हथेली पर अपने ताज़ रखिये
कुछ तो नया अन्दाज़ रखिये
.
आप तो आप हैं, नाम बेशक
रीना, मेरी या शहनाज़ रखिये
.
ज़माना कान लगाये बैठा है
दफ़्न अपने कुछ राज़ रखिये
.
बेसुरापन है, शोर का मंजर है
संग अपने अपना साज़ रखिये
.
वज़ूद सलामत रखनी हो तो
निगाहों में आप बाज़ रखिये
.
सराहे कोई, क्यों है इंतजार
खुद ही खुद पर नाज़ रखिये
.
कल का इंतजार क्यूँ है भला
घरौन्दे की नींव आज रखिये
38 comments:
क्या खूब - एक एक छन्द जानदार है!
waah gazab ki shayriyon se shushobhit gazal...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत खूब
सुन्दर गज़ल
समसामयिक रचना
Tareef karoon kya uski.. jisne ise banaya.. :)
कुछ अलग सा अंदाज़ है आज वर्मा जी !
शुभकामनायें
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना जी
वज़ूद सलामत रखनी हो तो,
निगाहों में आप बाज़ रखिये
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...वर्मा जी बहुत बहुत बधाई
एक उम्दा ग़ज़ल...
वजूद सलामत रखनी हो तो
निगाहों में आप बाज़ रखिये .
बहुत खूबसूरत गज़ल.....
सराहे कोई, क्यों है इंतजार
खुद ही खुद पर नाज़ रखिये
.
कल का इंतजार क्यूँ है भला
घरौन्दे की नींव आज रखिये
Harek lafz apni jagah pe gadha hua lagta hai! Kamal kar dete hain aap!
बहुत ही सुन्दर और जानदार ग़ज़ल है ! पढके मज़ा आ गया !
एक एक शेर बेहद उम्दा है ...
हथेली पर अपने ताज़ रखिये
कुछ तो नया अन्दाज़ रखिये
छोटी बहर की बहुत ही सुन्दर ग़जल है!
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ......
.....
वाह के सिवाय और क्या ।
बहुत ही सुन्दर ।
शानदार गज़ल। मान गए साहब
कल का इंतजार क्यूँ है भला
घरौन्दे की नींव आज रखिये
Bahut sundar, varmaa sahaab !
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
्क्या कहूँ…………………॥बेहद उम्दा, शानदार,गज़ब की प्रस्तुति।
हथेली पर अपने ताज़ रखिये
कुछ तो नया अन्दाज़ रखिये
.bahut khoob
सराहे कोई, क्यों है इंतजार
खुद ही खुद पर नाज़ रखिये
वाह !!!!!!!!! क्या बात है..... अच्छी है ग़ज़ल .शानदार जानदार और क्या कहूँ..........
बहुत खूब........
कुछ अलग सा अंदाज़ है आज वर्मा जी !
शुभकामनायें
कल का इंतजार क्यूँ है भला
घरौन्दे की नींव आज रखिये
वाह वर्मा जी ... ग़ज़ल का हर शेर नयी बात कहता है ... सुभान अल्ला .... लाजवाब शेरों का पुलिंदा ...
वज़ूद सलामत रखनी हो
तो निगाहों में आप बाज़ रखिये
बहुत खूब !
बहुत अच्छा लिखा है.सटीक!
sir..sundar pravah mein likhi gazal hai aapki :)
क्या खूब - एक एक शे’र वज़्नदार है!
सराहे कोई, क्यों है इंतजार खुद ही खुद पर नाज़ रखिये ...
बहुत खूब वर्मा जी... नयापन है अंदाजे-बयां में और खूबसूरत भाव हैं... क्या कहने...
कविता क्या खूब कही है
यही अपना अंदाज़ रखिये...
आभार...
bahut hi shandar.bar bar padhne ko man kar gaya.
poonam
वज़ूद सलामत रखनी हो तो,
निगाहों में आप बाज़ रखिये
बहुत खूब ....आभार !!
ये गजल का नया नया लहजा,
और ये लफ्ज़ लफ्ज़ का जादू,
किस्से सीखा है हमको बतलाओ.
आपने तो कमाल ही कर दिखाया. मैं सम्भवतः सोमवार दोपहर बाद दिल्ली पहुँचूँगा. अगर भेंट हो सकी तो गजलों पर विस्तार से वार्ता करेंगे.
yaha to har sher apne me ek raaz rakhe huai hai.
bahut umda gazel.
जैसी जानदार शुरुवात है ग़ज़ल की , वैसी ही पूरी भी हुई । अपना साज तो बहुत खूब कहा , अपने अन्दर से ही भरे पूरे रहें .... और इसी घरौंदे की नींव कल क्यों आज और अभी रख लें ।
कल का इंतजार क्यूँ है भला
घरौन्दे की नींव आज रखिये
....prasanshaneey rachanaa,badhaai !!!
बहुत सुन्दर लिखा आपने अंकल जी !
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'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करें !!
waah sir waah kya likha hai aapne pad kar dil khush ho gaya.......
is gazal ki har pankhti nayab ehsaason ko liye huye hai jo mann ki gehraiyon ko chu jati hai.....
समर्थ छन्द लिखे हैं आपने ! बेहतरीन !
Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!
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