शुक्रवार, 22 जून 2012

जिस्म पर कीलें गाड़ देता है ….


मेरा रहबर हर कदम पर मुझको पहाड़ देता है
सूरज के कहर से बचाने के लिए ताड़ देता है
.
आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
.
हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है
.
नयन नीर से सिंचित ज़ज्बाती इन पौधे को
देखा उसने जब भी जड़ से ही उखाड़ देता है
.
कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से
बेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है
.
वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर
मासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है
.
दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

37 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति सर जी ||

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिके लिये,,,,बधाई बर्मा जी,,,,

MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...

अरुन अनन्त ने कहा…

वाह क्या बात है उम्दा प्रस्तुति

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेहतरीन गजल ...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है

हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है

Waah !

समय चक्र ने कहा…

आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है

. बहुत बढ़िया गजल प्रस्तुति... आभार

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह.............

बहुत खूब...

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

लाजवाब गज़ल...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए

इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है



वाह ! गहरी सोच . बढ़िया रचना .

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया सर!



सादर

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

isi ko to kahte hain kary-kaushal aur raajneeti.

सदा ने कहा…

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
वाह ... बहुत खूब ... गहन भाव संयोजित किये हैं आपने इस प्रस्‍तुति में ।

अनुपमा पाठक ने कहा…

बहुत खूब!

vandana gupta ने कहा…

मेरा रहबर हर कदम पर मुझको पहाड़ देता है

सूरज के कहर से बचाने के लिए ताड़ देता है

्शानदार गज़ल्……………हर शेर लाजवाब्।

Amrita Tanmay ने कहा…

रहबर ऐसा हो तो फिर क्या बात हो..उम्दा...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

लाजवाब करते अशआर.... शानदार गजल...
सादर बधाई स्वीकारें.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेहरतीन रचना..

ZEAL ने कहा…

हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा

पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है ..

very touching couplets...

.

वाणी गीत ने कहा…

आशियाना बनाने में मशगूल जाने कितने छप्पर फाड़ देता है ...
सभी पंक्तियाँ लाजवाब हैं !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है

बहुत ही बढ़िया.....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा

पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है

... !!! इस स्थिति को कैसे सुलझाऊं मैं

Kailash Sharma ने कहा…

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए

इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

....बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल....हरेक शेर बहुत उम्दा...

रचना दीक्षित ने कहा…

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

बेहतरीन गज़ल. और लफ्जों के नश्तर क्या बात है.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है ...

ये तो आज जग की रीत हो गयी है ... अपना घर बनाते बनाते दूसरों का घर उजाड़ने की ...
बाहर ही खूबसूरत सजग शेर हैं सभी ...

अशोक सलूजा ने कहा…

वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर

मासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है

.खूबसूरत... जिन्दगी के मोड़

रचना ने कहा…

कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से

बेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है

bahut khub

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मुझे तो मक्ते का यह शेर लाज़वाब लगा...

दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है

Pallavi saxena ने कहा…

वाह बहुत खूब अनुपम भाव संयोजन अंतिम पंक्तियों ने कमाल कर दिया....

Jyoti Mishra ने कहा…

very powerful verses..
totally in love with this one :)

#कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से
बेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर

मासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है

sachmuch yahi ho raha hai...har sher umda..vartmaan jeewan ke ek ek baat ko khoobsurti se bayan kiya hai aapne..mere blog par bhee kabhi samay ho to aayiyega..sadar badhayee ke sath

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छा लगा पढकर।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सभी में सच का तीखापन बसा हुआ है !

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति....

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

lajavab......prastuti......

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Wah -Wah
kya likhun iske aage------behtreen gazal
sadar aabhaar
poonam

संजय भास्‍कर ने कहा…

न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
बहुत बढ़िया गजल प्रस्तुति... आभार

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ सतीश जी बुक के विमोचन पर आपसे मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई !!!

prritiy----sneh ने कहा…

gajab likha hai

shubhkamnayen