धरती के आंचल में आज,
रची हुई रंगोली है
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
*
जो चूल्हा नाराज न होवे,
गर तवा न आपा खोवे,
सुबह का भूला लाल जो लौटे,
फिर थाली में दाल जो लौटे,
वर्ना हर बात ठिठोली है,
तन भीगे से क्या होता है
मन भीगे तो होली है!
*
साजिश भरी जो आहट कम हो,
चीनी की कड़वाहट कम हो,
सम्बन्धों को आयाम मिले,
श्वासों की अकुलाहट कम हो,
वर्ना यह ढोल तो पोली है,
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
*
अमराई की जो गन्ध मिले,
शब्दों को नूतन छन्द मिले,
उड़ने को आमादा है जो,
उसको आकाश निर्द्वन्द मिले,
शहद सरीखा जब कानों में,
मिठास भरी हर बोली हो,
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
37 comments:
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
... बहुत खूब, लाजबाब !!
...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
... बहुत खूब, लाजबाब !!
...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!
होली की सतरंगी शुभकामनायें
बहुत सुन्दर भाव ।
होली के सही मायने बताये हैं आपने ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें।
बेहतरीन!!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
होली में डाले प्यार के ऐसे रंग
देख के सारी दुनिया हो जाए दंग
रहे हम सभी भाई-चारे के संग
करें न कभी किसी बात पर जंग
आओ मिलकर खाएं प्यार की भंग
और खेले सबके साथ प्यार के रंग
मिठास भरी हर बोली हो, तन भीगे से क्या होता है, मन भीगे तो होली है!
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
रंग बिरंगे त्यौहार होली की रंगारंग शुभकामनाए
साजिश भरी जो आहट कम हो,
चीनी की कड़वाहट कम हो,
सम्बन्धों को आयाम मिले,
श्वासों की अकुलाहट कम हो,
वर्ना यह ढोल तो पोली है,
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
सही बात है तन भीगे से क्या होता है जब तक मन न भीगे। सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये बधाई होली की हार्दिक शुभकामनायें
wah verma ji , akhiri chhand behatareen.. shubhkaamnayen.
"जो चूल्हा नाराज न होवे,
गर तवा न आपा खोवे,
सुबह का भूला लाल जो लौटे,
फिर थाली में दाल जो लौटे,
वर्ना हर बात ठिठोली है,.."
सच्ची बात तो यही है । खूबसूरत प्रविष्टि । आभार ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें ।
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
बहुत खूबसूरत भाव से सजी है ये रचना....मन बिना भीगे तो संवेदना ही नहीं होंगी....खूबसूरत
होली की बधाई
होली की शुभकामनाएँ!
waah ........kya baat kahi hai........ek shashwat satya..........dil ko bahut gahre tak chhoo gayi aapki ye rachna .........kuch aisa hi maine bhi apne blog par likha hai ......holi ki hardik shubhkamnayein.
http://vandana-zindagi.blogspot.com
अच्छा लिखा है। होली की शुभकामनाएं।
बेहतर रचना...
शुभकामनाएं...
बहुत खूब, लाजबाब होली की शुभकामनाएं...
साजिश भरी जो आहट कम हो,
चीनी की कड़वाहट कम हो,
सम्बन्धों को आयाम मिले,
श्वासों की अकुलाहट कम हो,
वर्ना यह ढोल तो पोली है,
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
behtareen bhav hain..holi ke sahi mayenne..Aapko holi ki samst shubhkamnaye.
सुबह का भूला लाल जो लौटे, फिर थाली में दाल जो लौटे, वर्ना हर बात ठिठोली है..
Kya baat hai!Shubkamnayen.
धरती के आंचल में आज,
रची हुई रंगोली है
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
Sahi kaha...holi mubarak ho!
बहुत बढ़िया बेहतरीन लिखते हैं आप होली मुबारक शुक्रिया
बहुत सुन्दर...होली कि हार्दिक शुभकामनाएँ
भीग रहा है मन! क्या होली है!मुबारक!
वाह, होली की शुभ कामनाए!
अमराई की जो गन्ध मिले,
शब्दों को नूतन छन्द मिले,
उड़ाने को आमादा है जो,
उसको आकाश निर्द्वन्द मिले,
शहद सरीखा जब कानों में,
मिठास भरी हर बोली हो,
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
बहुत बढ़िया लिखा है!
होली की शुभकामनाएँ!
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
बहुत सुंदर भाव लिये आप की यह सुंदर कविता.
धन्यवाद
सुन्दर भाव की कविता
bilkul dil ki baat kah di aapne sir.. shukriya...
आदरणीय,
सदर नमस्कार
बहुत सुन्दर भावो से सजी रचना जो वाकई होली का सही मतलब बयां कर रही है !
ईश्वर से यही प्रार्थना है की अबकी बार प्रेम और सदभावना, शांति में सभी के मन भी तर ब तर हो जाए ..!!
होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाए !! सादर
सुंदर सन्देश देती अच्छी कविता.
सच वर्मा साहेब कल ऐसी ही थी होली
तन भीगे से क्या होता है,
मन भीगे तो होली है!
मन को भिगो गए एक .....?
mann se hi to baat banti hai, bahut achhi rachna
tan to ab bhig chuka hai
man ka pata nahi
acchi kavita hai
रंग दें रंग दे रंग दे रंग दे रंग दे रंग दे .... गोरी चुनरियाँ रंग दे ....
अमराई की जो गन्ध मिले,
शब्दों को नूतन छन्द मिले,
उड़ने को आमादा है जो,
उसको आकाश निर्द्वन्द मिले ..
बहुत ही सुंदर पंक्तिया हैं .... होली मधुर, शांत और गाम्भीर्य भी होती है .... आपकी रचना में यह स्पष्ट बात है ....
बहुत अच्छी रचना ...
बहुत सुन्दर भाव लिए..बहुत प्यारी कविता है..होली "तन भीगे से क्या होता है...मन भीगे तो होली है"...अति सुन्दर !
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
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