Sunday, March 24, 2019

सांस जब टूट गयी..... गज़ल

धूप में देखिये पसीना सुखाने आया है
खंजरों को वह जख्म दिखाने आया है

नींद में चलते हुए यहाँ तक पहुंचा है
लोगों को लगा कि राह बताने आया है

गफलत की जिंदगी के मर्म को जाना
फितरत को जब वह आजमाने आया है

राह में जिसके पलके बिछाते रहे हम
आज वो हमको आँखे दिखाने आया है

सांस टूट गयी, बिखर गया जब वजूद
देखिये आज वो रिश्ता निभाने आया है 

19 comments:

  1. वाह! बहुत शानदार ग़ज़ल।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  2. सुभान अल्ला ...
    हर शेर गज़ब बात कहता है ... दिली दाद वाह वाह निकलती है हर शेर पर ...

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 27 मार्च 2019 को साझा की गई है..
    http://halchalwith5links.blogspot.in/
    पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।

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  5. वाह बहुत सुंदर 👌👌

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  6. वाह!!!बहुत ही लाजवाब गजल
    एक से बढकर एक शेर

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  7. हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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  8. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(18-7-21) को "प्रीत की होती सजा कुछ और है" (चर्चा अंक- 4129) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  9. बहुत अरसे बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ ।
    बेहतरीन ग़ज़ल ।
    हर शेर जीवन की हकीकत को बयां करता हुआ । बहुत खूब ।

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  10. वाह क्या बात है ।

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  11. वाह वाह बहुत खूब

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  12. बेहतरीन सृजन ।

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