ज़मीत बेचने की सोची पर जमीर को ये गवारा न था ...... बहुत ही गहरी सोच ..... लाजवाब लिखा है वर्मा जी .. पर आज के जमाने में कितने लोग हैं जिनका जमीर बिकने से माना करता है ....
wah.. kamaal fir se.. :) इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे.. ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना.. लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है.. कोई बाहर का पक्का रंग लगाना.. के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये.. ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये.. इस बार.. ऐसा रंग लगाना... (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
55 comments:
खबर मिली कि वह दरिया में डूब गया. nice
बहुत ही गहरी भवनाए लिये सुन्दर अभिव्यक्ति ...आभार!
बहुत सुन्दर भाव
सुंदर भाव और अभिव्यक्ति !!
जमीर के आगे मौत का सौदा..!
जमीर वाले को मंजूर नहीं होता....
..अच्छा सन्देश देती है यह कविता.
प्यास इतनी बढ़ी
कि वह जीवन से ऊब गया
अंततोगत्वा,
खबर मिली कि
वह दरिया में डूब गया.
गज़ब...
बेहतरीन। लाजवाब।
वाह बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.
रामराम.
दोनों क्षणिकाएं बहुत गहरे अर्थ लिए हुए हैं...बहुत अच्छी
उसने भी
ज़मीर बेचने को सोचा
पर उसके ज़मीर को
यह गंवारा न था.
बहुत सुंदर जज्बात जनाब
बहुत खूब , लाजवाब लगा ।
बहुत गहन रचना! वाह!
सुंदर भाव और अभिव्यक्ति !!
जमीर को जमीर बेचना गंवारा नहीं हुआ ....मतलब जमीर अभी भी जिन्दा था ...जो बेच पाते हैं जमीर तो उनमे भी होता है मगर मारा हुआ ....
भावपूर्ण ...!!
दोनों शब्द-चित्र सुन्दर हैं!
वाह ,गागर में सागर।
wah pani hi pani.
बहुत बढ़िया ....
वाह वर्मा जी...लाज़वाब....खूबसूरत क्षणिकाएँ
दोनों बेहतरीन और लाजवाब क्षणिकाएं ..
Seedhe saral alfaaz aur samandar-si gahari baat!
बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! बधाई!
ज़मीत बेचने की सोची पर जमीर को ये गवारा न था ...... बहुत ही गहरी सोच ..... लाजवाब लिखा है वर्मा जी ..
पर आज के जमाने में कितने लोग हैं जिनका जमीर बिकने से माना करता है ....
जमीर के आगे मौत का सौदा..!
जमीर वाले को मंजूर नहीं होता..
बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये कविता। शुभकामनायें
gazab kar diya..............bahut hi gahan ..........aaj to tarif ke liye shabd nhi mil rahe.
गहरी और गूढ़ बात
बहुत सुन्दर भाव और सटीक अभिव्यक्ति!
उसने भी, ज़मीर बेचने को सोचा
पर उसके ज़मीर को, यह गंवारा न था.
....बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति,बधाई !!!!
बहुत बढ़िया लगी दोनों ही गहन भाव शुक्रिया
sach kahte hain ........
pata hai baimaani hi aage bad rahi hai magar kya zameer karne deta hai ........
baimaani chori bhi sabke bas ki baat nahi hai
dhaar tez hai aapki kalam ki
पीना न आये तो दरिया पाकर भी हम डूब हीं जाते हैं...
जमीर के आगे मौत का सौदा..!
जमीर वाले को मंजूर नहीं होता....
..अच्छा सन्देश देती है यह कविता
बहुत अचछी अभिव्यक्ति....
sundar bhav purn post
उफ़. क्या बात कही.
गहरे अर्थ लिए दोनों ही क्षणिकाएं बहुत बहुत सुन्दर !!! लाजवाब !!!
shuru ki panktiyon ne to kamaal kar diya...bahut sundar...
बहुत ही गहरे भावों को प्रस्तुति करती ये क्षणिकाएं ।
आपको और आपके समस्त परिवार को होली की शुभ-कामनाएँ ...
Holi mubarak ho!
verma ji, holi ki mangalkaamnayen, aapko aur aapke pariwar ko.
आज तो कुछ अलग सा मिला आपसे ! होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें
एक एक क्षण में युगों की बात. बहुत खूब.
वर्मा जी, होली की अनेकों शुभकामनाये...और ह्रदय से आभार की आप मुझे प्रोत्साहित करते रहें हैं...
चंद शब्दों में बहुत कुछ
गहरा अहसास कराती दोनों क्षणिकाएं बे मिसाल हैं
बधाई,
होली के इस पावन पर्व पर भी आपको हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
रंग बिरंगे त्यौहार होली की रंगारंग शुभकामनाए
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
wah.. kamaal fir se.. :)
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
दोनों क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं !
मन मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आपको होली की रंरंगीली बधाई.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !!
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
आपके आने से होली का आनंद दोगुना हुआ , आभारी हूँ ! स्नेह के लिए धन्यवाद ! ईश्वर से आपके लिए प्रार्थना होगी !
सादर
उसने सुना
ज़मीर बेच कर लोग
सुकून से रहते हैं,
उसने भी
ज़मीर बेचने को सोचा
पर उसके ज़मीर को
यह गंवारा न था.
bahut hi badi baat kah di is nanhi rachna ne ,holi parv ki aapko haardik shubhkaamnaaye
बहुत ही गहरे भावों को प्रस्तुति करती ये क्षणिकाएं ।
Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!
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