गुरुवार, 3 जून 2010

तुम श्वासों की गति पर ध्यान न देना ~~


तुम तलाशना मत
अपने खोये 'खोयेपन' को
उसे तो
मैनें सहेज लिया है,
तुम श्वासों की गति पर भी
ध्यान न देना
मेरे श्वासों संग अनुनादित होकर
इनका तीव्र होना तय है,
कोई खास बात नहीं है
कमरे में रखी मोमबत्ती का
धीरे-धीरे पिघलना
यह पिघलन असर है
जलती लौ की तपिश का,
कुछ शब्द लिखना तुम
मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से
पढ़ना चाहता हूँ
वजह न होते हुए भी
बेशक तुम रूठ जाना
मनाना सीखा है
असर देखूँगा
बस्स,
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...

54 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खोयेपन को सहेजना...पीठ पर अनुमान से पढ़ना .......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

मिलकर रहिए ने कहा…

नाम बड़े और दर्शन छोटे : छोटे नहीं खोटे हैं महाशक्ति : नीशू तिवारी के रट्टू तोते हैं http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/06/blog-post_03.html अपनी राय देते जाना जी।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

कलात्मक सुन्दर अभिव्यक्ति सर...

अमिताभ मीत ने कहा…

लाजवाब !!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

वजह न होते हुए भी बेशक तुम रूठ जाना मनाना सीखा है असर देखूँगा बस्स,

बहुत सुन्दर लगा यह अंदाज़ ।

Udan Tashtari ने कहा…

अह्ह!! बहुत शानदार अभिव्यक्ति!! वाह!

दिलीप ने कहा…

badi hi sundar abhivyakti sirji...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लाजवाब जी आप की कविता, धन्यवाद

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छी अभिव्‍यक्ति !!

Ra ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... लाजवाब!!!!!!!!!!!!!!धन्यवाद

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ..... सुंदर रचना...

Razia ने कहा…

एहसासों को रंजित करती अद्भुत रचना

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जानें ..... मन ही मंदिर है !

आचार्य जी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

प्रगतिवादी कविता का सुन्दर आभास हुआ
आपकी इस रचना में!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

"बस्स, तुम उदास मत होना"

अच्छी , भावनाप्रधान रचना के लिए बधाई !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

कडुवासच ने कहा…

बस्स,
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा

... अदभुत भाव, प्रसंशनीय रचना,बधाई !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... लाजवाब!!

Dr. C S Changeriya ने कहा…

लाजवाब!

कलात्मक सुन्दर अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अपने और अपनों की श्वासों की गति पर ध्यान देना अंतरगता की क्रियात्मक अभिव्यक्ति है ।

sumit ने कहा…

hamesha ki tarah
ek aur jajbato ka samundar

kshama ने कहा…

तुम उदास मत होना

यहीं मैं चूक जाऊँगा

और तुम्हारे साथ साथ

मैं भी उदास हो जाऊँगा

मैं भी ...
Pata nahi aap itna sundar kaise likh jate hain!

Parul kanani ने कहा…

amazing thoughts!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

कुछ शब्द लिखना तुम

मेरी पीठ पर

मैं उन्हें अनुमान से

पढ़ना चाहता हूँ

वजह न होते हुए भी

बेशक तुम रूठ जाना

मनाना सीखा है

असर देखूँगा

बस्स,


शानदार !

rashmi ravija ने कहा…

अच्छी भावप्रवण रचना...

shikha varshney ने कहा…

पीठ पर अनुमान से पढ़ना ...वाह क्या अभिव्यक्ति है .
जबरदस्त.

vandana gupta ने कहा…

वाह वाह वाह्……………वर्मा जी ……………………।बेहद सुन्दर भाव संग्रह्……………॥भाव दिल मे सीधे उतरते चले गये।

लता 'हया' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया .
देर से दे रही हूँ फिर भी आपके ब्लॉग को एक साल पूरा होने की बहुत- बहुत बधाई .
आज फ़ुर्सत से हूँ तो सबको इत्मिनान से पढ़ रही हूँ .समझ नहीं पा रही कि किस किस कि तारीफ़ करूँ ? दस्तक ,लिस्ट .उंगलियाँ ..............और निबंघ तो बेहद निगूढ़ है .

