तुम तलाशना मत
अपने खोये 'खोयेपन' को
उसे तो
मैनें सहेज लिया है,
तुम श्वासों की गति पर भी
ध्यान न देना
मेरे श्वासों संग अनुनादित होकर
इनका तीव्र होना तय है,
कोई खास बात नहीं है
कमरे में रखी मोमबत्ती का
धीरे-धीरे पिघलना
यह पिघलन असर है
जलती लौ की तपिश का,
कुछ शब्द लिखना तुम
मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से
पढ़ना चाहता हूँ
वजह न होते हुए भी
बेशक तुम रूठ जाना
मनाना सीखा है
असर देखूँगा
बस्स,
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...
54 comments:
खोयेपन को सहेजना...पीठ पर अनुमान से पढ़ना .......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
नाम बड़े और दर्शन छोटे : छोटे नहीं खोटे हैं महाशक्ति : नीशू तिवारी के रट्टू तोते हैं http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/06/blog-post_03.html अपनी राय देते जाना जी।
कलात्मक सुन्दर अभिव्यक्ति सर...
लाजवाब !!
वजह न होते हुए भी बेशक तुम रूठ जाना मनाना सीखा है असर देखूँगा बस्स,
बहुत सुन्दर लगा यह अंदाज़ ।
अह्ह!! बहुत शानदार अभिव्यक्ति!! वाह!
badi hi sundar abhivyakti sirji...
बहुत सुंदर लाजवाब जी आप की कविता, धन्यवाद
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... लाजवाब!!!!!!!!!!!!!!धन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ..... सुंदर रचना...
एहसासों को रंजित करती अद्भुत रचना
आईये जानें ..... मन ही मंदिर है !
आचार्य जी
प्रगतिवादी कविता का सुन्दर आभास हुआ
आपकी इस रचना में!
"बस्स, तुम उदास मत होना"
अच्छी , भावनाप्रधान रचना के लिए बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
बस्स,
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
... अदभुत भाव, प्रसंशनीय रचना,बधाई !!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... लाजवाब!!
लाजवाब!
कलात्मक सुन्दर अभिव्यक्ति
अपने और अपनों की श्वासों की गति पर ध्यान देना अंतरगता की क्रियात्मक अभिव्यक्ति है ।
hamesha ki tarah
ek aur jajbato ka samundar
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...
Pata nahi aap itna sundar kaise likh jate hain!
amazing thoughts!
कुछ शब्द लिखना तुम
मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से
पढ़ना चाहता हूँ
वजह न होते हुए भी
बेशक तुम रूठ जाना
मनाना सीखा है
असर देखूँगा
बस्स,
शानदार !
अच्छी भावप्रवण रचना...
पीठ पर अनुमान से पढ़ना ...वाह क्या अभिव्यक्ति है .
जबरदस्त.
वाह वाह वाह्……………वर्मा जी ……………………।बेहद सुन्दर भाव संग्रह्……………॥भाव दिल मे सीधे उतरते चले गये।
बहुत बहुत शुक्रिया .
देर से दे रही हूँ फिर भी आपके ब्लॉग को एक साल पूरा होने की बहुत- बहुत बधाई .
आज फ़ुर्सत से हूँ तो सबको इत्मिनान से पढ़ रही हूँ .समझ नहीं पा रही कि किस किस कि तारीफ़ करूँ ? दस्तक ,लिस्ट .उंगलियाँ ..............और निबंघ तो बेहद निगूढ़ है .
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
सुन्दर अभिबयक्ति
अब मैं क्या कहूँ, दिल को बहुत करीब से टटोलती हुई आपकी ये बातें कुछ भी न कहने को मजबूर कर रही हैं
बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने..बहुत पसंद आई.
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'पाखी की दुनिया' में आज 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर 'वृक्ष कहीं न कटने पायें' !
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
आचार्य जी
Respected Verma Saheb,
कुछ शब्द लिखना तुम मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से पढ़ना चाहता हूँ
These couplets are the ever best expressed feelings that one can have on his journey.
Am very sorry that in between could not kept touch with you while your blessings was always with me for all the time.
This comments am posting from a new system where I didn't get support for HINDI Script. Please forgive am not pushing English this way.
I will be back in evening with some more details and going throgh some more of your expressions.
Lovingly Yours
Mukesh Kumar Tiwari
मन को छू गये भाव...
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रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
कुछ शब्द लिखना तुम मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से पढ़ना चाहता हूँ
बहुत ही दिलकश .... अच्छा प्रयोग है ... लाजवाब लिखा है ...
लगता है...बड़ी पुरानी निकाल लाए...
बेहतर....
उत्तम!
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब कविता! बहुत खूब!
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
सुन्दर अभिव्यक्ति...
कल मंगलवार को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
http://charchamanch.blogspot.com/
दिल को छूती एक बहुत ही मासूम सी रचना लेकिन प्रभाव में उतनी ही सशक्त ! अति सुन्दर !
आपके शानदार ह्रदय के प्रति सादर शुभकामनायें !
फिर श्रीमानजी का क्या हुआ ...??
kai baar padh chuki thi aapki rachna aur socha tha rev.de chuki hu. lekin na jane kaise rah gaya..bahut bheetar tak k man k bhavo ko saralta se ukerna aapki kalam ki khoobi hai. bahut acchhi rachna.badhayi.
aah..lazwaab..peeth par likha anumaan se padhna...kitna pyara bimb hai wo ... :) aur is kavita ka ant ..bahut zordar hai bahut pyari rachna
आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।
आचार्य जी
तुम श्वासों की गति पर भी ध्यान न देना मेरे श्वासों संग अनुनादित होकर इनका तीव्र होना तय है
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
अदभुत रचना सुन्दर अभिव्यक्ति
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...
...........बहुत खूब....
अति सुन्दर रचना
Bau jee,
Namaste!
Romani!! Bhavpoorn!!
Aur kuchh panktiyaan to bas.....
Peeth par likha anumaan se padhna...
Roothna, manana magar udaas na hona....
भावविभोर करती अतिमनमोहक रचना....
प्रशंसा में जो भी कहा जाय ...कम है....
आनंद आ गया पढ़कर....बहुत बहुत आभार...
कर रहे हैं होशों-हवास का दावा
कदम इधर, कभी उधर रखते हैं
.
हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं
कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं
पूरी रचना लाजवाब है । शुभकामनायें
umda abhivyakti...
http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_12.html
khoobsurat
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
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