गुरुवार, 5 जुलाई 2012

दाल में सब काला है ….



यही तो गड़बड़झाला है 
दाल में सब काला है 

ओहदे पर तो होगा ही   
वो जब उसका साला है 

कैसे कहें जो कहना है 
मुंह पर लगा ताला है 

शायद किस्मत साथ दे 
सिक्का  फिर  उछाला है 

शब्दों के बगावती तेवर 
परेशानी में वर्णमाला है 

किरदार समझने लगे हैं 
दुनिया एक रंगशाला है 

जख्मों ने मेरे जिस्म को 
समझ लिया धर्मशाला है

48 टिप्‍पणियां:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

छोटी बहर में करारा कटाक्ष करते हुए इतनी कसी हुई गज़ल कम ही देखने को मिलती है।

तंज के साथ-साथ...

किरदार समझने लगे हैं
दुनियाँ एक रंगशाला है।

..में गहरा दर्शन और

ज़ख्मों ने मेरे जिस्म को
समझ लिया धर्मशाला है।

...में जिंदगी का दर्द बयान होता है।

एक शब्द में कहना हो तो यही कहेंगे..
..बेहतरीन!

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

जख्मों ने मेरे जिस्म को
समझ लिया धर्मशाला है ....

जाने का नाम ही नहीं लेता ....

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

यूँ प्यारी कविता रची गयी है
क्योंकि डाला सही मसाला है...

:-)

सादर
अनु

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कैसे कहें जो कहना है
मूंह पर लगा ताला है .

अपनी भी यही हालत है के हम कुछ कह नहीं सकते .
बहुत बढ़िया बातें कहीं हैं , छोटी बह्र की ग़ज़ल में .

kshama ने कहा…

जख्मों ने मेरे जिस्म को

समझ लिया धर्मशाला है
Zakhm to dil ke bharte nahee....shareer ke to phirbhi bhar jate hain!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ओहदे पर तो होगा ही

वो जब उसका साला है

.बहुत धारदार गज़ल ... तीखा प्रहार

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

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बेहतरीन रचना

सावधान सावधान सावधान
सावधान रहिए



♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥


♥ शुभकामनाएं ♥

ब्लॉ.ललित शर्मा
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प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही गहरा, सन्नाट कटाक्ष..

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

'verma' ji k shabdo ki chot hai to
kuchh to tevar me garm-masala hai.

वाणी गीत ने कहा…

किरदार समझने लगे हैं , दुनिया रंगशाला है ...
जख्मों को कलेजे क्या लगाया , धर्मशाला समझ कर बस गये ...
बेहतरीन !

Amrita Tanmay ने कहा…

तेज़ धार सी वार करती हुई गजल..कमाल...

अनुपमा पाठक ने कहा…

परेशानी में वर्णमाला है

बहुत खूब!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दाल में अब काला ही काला है

अरुन अनन्त ने कहा…

बेहद खुबसूरत ! क्या बात

रविकर ने कहा…

एक एक शब्द भावों में ढाला है |
यह प्रस्तुतियों में सबसे आला है |

बुरी नजर वाले का, शर्तिया मुंह काला है |
क्या खूब गजल रच डाला है

Satish Saxena ने कहा…

बड़ी तीखी कलम है आपकी भाई जी , बधाई इस प्रभावशाली रचना के लिए !

Satish Saxena ने कहा…

बड़ी तीखी कलम है आपकी भाई जी , बधाई इस प्रभावशाली रचना के लिए !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बगावती तेवर दिखा,अपने को मुश्किल फसा डाला है
कोई हिकमत काम न देगी,क्यों की उसका साला है,,,,

RECENT POST...: दोहे,,,,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (07-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

किरदार समझने लगे हैं
दुनिया एक रंगशाला है...

Pallavi saxena ने कहा…

यथार्थ का सटीक चित्रण करती पोस्ट ....

सदा ने कहा…

किरदार समझने लगे हैं
दुनिया एक रंगशाला है

वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

Satish Saxena ने कहा…

वा वाह ...वा वाह ..
बधाई !

vandana gupta ने कहा…

धारदार गज़ल्।

vandana gupta ने कहा…

dhardar gazal

Anjani Kumar ने कहा…

ओहदे पर तो होगा ही

वो जब उसका साला है

acute sarcasm .....par aajkal yahi hota hai

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा...

शिवनाथ कुमार ने कहा…

बेहतरीन कटाक्ष .......
सुंदर ......!!

Asha Joglekar ने कहा…

और दिल को चुभन दे दे कर
पिन कुशन बना डाला है ।

prritiy----sneh ने कहा…

bahut khoob kaha.... laybadhbadh gungunate hue kataksh

shubhkamnayen

Asha Joglekar ने कहा…

शब्दों के बगावती तेवर

परेशानी में वर्णमाला है ।


क्या बात है, बहुत बढिया ।

mridula pradhan ने कहा…

bahot achche.....

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

ज़ख्मों ने मेरे जिस्म को
समझ लिया धर्मशाला है
- निराली अभिव्यक्ति !

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल 14/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (कुलदीप सिंह ठाकुर की प्रस्तुति में ) लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

Rohitas Ghorela ने कहा…

बेहद लाजवाब रचना मन को भा गयी ... आपकी इस रचना के लिए मैंने "नई-पुरानी हलचल" पर भी टिप्पणी की है।
आभार !!

my first short story:-  बेतुकी खुशियाँ

Unknown ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति .....आप भी पधारो स्वागत है ,....मेरा पता है
http://pankajkrsah.blogspot.com

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति।
मेरे ब्लॉग पर स्वागत है।

ZEAL ने कहा…

Awesome creation !

Satish Saxena ने कहा…

कहाँ खोये हो वर्मा जी ...?
शुभकामनाएं !

Asha Joglekar ने कहा…

वर्मा जी कितने महीने हो गये.....नई पोस्ट तो बनती है ।

karuna ने कहा…

किरदार समझने लगे दुनियां एक रंगशाला है
सच में कम शब्दों द्वारा एक सशक्त अभिव्यक्ति है बधाई

karuna ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

बेनामी ने कहा…

बेहद खुबसूरत ! क्या बात

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

नई पोस्ट?

बेनामी ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना की प्रस्‍तुति।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर भावनायें