Wednesday, July 8, 2009

मुस्कराहट का मुखौटा ---!!!



सांझ ढलते ही दोपहर देखा है
जब से निगाहों में खंडहर देखा है

इतने आत्मघाती जज़्बात हो गये
लहरों पे तिरता ये शहर देखा है

चौराहे खडे़ हैं उफ! खंजर लेकर
उनके रिसाले का असर देखा है

पूछना मत पता किसी
शख्स का
हर एक को मैंने दर-बदर देखा है

खूब बिकेगा मुस्कराहट का मुखौटा
सिसकता हुआ चेहरा घर-घर देखा है

मासूम चेहरों पर यकीन करें कैसे
वहशियों का मैंने जब कहर देखा है

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा है

32 comments:

mehek said...

bahut badhiya

Shruti said...

bahut khoob..

mere blogs par bhi aapka swagat hai...
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Mumukshh Ki Rachanain said...

शानदार ग़ज़ल के हर शेर तारीफ के योग्य.

बधाई स्वीकार करें.

चन्द्र मोहन गुप्त

USHA GAUR said...

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा है
हर शेर बहुत खूबसूरत

ओम आर्य said...

najar aaftaab me jahar dekha hai ............bahut hi sundar bhaaw hai ............gahari bhaw bhi wyakt karate hai ..........achchhi rachana

Prem Farukhabadi said...

मासूम चेहरों पर यकीन करें कैसे
वहशियों का मैंने जब कहर देखा है

verma ji bahut sundar!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मासूम चेहरों पर यकीन करें कैसे
वहशियों का मैंने जब कहर देखा है

बेहतरीन शेर के लिए बधाई।

Anonymous said...

खूब बिकेगा मुस्कराहट का मुखौटा
सिसकता हुआ चेहरा घर-घर देखा है

... बहुत खूब

वीनस केसरी said...

चौराहे खडे़ हैं उफ! खंजर लेकर
उनके रिसाले का असर देखा है

पूछना मत पता किसी शख्स का
हर एक को मैंने दर-बदर देखा है


बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
वीनस केसरी

स्वप्न मञ्जूषा said...
This comment has been removed by the author.
स्वप्न मञ्जूषा said...

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा है

हर शेर बे-मिसाल है...
वाह वाह ...
बहुत खूब, क्या बात है...
बेहतरीन....

हमने भी आपकी कलम का
जबरदस्त असर देखा....

Razia said...

चौराहे खडे़ हैं उफ! खंजर लेकर
उनके रिसाले का असर देखा है
कितने असरदार है ये शेर -- बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बहुत खूब

Urmi said...

वर्मा जी बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! दिल की गहराई से हर एक पंक्तियाँ आपने इतना शानदार लिखा है कि तारीफ करने के लिए शब्द कम पर रहे हैं! मुझे आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी!

shama said...

Aap jis tarah rachna karte hain, mai nishabd ho jaatee hun..!

Aapki hausala afzaayee aur zarranawazee ke liye tahe dil se shukr guzaar hun..

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anil said...

बहुत सुन्दर रचना आभार !

रश्मि प्रभा... said...

बहुत ही अच्छी......

सदा said...

इतने गहरे भावों के साथ हर पंक्ति को सहेजकर आपकी यह गजल वास्‍तव में बहुत ही लाजवाब है आभार्

Himanshu Pandey said...

"खूब बिकेगा मुस्कराहट का मुखौटा
सिसकता हुआ चेहरा घर-घर देखा है"

बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने । आभार ।

M VERMA said...

उर्वर प्रतिक्रियाओ से धन्य हुआ. प्रेरक है आपकी हौसला आफजाई.

रंजू भाटिया said...

खूब बिकेगा मुस्कराहट का मुखौटा
सिसकता हुआ चेहरा घर-घर देखा है

bahut khub kaha sahi kaha

दिगम्बर नासवा said...

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा है

लाजवाब ग़ज़ल है......... सब शेर एक से बढ़ कर एक हैं............ आपका ये अंदाज़ भी लाजवाब है

शोभना चौरे said...

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा ह
bhut achhi gjal .ytharthvadi.
dhnywad

vandana gupta said...

kya khoob likha hai.......har pankti mein ek dard ka sailaab nazar aata hai.

मुकेश कुमार तिवारी said...

वर्मा साहब,

क्या कमाल की गज़ल कही है, हर इक शेर दूसरे से बेहतर :-

चौराहे खडे़ हैं उफ! खंजर लेकर
उनके रिसाले का असर देखा है

पूछना मत पता किसी शख्स का
हर एक को मैंने दर-बदर देखा है

खूब बिकेगा मुस्कराहट का मुखौटा
सिसकता हुआ चेहरा घर-घर देखा है

आप, ऐसी ही खूबसूरत नज़्में कहते रहें और हमें पढ़वाते रहिये।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

vikram7 said...

दरख्त छांव देने से मना कर रहे
नज़र ए आफताब में ज़हर देखा है
हर शेर खूबसूरत....बधाई

जितेन्द़ भगत said...

आज के जमाने की हकीकत बयॉं कर दी-
पूछना मत पता किसी शख्स का
हर एक को मैंने दर-बदर देखा है

निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्ड said...

क्या ख़ूब ग़ज़ल है, हर शेर क़ाबिले तारीफ़
बधाई हो....

रश्मि प्रभा... said...

सही कहा....दरख्त छाँव देने से इनकार कर रहे हैं,
बहुत खूब

अर्चना तिवारी said...

ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है... सुन्दर भावाभिव्यक्ति...हर शेर बहुत खूबसूरत

ज्योति सिंह said...

ada ji ki pasand aur vichar dono se sahamat hoon .umda

Anonymous said...

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Anonymous said...

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