बुधवार, 24 मार्च 2010

उसकी लालसा ~~~

आपने

मेरे हर मसले पर

अपना बेबाक

नज़रिया दिया,

ये अलग बात है कि

इन्हें पूरा करने को

आपने तो कोई भी

न ज़रिया दिया.

~~~~~

मेरे तेरे बीच

अब तो कोई रहा

ना राज,

फिर क्यूँ रहती हो तुम

अक्सर मुझसे

नाराज.

~~~~~~~

उसकी तो

अब बस यही है

लालसा,

कि गोदी में आ जाये

अब कोई

लाल सा.

26 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बेहतरीन और लाजवाब
मन को भा गईं या
यूं कहूं कि
मन में समा गईं।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

Razia ने कहा…

शब्दों का चातुर्य और भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन रचना!

-

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत बढ़िया रहा ये परीक्षण।
लाज़वाब वर्मा जी।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

उसकी तो

अब बस यही है

लालसा,

कि गोदी में आ जाये

अब कोई

लाल सा.

बेहतरीन !

Girish Billore Mukul ने कहा…

अति सुंदर

vandana gupta ने कहा…

उसकी तो

अब बस यही है

लालसा,

कि गोदी में आ जाये

अब कोई

लाल सा.

वाह ,,,,,,,,,,क्या खूब भावों को बुना है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तीनो क्षणिकाएं लाजवाब हैं....बहुत खूब..शब्दों के प्रयोग में बहुत चातुर्य दिखाया है...अच्छा लगा

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत,भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

लाल सा की लालसा बहुत खूब रही!

shikha varshney ने कहा…

लाल कि लालसा ..बहुत खूब..वैसे तीनो क्षणिकाएं लाजबाब हैं

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

एकदम सटीक।

रानीविशाल ने कहा…

Bahut hi lajawaab rachana...dhanywaad!
Raamnavami ki shubhkaamanae!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सूंदर नाईस नाईस जी.
धन्यवाद

sonal ने कहा…

एक एक क्षणिका अपने में गहरा अर्थ समेटे हुए

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

आपने

मेरे हर मसले पर

अपना बेबाक

नज़रिया दिया,

ये अलग बात है कि

इन्हें पूरा करने को

आपने तो कोई भी

न ज़रिया दिया.

सुन्दर क्षणिकायें. आभार.

शरद कोकास ने कहा…

वाह वर्मा जी ।
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.मन को छू गयीं

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

हां कभी कभी लाल ही बहुत सी उलझने सुलझाने वाला होता है। बहुत से समीकरण एक झटके में बदलते हैं उसके आने से।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह वाह ... वर्मा जी ... आपका हाथ चूमे का दिल करता है ... कहा कहा से ढूँढ कर उलट फेर कर रहे हैं ... मज़ा आ गया ...

दीपक 'मशाल' ने कहा…

होंठो पर मुस्कराहट ला देती हैं आपकी ये क्षणिकाएं वर्मा सर..

अजय कुमार ने कहा…

अदभुत है ,लाजवाब है सर बधाई

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah man bhai shabdon ki jadugari. bahut khoob.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah.......bahut hi badhiyaa

Kulwant Happy ने कहा…

क्षणिकाएं बेहतरीन हैं।