो जाता है ।
जिंदगी को अफवाह कहना बडा भला लगा ।

Urmi ने कहा…

आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

Satish Saxena ने कहा…

बहुत खूब वर्मा जी आनंद आ गया ! शुभकामनायें !!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

aapki rachna bahut dinon baad padhne aai hun ,
mere blog per updates nahin dikhata , pata nahin kyun....holi ki shubhkamnayen

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

kshama ने कहा…

शहर की रक्षा में तैनात है देखो

लुटेरों की टोली

बन्दूकें खून बहाकर कहती हैं

होली है होली
Uf! Kitna sahi hai!
Holikee anek shubhkamnayen!

Unknown ने कहा…

होली रंगों के इस त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाये।


jai baba banaras..............

राज भाटिय़ा ने कहा…

होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ..

रचना दीक्षित ने कहा…

हकिकात से रूबरू कराती होली की तस्वीर रख दी आपने. बहुत ही सुंदर.

होली और नव वर्ष की शुभकामनाएँ.

Murari Pareek ने कहा…

वाह !! वर्माजी बहुत ही निराले अंदाज में बयान किया है हालाते हिंद!!!

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

भ्रष्टाचार, घूसखोरी का ताण्डव
कौरव की शरण में हैं पाण्डव
शहर की रक्षा में तैनात है देखो
लुटेरों की टोली

वाह, मजा आ गया, अच्छा व्यंग्य है।

होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।