Monday, August 10, 2009

बिस्तर क्यूँ इतना सलवटी होता है ~~

*
मौसम जब कभी पंचवटी होता है
बिस्तर क्यूँ इतना सलवटी होता है
*
जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है
*
जब कभी तुम्हें आस-पास पाता है
बावरा मन बेबजह ही नटी होता है
*
क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर सामान यहाँ तो बनावटी होता है
*
सजने को आतुर होता है मन मेरा
रूबरू जब पैकर तेरा लटी होता है
*

40 comments:

निर्मला कपिला said...

सुन्दर रचना बधाई

आमीन said...

गुड है सर जी... बहुत अच्छा लिखा है..
लग रहा है की कोई तड़प बाहर आ रही है

Razia said...

जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है
बहुत गहरे भाव --- सुन्दर गज़ल
बेहतरीन रचना --- बेहतरीन शेर

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है

वाह !

दिगम्बर नासवा said...

जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है

लाजवाब शेर है वर्मा जी ........ सब के सब ......... अलग अंदाज़ है कहने का ......... पूरी ग़ज़ल के तो क्या कहने

mehek said...

जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है
waah gehre bhav,har sher ka ek alag izaz hai,behtarin.badhai

Unknown said...

maza aa gaya ghazal baanch kar...........
kya jkhoob !
bahut khoob !
badhaai !

vikram7 said...

अति सुन्दर, बधाई

रंजू भाटिया said...

क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर चीज़ यहाँ तो बनावटी होता है
बहुत सुन्दर .

Manish Kumar said...

ग़ज़ल के सारे शेर उम्दा हैं।
हालाँकि आपने ता को दोहराने के लिए ये शेर लिखा होगा
क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर चीज़ यहाँ तो बनावटी होता है

पर चीज़ तो हमेशा बनावटी होती है। पढ़ने में थोड़ा अटपटा लगा अगर यहाँ कुछ दूसरा सोचें तो ग़ज़ल का लुत्फ़ जरूर बढ़ जाएगा।

M VERMA said...

मनीष जी
धन्यवाद आपका जो आपने त्रुटि की ओर ध्यान दिलाया. मैने आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर दिया है.
पुन: धन्यवाद

अर्चना तिवारी said...

बहुत सुन्दर रचना...बहुत गहरे भाव

हरकीरत ' हीर' said...

मौसम जब कभी पंचवटी होता है
बिस्तर क्यूँ इतना सलवटी होता है

तौबा.......!!

जब कभी तुम्हें आस-पास पाता है
बावरा मन बेबजह ही नटी होता है

बहुत खूब....!!

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त!!

मजा आ गया.

पहला शेर अपने आप में पूरी बात कह गया.

Unknown said...

pehli baar aapka blog padha hai..bahut hi achcha likha hai...
:)

Urmi said...

कमाल का रचना लिखा है आपने! बहुत ही ख़ूबसूरत और गहराई के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना बहुत अच्छा लगा!

गुंजन said...

बहुत ही सुन्दर और अच्छी रचना।

गज़ल के अशआर अपनी बात कह जाते हुये मखमली अहसास जगाते हैं।

पत्रिका-गुंजन

एक साहित्यिक पहल से जुड़ने के लिये आप आमंत्रित हैं।

दर्पण साह said...

जहाँ दम तोड़ती हैं डूबकर फितरतें
वो तो जज़्बात का तलहटी होता है


kitna satik kaha hai aapne...

जब कभी तुम्हें आस-पास पाता है
बावरा मन बेबजह ही नटी होता है
kisi ne kya khoob kaha hai aapki tarah:
ishq nachaya kar thayya, thayya!!

सदा said...

क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर चीज़ यहाँ तो बनावटी होता है

हर शेर बहुत ही वजनदार बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति आभार्

अमित said...

बहुत गहराई है ग़ज़ल में ... हर शेर अहसासों से लबरेज .. बहुत बधाई

Arshia Ali said...

बहुत ही प्यारी ग़ज़ल.
{ Treasurer-T & S }

sanjay vyas said...

आज दूसरी बार आपके ब्लॉग पर आकर फिर से पढ़ी है.कोई भी शेर कमतर नहीं और हर शेर अपने भावों को लगभग पूरा अभिव्यक्त करता.

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' said...

आपके ज़ज्ब्बातों को मेरा प्रणाम ! अनुभूती की तीव्रता से मन धन्य हुआ ...........आभार , आपकी रचना-धर्मिता का नया सेवक

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

बहुत खूबवर्मा जी एक बेहतरीन रचना और कितना भी छुपाओ मित्र दिल की पीडा उभर कर बाहर जरुर आती है इस शेर ने सोचने को मजबूर कर दिया
क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर सामान यहाँ तो बनावटी होता है
मेरी बधाई स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

बहुत खूबवर्मा जी एक बेहतरीन रचना और कितना भी छुपाओ मित्र दिल की पीडा उभर कर बाहर जरुर आती है इस शेर ने सोचने को मजबूर कर दिया
क्या दूं तुम्हें, दिल के सिवा बोलो
हर सामान यहाँ तो बनावटी होता है
मेरी बधाई स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

vandana gupta said...

waah..........waah......har sher lajawaab.

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह!!!अति सुन्दर रचना,बधाई..

विनोद कुमार पांडेय said...

जब कभी तुम्हें आस-पास पाता है
बावरा मन बेबजह ही नटी होता है
yah swbhav hota hai un logo ka jinaki chahat javan hoti hai..

aapne bade sundar bhav piroye hai..

ओम आर्य said...

behad khubsoorat nazam jisame ek se badhakar ek gahare utarate huye bhaw hai .............sundar

Yogesh Verma Swapn said...

kya dun tumhen...................... banavati hota hai.

wah. verma ji , behatareen rachna ke liye badhaai.

Akanksha Yadav said...

Bahut khub...behad pyari gazal.

sandhyagupta said...

Bahut khub likha hai.Shubkamnayen.

shama said...

'हर सामान यहाँ बनावटी होता है ..! कितना सच है ..आज भी मुझे कहा जाता है, 'थोड़ा तो दिखावा किया करो '!

http://shamasansmaran.blogspot.com

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Unknown said...

बस सर पढ़कर मजा आ गया। गजल के हर शे'र ने दिल को छू लिया।

Arshia Ali said...

Sach kahaa.
{ Treasurer-S, T }

Unknown said...

अति सुन्दर रचना के लिए बधाई .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

ताऊजी लठ्ठ वाले said...

बहुत लाजवाब जी.

रामराम.

•๋:A∂i™© said...

Bahut achha likha hai sir ji ...

bahut kuchh sikhne mila hai,
pehli baar visit ki aapke blog par,
ab se regularly kiya karunga.
bahut sundar bhav se likhte hain aap..


Kabhi mere blog pe bhi nazar-e-karam kijiyega aur apne sujhav dijiyega..

mera blog -
www.soz-e-dil.blogspot.com

Unknown said...

Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!