बुधवार, 17 अप्रैल 2019

घड़ियाली आँसू अब बहाये जायेंगे ...

तरकश के सारे तीर चलाये जायेंगे
शफ्फाक धवल वस्त्र सिलाये जायेंगे 

जिनकी आँखे पथरा गयी हैं उनमें
आयातित सपने भी जगाये जायेंगे

वायदों के तिलस्मी दीवार के पीछे
आस के मृगछौने भटकाये जायेंगे

ताकि झूठ का जाल नज़र न आये    
देखना अब गंगाजल उठाये जायेंगे

ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहा है   
घड़ियाली आँसू अब बहाये जायेंगे 

6 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

जिनकी आँखे पथरा गयी हैं उनमें
आयातित सपने भी जगाये जायेंगे

...वाह...आज कल के हालात पर बहुत सुन्दर और सटीक ग़ज़ल...

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!!

आपका ईमेल मिला. मैने तीन चार लोगों से टेस्ट करवाया. उन सब से खुल गया मेरा ब्लॉग. आप एक बार और देख कर बताईये प्लीज.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-04-2019) को "जगह-जगह मतदान" (चर्चा अंक-3310) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Meena sharma ने कहा…


वायदों के तिलस्मी दीवार के पीछे
आस के मृगछौने भटकाये जायेंगे
गजब !

संजय भास्‍कर ने कहा…

जिनकी आँखे पथरा गयी हैं उनमें
आयातित सपने भी जगाये जायेंगे

.... सुन्दर और सटीक

Pawan Kumar ने कहा…

Beautiful