आपने मना ली? गए मनाली! यह क्यों नहीं बताते कि इस बात पर आप तो हँसते रहे खिलखिला! उसके घर वाले कितने गए तिलमिला। --- शब्दों के साथ किए गए ये छोटे-छोटे प्रयोग काफी रोचक लगते हैं।
Pahla wala to bahut hi kamaal ka bana hai par Dhrishtta ke liye muafi chahta hoon Varma sir lekin Mana li ka pryog kachcha sa laga kyonki maine usko mana li, sahi hindi hui kahan hai?
32 comments:
चाकर है तो नाचा कर
ना चाकर तो ना नाचा कर
बहुत बढ़िया वर्मा जी...
लाजवाब...!!
हमेशा की तरह इस बार भी शब्दों का खेल दिलचस्प है !
चलो मनाली ही सही..कम से कम मान तो गई.
बढ़िया.
... कुछ समय से गजब की तुकबंदीपूर्ण रचनाएं पढने मिल रहीं है ...बेहद ही प्रसंशनीय रचनाएं, बहुत बहुत बधाई!!!
आपने मना ली?
गए
मनाली!
यह क्यों नहीं बताते
कि इस बात पर
आप तो हँसते रहे
खिलखिला!
उसके घर वाले
कितने गए
तिलमिला।
--- शब्दों के साथ किए गए ये छोटे-छोटे प्रयोग काफी रोचक लगते हैं।
शब्दों का अच्छा प्रयोग, बधाई।
बहुत सुंदर, जबरदस्त कंपोजिशन.
रामराम.
बहुत खूब शब्दों का प्रयोग....बहुत बढ़िया...
Wah! Til mila aur manali...!Aap gazab ke mahir hain shabdon se khelne me...aur sandhi vichhed karne me!
बहुत खूब
शब्दों का खेल दिलचस्प है !
बेवजह तो नहीं
वह रहा है -
तिलमिला,
उसके हिस्से
बिना तेल का
तिल मिला.
Kya maharat hasil hai aapko!
लाजवाब!
are waah manane ke liye manali......
वह रूठी थी
मैनें तो मना ली,
पर इसके लिये मुझको तो
ले जाना पड़ा उसे मनाली ..
बहुत खूब वर्मा जी ... इसी बहाने आप भी गर्मी से दूर ठंडक में आ गये ...
बहुत लाजवाब ...
Manali le jana ......... waah ji aise hi sab manaya kare.....
:-)
बहुत बढ़िया है जी।
मनाली पहुँच
शुरू हुआ फिर
यह सिलसिला,
कुर्ता पजामा
मैं नाप का
सिलवाना चाहता था
वो खरीद लाई
सिलसिला !
शब्द तो Rubic Cube का मजा देते हैं। कई कॉम्बिनेशन में ढ़ल जाते हैं।
वाह...दोनों ही क्षणिकाएं बेजोड़ हैं...
दूसरी वाली को पढ़ मुस्कान पसर गयी होंठों पर..
"मनाली" और ''मना ली" का अभिनव प्रयोग किया है आपने..
वाह...दोनों ही क्षणिकाएं बेजोड़ हैं...
दूसरी वाली को पढ़ मुस्कान पसर गयी होंठों पर..
"मनाली" और ''मना ली" का अभिनव प्रयोग किया है आपने..
वाह बहुत खूब लिखा है आपने ! चलिए मनाली ले जाना सार्थक हुआ! वैसे मनाली बहुत ही सुन्दर जगह है! ख़ूबसूरत रचना!
तिल तिला
तिल मिला
म नाली
मना ली
न हिली डा
ली... इइइइई
shabdo ka khel.....lajawab.
Pahla wala to bahut hi kamaal ka bana hai par Dhrishtta ke liye muafi chahta hoon Varma sir lekin Mana li ka pryog kachcha sa laga kyonki maine usko mana li, sahi hindi hui kahan hai?
वह रूठी थी
ले जाना पड़ा उसे
मनाली.
..... Chalo bahut achha hai....
"मनाली" और ''मना ली"
दिलचस्प!dono kshanikayen achchee लिखी हैं.
बहुत सुंदर रचना...
छोटी सी अत्यंत प्यारी रचनाये,,, क्या कहूँ क्या ना कहूँ... बारम्बार पढता रहा...
कृपया एक बार मेरी नयी गजल अवश्य पढ़ें...
http://knkayastha.blogspot.com/2010/04/blog-post.html
आपकी टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी...
अति सुंदर ! यमक का प्रयोग अच्छा लगा बधाई !
gajab ka.... shabdo ka khel khelna aapse seekhe koi.......
मजा आ गया.. सुंदर तुकबंदी... सर आपकी हर रचना उत्क्रीसठ होती है
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