Unknown ने कहा…

तुम उदास मत होना

यहीं मैं चूक जाऊँगा

और तुम्हारे साथ साथ

मैं भी उदास हो जाऊँगा
सुन्दर अभिबयक्ति

रचना दीक्षित ने कहा…

अब मैं क्या कहूँ, दिल को बहुत करीब से टटोलती हुई आपकी ये बातें कुछ भी न कहने को मजबूर कर रही हैं

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने..बहुत पसंद आई.

_______________________
'पाखी की दुनिया' में आज 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर 'वृक्ष कहीं न कटने पायें' !

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जानें .... मैं कौन हूं!

आचार्य जी

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

Respected Verma Saheb,

कुछ शब्द लिखना तुम मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से पढ़ना चाहता हूँ

These couplets are the ever best expressed feelings that one can have on his journey.

Am very sorry that in between could not kept touch with you while your blessings was always with me for all the time.

This comments am posting from a new system where I didn't get support for HINDI Script. Please forgive am not pushing English this way.

I will be back in evening with some more details and going throgh some more of your expressions.

Lovingly Yours

Mukesh Kumar Tiwari

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मन को छू गये भाव...
--------
रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कुछ शब्द लिखना तुम मेरी पीठ पर
मैं उन्हें अनुमान से पढ़ना चाहता हूँ

बहुत ही दिलकश .... अच्छा प्रयोग है ... लाजवाब लिखा है ...

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

लगता है...बड़ी पुरानी निकाल लाए...
बेहतर....

दिनेश शर्मा ने कहा…

उत्तम!

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब कविता! बहुत खूब!

Jyoti ने कहा…

तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा
मैं भी ...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

अर्चना तिवारी ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कल मंगलवार को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है



http://charchamanch.blogspot.com/

Sadhana Vaid ने कहा…

दिल को छूती एक बहुत ही मासूम सी रचना लेकिन प्रभाव में उतनी ही सशक्त ! अति सुन्दर !

Satish Saxena ने कहा…

आपके शानदार ह्रदय के प्रति सादर शुभकामनायें !

Satish Saxena ने कहा…

फिर श्रीमानजी का क्या हुआ ...??

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

kai baar padh chuki thi aapki rachna aur socha tha rev.de chuki hu. lekin na jane kaise rah gaya..bahut bheetar tak k man k bhavo ko saralta se ukerna aapki kalam ki khoobi hai. bahut acchhi rachna.badhayi.

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

aah..lazwaab..peeth par likha anumaan se padhna...kitna pyara bimb hai wo ... :) aur is kavita ka ant ..bahut zordar hai bahut pyari rachna

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।

आचार्य जी

स्वाति ने कहा…

तुम श्वासों की गति पर भी ध्यान न देना मेरे श्वासों संग अनुनादित होकर इनका तीव्र होना तय है
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

रंजू भाटिया ने कहा…

अदभुत रचना सुन्दर अभिव्यक्ति

Pawan Kumar ने कहा…

तुम उदास मत होना

यहीं मैं चूक जाऊँगा

और तुम्हारे साथ साथ

मैं भी उदास हो जाऊँगा

मैं भी ...

...........बहुत खूब....

अति सुन्दर रचना

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Bau jee,
Namaste!
Romani!! Bhavpoorn!!
Aur kuchh panktiyaan to bas.....
Peeth par likha anumaan se padhna...
Roothna, manana magar udaas na hona....

रंजना ने कहा…

भावविभोर करती अतिमनमोहक रचना....
प्रशंसा में जो भी कहा जाय ...कम है....

आनंद आ गया पढ़कर....बहुत बहुत आभार...

निर्मला कपिला ने कहा…

कर रहे हैं होशों-हवास का दावा

कदम इधर, कभी उधर रखते हैं

.

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं

कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं
पूरी रचना लाजवाब है । शुभकामनायें

sanu shukla ने कहा…

umda abhivyakti...

http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_12.html

ज्योति सिंह ने कहा…

khoobsurat
तुम उदास मत होना
यहीं मैं चूक जाऊँगा
और तुम्हारे साथ साथ
मैं भी उदास हो जाऊँगा