हवा के रूख का हवाला मत दो
मुझे अपने मन से निकाला मत दो
.
जिस उजास में गुम होने लगे वजूद
ऐसी रोशनी औ ऐसा उजाला मत दो
.
जिसे पढ़कर माहौल उदास हो जाए
मेरे हाथ में ऐसा कोई रिसाला मत दो
.
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो
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तुम्हारी मुस्कान का तिलिस्म, उफ़ --
फूल से दिखते खार की माला मत दो
22 comments:
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो.
achchhi ghazal bahut khoob
verma ji , bahut achcha likha hai, badhai.
shaandaar ghazal.........
jaandaar ghazal......
लाजवाब गजल
thanks
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो
बहुत खूब
बहुत सुन्दर शेर
वीनस केसरी
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो
--बहुत गहरा शेर कहा!! बेहद जबरदस्त!! साधुवाद जनाब ऐसा उम्दा शॆर कहने के लिए.
सभी लाइनें बेहतरीन .
बहुत खूब
शानदार, मन को छु कर झकझोर देने वाली ग़ज़ल का निम्न शेर सबसे ज्यादा पसंद आया...........
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो.
बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
bahut khoob.....
dil se badhai....
har bar ki tarah ek bar fir shndar rachna padai hai aapne...
ek bar fir badhai....
वर्मा जी बहुत बडिया गज़ल है
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो.
बिलकुल सटीक अभिव्यक्ति है बधाई
बहुत ही अच्छी गजल
...ऐसी पाठशाला मत दो...
खूब लिखा है आपने। साधुवाद।
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो
बेहतरीन ....
वर्मा जी बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ है
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चर्चा । Discuss INDIA
bas likhte rahiye...ekdum flawless aur adbhut likhte hai aap...exceptional
bahut badhiya likha hai .....badhaai
बहुत ही ख़ूबसूरत, शानदार, जानदार और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार ।
जिस उजास में गुम होने लगे वजूदऐसी रोशनी औ ऐसा उजाला मत दो
bhut umda likha hai.
वर्माजी ,ब्लॉग पर हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया ,
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम ऐसी पाठशाला मत दो ,
सच कहा आज पाठशाला से निकला शक्स शालीन व सुसंस्कृत न होकर वाइल्ड और नफरत से सराबोर होता है हम और आप शिक्षक हैं ,हमें देखना होगा कि कहाँ चूक हो रही है ,आज स्कूलों को राजनीति का अखाडा बना दिया गया है ,जो स्थान कभी देवस्थान की तरह पूजा जाता था वह आज हर प्रकार के कुकर्मों का अड्डा बनता जा रहा है हम शिक्षकों को अपनी भूमिका पर विचार करना होगा ,बच्चे तो मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें किस सांचे में ढालना है ,यह हमारे समाज हमारे राजनीतिज्ञों को बैठकर सोचना होगा ,तभी कुछ परिवर्तन हो सकता है ,बधाई |
वर्मा साहब,
गज़ल बहुत ही अच्छी है, कुछेक शेर लाजवाब हैं बिल्कुल दिल के करीब पहुँचते हैं :-
जिसे पढ़कर माहौल उदास हो जाए
मेरे हाथ में ऐसा कोई रिसाला मत दो.
नफरती जुनून लेकर निकलते हैं बच्चे
ऐसी तालीम, ऐसी पाठशाला मत दो.
आपका आशीर्वाद मिला, शुक्रिया।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
bahut hi karara vyang kar diya cartoon par....is line par banata to jyada achha rahta...aapki tippni padkar bahut der se huns raha hu....
dhanywad......
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