आपने
मेरे हर मसले पर
अपना बेबाक
नज़रिया दिया,
ये अलग बात है कि
इन्हें पूरा करने को
आपने तो कोई भी
न ज़रिया दिया.
~~~~~
मेरे तेरे बीच
अब तो कोई रहा
ना राज,
फिर क्यूँ रहती हो तुम
अक्सर मुझसे
नाराज.
~~~~~~~
उसकी तो
अब बस यही है
लालसा,
कि गोदी में आ जाये
अब कोई
लाल सा.
26 comments:
बेहतरीन और लाजवाब
मन को भा गईं या
यूं कहूं कि
मन में समा गईं।
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
शब्दों का चातुर्य और भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बेहतरीन रचना!
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
बहुत बढ़िया रहा ये परीक्षण।
लाज़वाब वर्मा जी।
उसकी तो
अब बस यही है
लालसा,
कि गोदी में आ जाये
अब कोई
लाल सा.
बेहतरीन !
अति सुंदर
उसकी तो
अब बस यही है
लालसा,
कि गोदी में आ जाये
अब कोई
लाल सा.
वाह ,,,,,,,,,,क्या खूब भावों को बुना है।
तीनो क्षणिकाएं लाजवाब हैं....बहुत खूब..शब्दों के प्रयोग में बहुत चातुर्य दिखाया है...अच्छा लगा
बहुत ख़ूबसूरत,भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने!
लाल सा की लालसा बहुत खूब रही!
लाल कि लालसा ..बहुत खूब..वैसे तीनो क्षणिकाएं लाजबाब हैं
एकदम सटीक।
Bahut hi lajawaab rachana...dhanywaad!
Raamnavami ki shubhkaamanae!!
बहुत सूंदर नाईस नाईस जी.
धन्यवाद
एक एक क्षणिका अपने में गहरा अर्थ समेटे हुए
आपने
मेरे हर मसले पर
अपना बेबाक
नज़रिया दिया,
ये अलग बात है कि
इन्हें पूरा करने को
आपने तो कोई भी
न ज़रिया दिया.
सुन्दर क्षणिकायें. आभार.
वाह वर्मा जी ।
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.मन को छू गयीं
हां कभी कभी लाल ही बहुत सी उलझने सुलझाने वाला होता है। बहुत से समीकरण एक झटके में बदलते हैं उसके आने से।
वाह वाह ... वर्मा जी ... आपका हाथ चूमे का दिल करता है ... कहा कहा से ढूँढ कर उलट फेर कर रहे हैं ... मज़ा आ गया ...
होंठो पर मुस्कराहट ला देती हैं आपकी ये क्षणिकाएं वर्मा सर..
अदभुत है ,लाजवाब है सर बधाई
wah man bhai shabdon ki jadugari. bahut khoob.
waah.......bahut hi badhiyaa
क्षणिकाएं बेहतरीन हैं।
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