जिन्दगी मुझ सा बसर कर देखिये
बस्ती-ए-कातिल में ठहर कर देखिये
खूं का रंग हो चुका होगा सफ़ेद
ऊँगलियाँ अपनी कुतर कर देखिये
बुलंदियां ख़ुद ब ख़ुद मिल जायेगी
गहराइयों में आप उतर कर देखिये
दर्दे-शिकन मुस्कराकर छुपाते हैं
इनके करीब से गुज़र कर देखिये
तपिश ज़िन्दगी की रूबरू होगी
सूरज की ओर नज़र कर देखिये
6 comments:
बेहतरीन!!
khoon ka rang ho chuka safed.....kya kamaal ka khyaal hai...kya vichaar hai :)
www.pyasasajal.blogspot.com
thans for nice comments
Waah ! waah ! waah ! lajawaab !!
Bahut bahut sundar !!
सभी शेर पसंद आये
खूबसूरत गजल
वीनस केसरी
Hi,
Thank You Very Much for sharing this great post.
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I voted it also as "The Best".
-Thanks for sharing
- Pallavi Joshi
Senior Account
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