Monday, June 22, 2009

बुरी नज़र वाले का मुँह ----




शुभचिंतकों के गले में माला


बुरी नज़र वाले का मुँह काला


.


वारदात से दूर बहुत था मैं


फिर क्यूँ मेरा नाम उछाला


.


ज़ज्बात हमारे बिखर गए थे


टुकड़े- टुकड़े इसे संभाला


.


सिसक रहे अरमान हमारे


तुमने ऐसी नज़र क्यों डाला


.


विश्वासों को कैसे संबल दूँ


कैसे दिखलाऊ अपना छाला


.


बिके हुओं ने बेचा मुझको


ज़ालिम तूने क्या कर डाला


.


चौराहों से क्यूँ हो शिकायत


चौराहों ने मुझको पाला

19 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

श्यामल सुमन said...

बहुत खूब वर्मा जी। लीजिये मैं भी कुछ जोड़ देता हूँ आपकी ही तर्ज पे -

शासन करते भ्रष्टाचारी
राष्ट्रभक्त को देश निकाला।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

संगीता पुरी said...

कभी कभी बुरी नजर से प्रभावित हो ही जाता है हमारा जीवन .. शुभकामनाएं।

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi dilchasp.........

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...........खुबसूरत रचना

Prem Farukhabadi said...

चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला

bahut sundar yathaarth.

Unknown said...

badhaai varmaaji !

कडुवासच said...

... bahut khoob !!!!

Urmi said...

बहुत ही ख़ूबसूरत और दिलचस्प कविता लिखा है आपने जो दिल को छू गई!

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, आभार ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वर्मा जी आपका ब्लॉग अच्छा लगा।
एक शेर ये भी देख ले-

प्रजातन्त्र की महिमा देखो,
दागी संसद को कर डाला।।

शोभना चौरे said...

बहुत खूब
बीके हुयो ने बेचा मुझको
जालिम तुने क्या कर डाला

निर्मला कपिला said...

चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्

निर्मला कपिला said...

चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्

निर्मला कपिला said...

चौराहों से क्यूँ हो शिकायत
चौराहों ने मुझको पाला
ये तो जमाने का चलन है जो पालता है शिकायत भी उसी से होती है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आभार्

Dabral said...

sundar kriti hai ...
badhai

ज्योति सिंह said...

वारदात से दूर बहुत था मैंफिर क्यूँ मेरा नाम उछाला.ज़ज्बात हमारे बिखर गए थेटुकड़े- टुकड़े इसे संभाला.सिसक रहे अरमान हमारेतुमने ऐसी नज़र क्यों डाला.
kya baat hai ?ati uttam .

Sajal Ehsaas said...

ghazab...chhote chhote vaakyo ka jadoo

cartoonist anurag said...

bahut hi sunder rachna hai...
shyamlal suman ji,prem ji,dr.roop chandra ji, ko bhi rachna aage badane ke liye dhanyad...