गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

जुल्म के ख़िलाफ़ जंग ~~



जुल्म के ख़िलाफ़ तुम जंग लिखो

बदरंग कायनात है तुम रंग लिखो

.

हताश-परेशान हौसलों के ईर्द-गिर्द

हो सके तो मुकम्मल उमंग लिखो

.

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये

मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो

.

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को

बादलों के नाम एक पतंग लिखो

.

संग कोई उम्र भर नहीं चलता है

खुद को तुम खुद के संग लिखो

.

.मोम है वह अपने अपनों के बीच

बेशक से उसका नाम दबंग लिखो

.

पलांश में ढहेगी शिकवों की दीवार

इक पल उनके नाम अंतरंग लिखो

49 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

हताश-परेशान हौसलों के ईर्द-गिर्द

हो सके तो मुकम्मल उमंग लिखो

बिलकुल ....यही किया जाना चाहिए ...

नए सूरज, नयी उमंग के साथ मुस्कुराता नवगीत अनगिनत रश्मियाँ ले आया है ...

आभार !

Aman Peace ने कहा…

सन्देश देती सुन्दर गज़ल

ASHOK BAJAJ ने कहा…

सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति ,बधाई !

honesty project democracy ने कहा…

शानदार प्रेरक प्रस्तुती.....

Razia ने कहा…

खूबसूरत गज़ल

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन को लुभा गया भाव-संप्रेषण और शब्द-सोष्ठव।

निर्मला कपिला ने कहा…

हताश-परेशान हौसलों के ईर्द-गिर्द

हो सके तो मुकम्मल उमंग लिखो

.

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये

मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो
वर्मा जी \प्रेरणादेती हुये सुन्दर प्रस्तुती के लिये बधाई।

सदा ने कहा…

.मोम है वह अपने अपनों के बीच
बेशक से उसका नाम दबंग लिखो

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ...।

vandana gupta ने कहा…

संग कोई उम्र भर नहीं चलता है
खुद को तुम खुद के संग लिखो
मोम है वह अपने अपनों के बीच
बेशक से उसका नाम दबंग लिखो
पलांश में ढहेगी शिकवों की दीवार
इक पल उनके नाम अंतरंग लिखो

भावों का सुन्दर समन्वय……………हर पंक्ति एक संदेश देती हुई……………हमेशा की तरह बेहतरीन रचना।

कडुवासच ने कहा…

संग कोई उम्र भर नहीं चलता है

खुद को तुम खुद के संग लिखो
... bahut sundar ... behatreen !!!

shikha varshney ने कहा…

हताश-परेशान हौसलों के ईर्द-गिर्द

हो सके तो मुकम्मल उमंग लिखो

एकदम सच.
सुन्दर सन्देश देती रचना.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये

मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो

.zindagi ko geet banaker dekho

डॉ टी एस दराल ने कहा…

संग कोई उम्र भर नहीं चलता
खुद को तुम खुद के संग लिखो

इस सन्देश में सच्चाई है ।
सुन्दर ग़ज़ल ।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

संग कोई उम्र भर नहीं चलता है

खुद को तुम खुद के संग लिखो


बहुत मुकम्मल!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत और आशा की किरने बिखेरती गज़ल. हौसला बढ़ गया इसे पढ़ कर.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सार्थक हुंकार है इस गजल में!

Amrita Tanmay ने कहा…

बेहतरीन , सार्थक , संदेशपरक गजल , एक उमंग भरता हुआ .... बहुत अच्छा लगा . आपको बधाई ..

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

इस गजल में सार्थक हुंकार है!

मनोज कुमार ने कहा…

विचारोत्तेजक। अच्छा संदेश।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो

पलांश में ढहेगी शिकवों की दीवार

इक पल उनके नाम अंतरंग लिखो


बहुत खूबसूरत गज़ल ....प्रेरणादायक ..हर शेर मानो एक उमंग से भर रहा हो ..

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो

वाह...क्या खूब कही है...बेहतरीन शे‘र।
प्रेरक ग़ज़ल के लिए आभार।

रंजना ने कहा…

प्रेरणादायी अतिसुन्दर रचना हर्षित और आनंदित कर गयी...

