Tuesday, May 26, 2009

सूरज की ओर नज़र कर देखिये --


जिन्दगी मुझ सा बसर कर देखिये

बस्ती-ए-कातिल में ठहर कर देखिये


खूं का रंग हो चुका होगा सफ़ेद

ऊँगलियाँ अपनी कुतर कर देखिये


बुलंदियां ख़ुद ब ख़ुद मिल जायेगी

गहराइयों में आप उतर कर देखिये


दर्दे-शिकन मुस्कराकर छुपाते हैं

इनके करीब से गुज़र कर देखिये


तपिश ज़िन्दगी की रूबरू होगी

सूरज की ओर नज़र कर देखिये

6 comments:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

Sajal Ehsaas said...

khoon ka rang ho chuka safed.....kya kamaal ka khyaal hai...kya vichaar hai :)

www.pyasasajal.blogspot.com

M Verma said...

thans for nice comments

रंजना said...

Waah ! waah ! waah ! lajawaab !!

Bahut bahut sundar !!

वीनस केसरी said...

सभी शेर पसंद आये
खूबसूरत गजल

वीनस केसरी

Unknown said...

Hi,

Thank You Very Much for sharing this great post.

knee joint relief | Restless legs syndrome symptoms | Athlete's Foot Symptoms | Girnar Mountain Ropeway Project

I voted it also as "The Best".

-Thanks for sharing

- Pallavi Joshi

Senior Account