Monday, March 22, 2010

सर से ऊपर गया पानी ~~~

पानी है तो जिन्दगानी है, पर पानी जब सर से ऊपर चला जाये तो? आज विश्व जल दिवस के अवसर पर मेरी रचना का पुनर्वाचन करें

पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें

14 comments:

डॉ टी एस दराल said...

कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी

पानी ज़रुरत भी , मुसीबत भी ।
न हो तो मुश्किल , पानी ही हो तो भी मुश्किल।

जल दिवस पर बढ़िया लगा ये सन्देश।

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

अच्छी प्रस्तुति.........
..........
विश्व जल दिवस....नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?.
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html

संजय भास्‍कर said...

जल दिवस पर बढ़िया लगा ये सन्देश।

Yashwant Mehta "Yash" said...

जल दिवस पर बढ़िया सन्देश।

विवेक सिंह said...

गज़ब कर गया पानी ।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी

समयचक्र said...

जल का संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है .... बढ़िया सामयिक प्रेरक आलेख .....

sonal said...

बहुत खूब ....मन को छूने वाली रचना

shikha varshney said...

bahut gazab ka hai pani..sundar prastuti

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

विश्व जल दिवस के मौके पर एक कीमती रचना.

हरकीरत ' हीर' said...

विश्व जल दिवस के मौके पे सुंदर रचना .....!!

Pawan Kumar said...

कब तक रहोगे हालात के गिरफ्त में
उठो, देखो तो सर से ऊपर गया पानी
जल दिवस पर ही नहीं .......हर रोज़ इन पंक्तियों कि सार्थकता लगती है......! जल ही जीवन है ...इस उदघोष को समझने में आपकी कविता प्रभावी है....!

दिगम्बर नासवा said...

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ....
आज के दिन को याद करती अच्छी रचना ...

रचना दीक्षित said...

बहुत खूब सर
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून
पानी गए न उबरे मोती मानूस चुन