सारी उम्र कटी यूँ तो सिपहसालारी में
मारा गया बेरहमी से मगर वो यारी में
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इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का
पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में
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बहुत ढूढ़ा खोया था जो इकलौता बीज
अंकुरित हुआ तो मिला इस क्यारी में
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बीहड़ों में से हो आया बेखौफ मुसाफिर
लुटा तो आकर वो अपनी रिश्तेदारी में
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लहुलुहान हर फूल है देखो दुबका हुआ
जब से कैक्टस आ पहुँचा फुलवारी में
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बेमौत मरा पीठ पर खाकर वो गोली
पेट की खातिर खोखे चुनते चाँदमारी में
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कितने मासूम परस्त हैं यहाँ के लोग
देखना हो आकर देखो तुम निठारी में
38 comments:
सारी उम्र कटी यूँ तो सिपहसालारी में
मारा गया बेरहमी से मगर वो यारी में
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इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का
पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में
Aapke lekhan pe comment karun itni qabiliyat hi nahi mujhme!Sirf ek shabd...gazab!
लहुलुहान हर फूल है देखो दुबका हुआ
जब से कैक्टस आ पहुँचा फुलवारी में
क्या कहूँ इन शानदार शेरो के लिये
बहुत सुंदर रचना जी
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
verma ji aapki tareef ke liye....
बहुत शानदार गज़ल है, वाह!
इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का
पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में
एक से बढकर एक शे’र से सजी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल।
एक एक शेर बहुत खूब है....
कितने मासूम परस्त हैं यहाँ के लोग
देखना हो आकर देखो तुम निठारी में
बहुत संवेदनशील....
मोती चुन कर लाये है आप बहुत खूब
बहुत ढूढ़ा खोया था जो इकलौता बीज
अंकुरित हुआ तो मिला इस क्यारी में
...बेहतरीन,लाजबाव गजल, बधाईंया!!!!
nice
मासूम परस्ती देखनी हो देखें आकर निठारी में ...
इस पंक्ति पर तो बस दिल ही बैठ जाता है ....युत तो सरे शेर लाजवाब हैं ....
आभार ...!!
@ यूँ तो सारे
इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में ... ..
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
jitni bhi tareef ki jaye kam hai.. bas sirf chandmari ka matlab na pata hone ki wajah se wahin thoda thithka. abhar
बेमौत मरा पीठ पर खाकर वो गोली
पेट की खातिर खोखे चुनते चाँदमारी में
very nice and very original...
bahut hi gahan aur umda prastuti.........har sher lajawaab.
bahut hi badhiyaa sanyojan
बीहड़ो में से हो आया बेख़ौफ़ मुसाफिर
लुटा भी तो आकर रिश्तेदारी में
बहुत खूब वर्मा साहब !
गज़ब का लिखा है । पूर्णतः सच और सामयिक ।
इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का
पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना आभार ...
बहुत ढूढ़ा खोया था जो इकलौता बीज
अंकुरित हुआ तो मिला इस क्यारी में
बीहड़ों में से हो आया बेखौफ मुसाफिर
लुटा तो आकर वो अपनी रिश्तेदारी में
बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! दिल को छू गयी आपकी ये भावपूर्ण रचना! बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
ज्वलंत मुद्दों को उठाया है आपने हर शेर में ... आम आदमी से जुड़े शेर ... बहुत ही ग़ज़ब की अभिव्यक्ति वर्मा जी ...
एक से एक बेहतरीन शेर , मजा आ गया
Imtehaan to tha mahaz kuchh ghanton ka,
Poora saal nikal gaya dekho taiyyari mein!!!
Wah!
Nithari se aapka matlab Noida/Ghaziabad wale Nithari se hai shayad!
Phr se dukh hua!
varma ji behtareen..bahut badhiya gazal prstut kiya aapne main pahunch nahi paya tha aapke blog par kshama kare..aur jaise hi paya jaise khajana mila....sundar bhav..dhanywaad vamra ji
बहुत याद की और जोर डाला दिमाग पर
किंतु
किंतु एक लाइन भी न गुनगुना सकी
वजह यही रही कि इन बेहतरीन व भावपूर्ण लाइनों
का जिक्र तक न कर सकी अपने ब्लॉग पर
क्षमा करें ....
यूं तो कविता की हर लाइन अपनेआप में भावपूर्ण है मगर अंतिम लाइनों
"कितने मासूम परस्त हैं यहाँ के लोग देखना हो आकर देखो तुम निठारी में"
को सुनकर निठारी का कुकृत्य आंखों के सामने छा गया ....,
बीहड़ों में से हो आया बेखौफ मुसाफिर
लुटा तो आकर वो अपनी रिश्तेदारी में
bahut hi sundar Verma ji.
वाह | घर वालों ने प्यार जता कर गैरों ने मक्कारी से /मुझको तो मिल जुल कर लूटा सबने बारी बारी से |
बहुत ढूढ़ा खोया था जो इकलौता बीज
अंकुरित हुआ तो मिला इस क्यारी में
sabse pasandida ......!!
लहुलुहान हर फूल है देखो दुबका हुआ
जब से कैक्टस आ पहुँचा फुलवारी में
waah.....!!
kaise pakad lete hain itani gahrai se ......??
कितने मासूम परस्त हैं यहाँ के लोग
देखना हो आकर देखो तुम निठारी में
....बहुत सही लिखा अंकल जी...
लहुलुहान हर फूल है देखो दुबका हुआ
जब से कैक्टस आ पहुँचा फुलवारी में
......बहुत सुंदर रचना
कितने मासूम परस्त हैं यहाँ के लोग
देखना हो आकर देखो तुम निठारी में
Padhkar aansoo nikal aye...ye kaisa sach likh diya aapne..sharm se har insaan ka sar jhuk jana chahiye..(agar thodi si insaniyat bachi ho to)!
बहुत सुंदर प्रस्तुती ! निठारी याद आई तो घाव हरे हो गये !आभार !
कवि को सलाम। रचना को सजदा।
हर शब्द, है अलहदा।
और क्या कहूँ।
खूब लिखा आपने. मनोभावों की विलक्षण दुनिया..बेहतरीन.
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"शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण
mast!!!!!!!!
kya khoob likha hai..
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