शुभचिंतकों के गले में माला
बुरी नज़र वाले का मुँह काला
.
वारदात से दूर बहुत था मैं
फिर क्यूँ मेरा नाम उछाला
.
ज़ज्बात हमारे बिखर गए थे
टुकड़े- टुकड़े इसे संभाला
.
सिसक रहे अरमान हमारे
तुमने ऐसी नज़र क्यों डाला
.
विश्वासों को कैसे संबल दूँ
कैसे दिखलाऊ अपना छाला
.
बिके हुओं ने बेचा मुझको
ज़ालिम तूने क्या कर डाला
.
चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
19 comments:
बहुत सही!!
बहुत खूब वर्मा जी। लीजिये मैं भी कुछ जोड़ देता हूँ आपकी ही तर्ज पे -
शासन करते भ्रष्टाचारी
राष्ट्रभक्त को देश निकाला।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कभी कभी बुरी नजर से प्रभावित हो ही जाता है हमारा जीवन .. शुभकामनाएं।
bahut hi dilchasp.........
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...........खुबसूरत रचना
चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
bahut sundar yathaarth.
badhaai varmaaji !
... bahut khoob !!!!
बहुत ही ख़ूबसूरत और दिलचस्प कविता लिखा है आपने जो दिल को छू गई!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार ।
वर्मा जी आपका ब्लॉग अच्छा लगा।
एक शेर ये भी देख ले-
प्रजातन्त्र की महिमा देखो,
दागी संसद को कर डाला।।
बहुत खूब
बीके हुयो ने बेचा मुझको
जालिम तुने क्या कर डाला
चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्
चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्
चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्
sundar kriti hai ...
badhai
वारदात से दूर बहुत था मैंफिर क्यूँ मेरा नाम उछाला.ज़ज्बात हमारे बिखर गए थेटुकड़े- टुकड़े इसे संभाला.सिसक रहे अरमान हमारेतुमने ऐसी नज़र क्यों डाला.
kya baat hai ?ati uttam .
ghazab...chhote chhote vaakyo ka jadoo
bahut hi sunder rachna hai...
shyamlal suman ji,prem ji,dr.roop chandra ji, ko bhi rachna aage badane ke liye dhanyad...
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