आभार आपका..

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीय M.वर्मा जी
नमस्कार !

बहुत अच्छी रचना लिखी है -

जुल्म के ख़िलाफ़ तुम जंग लिखो
बदरंग कायनात है तुम रंग लिखो

बहुत सुंदर !

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये
मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो

क्या बात है जी !

पलांश में ढहेगी शिकवों की दीवार
इक पल उनके नाम अंतरंग लिखो

फ़िदा हो गया … वाह वाऽऽह !

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो

वाह जी वाह, क्या बात है

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो

वाह क्या बात है ... बहुत सुन्दर ग़ज़ल है !

रचना दीक्षित ने कहा…

मुस्कुराता प्रसंग ही क्यों यहाँ तो मैं ही मुस्कुरा दी हूँ. लाजवाब बेहतरीन प्रस्तुति

दिगम्बर नासवा ने कहा…

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये
मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो

वाह .. लाजवाब ग़ज़ल और कमाल के शेर हैं ... उमस भरे माहोल में उमंग भरे शेर नया जोश पैदा कर रहे हैं ....

Coral ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल !

अंजना ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति....

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को

बादलों के नाम एक पतंग लिखो

नए ख़याल आपकी ग़ज़ल में चार चंद लगा रहे हैं !

-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत उम्दा ग़ज़ल..हर शेर लाजवाब

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब...बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल..आभार

अनुपमा पाठक ने कहा…

सतरंगी जो करना हो आसमाँ को
बादलों के नाम एक पतंग लिखो
waah!
bahut sundar rachna!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

संग कोई उम्र भर नहीं चलता है

खुद को तुम खुद के संग लिखो


जीवन का सच तो यही है, फिर भी जो रंग कविता में भरा है वह पूरी पूरी एक उमंग है. इसके लिए आभार.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

किसी को रूनझुन-रूनझुन

‘पायल’ कर जाता है

या फिर किसी के अस्तित्व को

’घायल’ कर जाता है

आईने की ये परिभाषा एकदम अलग और क़ाबिले-तारीफ़ है

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वर्मा जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने। आभार एवं बधाई।

---------
त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।

kshama ने कहा…

Kitna anootha khayal hai ye...aaaina wastu nahee,swabhaav hai! Wah!

JAGDISH BALI ने कहा…

बहुत ठीक लिखा है ! खूब लिखा है ! मेरे ब्लोग पर भी आएं व फ़ोलो करें ! मैं आपको फ़ोलो किए देता हूं !

Asha Lata Saxena ने कहा…

बाह बहुत खूब लिखा है , "संग कोई जिंदगी भर नहीं चलता है ,खुद को तुम खुद के संग लिखो "
बधाई |
आशा

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

bahut hi prerak aur sandeshatmakt prastuti.
संग कोई उम्र भर नहीं चलता है खुद को तुम खुद के संग लिखो
bahut hi sateek baat
poonam

श्रद्धा जैन ने कहा…

करीब से देखो जिन्दगी के वाकये
मुस्कुराता हुआ एक प्रसंग लिखो

bahut khoob kaha hai..

बेनामी ने कहा…

जुल्म के ख़िलाफ़ तुम जंग लिखो
बदरंग कायनात है तुम रंग लिखो .
हताश-परेशान हौसलों के ईर्द-गिर्द
हो सके तो मुकम्मल उमंग लिखो .
--
बहुत ही प्रेरक अभिव्यक्ति!

palash ने कहा…

बहुत खूबसूरत गजल ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

जुल्म के ख़िलाफ़ तुम जंग लिखो
बदरंग कायनात है तुम रंग लिखो

प्रेरणादायक रचना वर्मा साहब !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

umda gazal..
atisundar..

Mithilesh dubey ने कहा…

सन्देश देती सुन्दर गज़ल

Mithilesh dubey ने कहा…

सन्देश देती सुन्दर गज़ल

Unknown ने कहा…

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