जज़्बात

संस्कारित-सभ्यों के बीच आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

मिट न सकी लिपि

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कितनी गूँजती हैं — खामोशी से कही बातें ; न जाने कहाँ गुम हो गईं — रोशनी से नहाई रातें।   स्मृतियों में सिमट गई है पलकें झपकाकर सब क...
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मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

सत्ता का स्व-घोषित घोषणापत्र

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  हाँ , हमें याद हैं हमारे द्वारा किए गए तमाम वायदे। हमने पहले भी कहा था और आज भी कह रहे हैं - कभी न कभी हम इन्हें पूरा करेंगे। ...
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रविवार, 30 नवंबर 2025

अर्थ-विसर्जन (The Immersion of Meaning)

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चलते चलते   ये कहाँ आ गया मैं जुमलों की घास उगी है जहाँ शब्द बिखरे पड़े हैं ,  पर अर्थ खो दिए हैं   - खुद अपने ‘ अर्थ ’   रास्ते भटक गए हैं औ...
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शनिवार, 29 नवंबर 2025

“तुम्हारी सोच जलेगी — वह नहीं।” .... (पत्नी कोई वस्तु या खिलौना नही)

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  पत्नी होती है — सहचर , साथी , चलती है कदम से कदम , पर तुम्हारी परछाई बनकर नहीं। वह थकती है , सोचती है , उलझती है , टूटती है , और फि...
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गुरुवार, 27 नवंबर 2025

"जानबूझकर अधूरा"

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  पहले हर काम मैं परफ़ेक्शन से कर देता था , और वो उलझ जाती थीं — क्योंकि उन्हें मौका नहीं मिलता था मुझसे  शिकवा करने का।   मैं...
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मंगलवार, 25 नवंबर 2025

“पीड़ा का मैग्मा — और आसन्न विस्फोट”

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  जमा हो रहा है असीमित मात्रा में लोगों के अन्दर पीड़ा का मैग्मा … जिसे बाहर आने पर उन्होंने प्रतिबंध लगा रखा है … यह मैग्मा दिन...
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शनिवार, 22 नवंबर 2025

एहसासो के शव

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  मैं अक्सर कमरे का दरवाज़ा खोलने से डरता हूँ , क्योंकि मुझे पता है कमरे के अंदर बिना सुसाइड नोट के पंखे से लटके मिलेंगे — मेरे कुछ एहस...
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शनिवार, 15 नवंबर 2025

मुझे अच्छी लगती हैं वे लड़कियाँ

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मुझे अच्छी लगती हैं वे लड़कियाँ जो झीरी-भर रोशनी को क़िस्मत का वरदान मानने से इंकार कर देती हैं — जो अँधेरे की औक़ात पहले ही कदम पर तय क...
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गुरुवार, 13 नवंबर 2025

ब्लास्ट हो चुका है #DelhiBlast

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ब्लास्ट हो चुका है, अब यह शहर हाई अलर्ट पर रहेगा तीन-चार दिनों तक। सारे तंत्र व्यस्त हो जाएंगे — आंकड़े छुपाने में, और अपनी अहमियत दर्शाने म...
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गुरुवार, 6 नवंबर 2025

ज़ख्मों की दास्ताँ -

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 न कागज़ चाहिए, न चाहिए कलम, दिल ही काफी है लिखने को ग़म हर एक जख्म में दास्ताँ लिखी है, तुम जो पढ़ लो तो हो जाए कम शीशे का दिल मेरा बिखर जायेग...
13 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 3 नवंबर 2025

अनछुआ स्पर्श -----

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जानना है मुझे - बर्फ या अंगारा हो मेरे लिए तुम मुकम्मल सहारा हो टिकते क्यूँ नहीं एक दर पर तुम यकीनन - तुम तो कोई सैय्यारा हो बहुत सूकुन है त...
12 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025

धर्म खतरे में है

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  वह व्यस्त था  अपने कारोबार में वह खुश था  अपने परिवार में वह रात को देर से सोया था सुमधुर सपने में खोया था अचानक वह झिझोड़कर उठाया गया और उ...
15 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025

‘टारगेट’ पर तेरा सर (गजल)

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  दवा की जगह वे जहर रखेंगे हालात पे फिर वे नजर रखेंगे   यूँ तो हौसला देंगे दौड़ने का मगर रास्ते में वे पत्थर रखेंगे   खबरों के लि...
8 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 7 अगस्त 2019

सूरज से टकराया

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आतुर सुलझाने को उलझा धागा वह जागा उठकर भागा, सूरज से टकराया चकराया, गश खाया जीवन को दे डाला जीवन का वास्ता रास्ते पर वह या उसक...
10 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 11 जून 2019

अपराधो पर अंकुश का 'रामबाण'

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नवगठित सरकार आरम्भ से ही सक्रिय हो गयी. जनता की परेशानियो को समझने के लिये समितिया गठित की गयी. सभी समितियो ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की...
9 टिप्‍पणियां:
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M VERMA
वाराणसी में पला-बढ़ा, दिल्ली में अध्यापन कार्य में संलग्न था। जब कभी मैं दिल के गहराई में कुछ महसूस करता हूँ तो उसे कविता के रूप में पिरो देता हूँ। अभिनय भी मेरा शौक है।
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