बुधवार, 28 मार्च 2012

नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !



चेहरे इतने पीले क्यूं हैं ?
नयन कोर गीले क्यूं हैं ?
.

माना अपनी मौत मरे हैं
इनके शरीर नीले क्यूं हैं ?
.

तुम जहां जश्न मना रहे
आसमान में चीलें क्यूं हैं ?
.

जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
.

शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
.

गमगीनी के इस मंजर में
आप इतने रंगीले क्यूं हैं ?


संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

44 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

संस्कारित-सभ्यों के बीच

आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
बहुत खूब क्या बात है सोलह आने सही, मुबारक हो

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

तीखे अनुत्तरित प्रश्न करती प्रभावी ग़ज़ल...
सादर.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

तुम जहां जश्न मना रहे

आसमान में चीलें क्यूं हैं ?

.

जो राह मुहैया की तुमने

वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?

Lazabaab sir ji, bahut sundar !

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह!!!!!

बेहतरीन............
चंद शब्दों में इतने गहरे जज़्बात और वो भी इतनी खूबसूरती के साथ....

पढ़ते ही गहरे उतर गयीं...
सादर
अनु

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत कुछ कहा संजीदगी से ...

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

शब्द बड़े मीठे लगते पर मन इतने ज़हरीले क्यों हैं !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जो राह मुहैया की तुमने

वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?

.

शांति सन्देशा लेकर आये

नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?

गहन बात कहती सुंदर गजल ...

Asha Joglekar ने कहा…

तुम जहां जश्न मना रहे

आसमान में चीलें क्यूं हैं ?

संस्कारित-सभ्यों के बीच

आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

आज के प्रश्न और उत्तर दोनो ही बताती है आपकी ये भढिया गज़ल । बेहतरीन ।

Anupama Tripathi ने कहा…

शांति सन्देशा लेकर आये

नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
paradox bayan karti sunder rachna ...!!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

वाह ! बहुत सुन्दर सवाल उठाये हैं .
बेहतरीन ग़ज़ल .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ...

बहुत खूब वर्मा जी ... छोटी बहर में तीखे बाण चलाये हैं आपने ... हर शेर कटाक्ष करता हुवा ... लाजवाब ...

virendra sharma ने कहा…

संस्कारित-सभ्यों के बीच

आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
छोटी बह्र की बड़ी ग़ज़ल .,नौचती हुए मुखोटे

अब सावन भी सूखे क्यों हैं .

kshama ने कहा…

संस्कारित-सभ्यों के बीच

आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
Wah!

सुनीता शानू ने कहा…

वाह! किसी एक शेर का जिक्र किया नही जायेगा। सम्पूर्ण गज़ल प्रभावशाली है।

M VERMA ने कहा…

expression has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":

वाह!!!!!

बेहतरीन............
चंद शब्दों में इतने गहरे जज़्बात और वो भी इतनी खूबसूरती के साथ....

पढ़ते ही गहरे उतर गयीं...
सादर
अनु

M VERMA ने कहा…

Anupama Tripathi has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":

शांति सन्देशा लेकर आये

नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
paradox bayan karti sunder rachna ...!!

M VERMA ने कहा…

डॉ टी एस दराल has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":

वाह ! बहुत सुन्दर सवाल उठाये हैं .
बेहतरीन ग़ज़ल .

M VERMA ने कहा…

दिगम्बर नासवा has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":

शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ...

बहुत खूब वर्मा जी ... छोटी बहर में तीखे बाण चलाये हैं आपने ... हर शेर कटाक्ष करता हुवा ... लाजवाब ...

M VERMA ने कहा…

सुनीता शानू has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":

वाह! किसी एक शेर का जिक्र किया नही जायेगा। सम्पूर्ण गज़ल प्रभावशाली है।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर मन कबीलाई है,
नियति जंगल में उतर आयी है।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…
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देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

नहीं कोई यहाँ युधिष्ठिर
यक्ष प्रश्न इत्ते क्यूँ हैं?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जो राह मुहैया की तुमने

वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?

.

शांति सन्देशा लेकर आये

नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?


छोटी बहर में गजल कही है
लफ्ज इतने दर्दीले क्यूँ हैं ?

बहुत खूबसूरत गजल

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-०३ -2012 को यहाँ भी है

.... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ab in aadamkhor kabeelo ka raajy hoga to yahi sab hoga na.

Madhuresh ने कहा…

अंतर की भावों को प्रश्नों के पटल पर उतारती सुन्दर रचना.
पहली बार आना हुआ.. अच्छा लगा!
सादर

स्वाति ने कहा…

लाजवाब करते प्रश्न और उत्तर कि तलाश मे जिंदगी...बहुत हीं बढ़िया...

Saras ने कहा…

Double-faced लोगों पर एक गहरा प्रहार करती रचना .....बहुत प्रभावपूर्ण !!!!!

Rajesh Kumari ने कहा…

chhoti bahar ki ghazal anuttarit vyangbaano ki bauchhar...bahut bahut umda.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत खूब सर!



सादर

सदा ने कहा…

संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

वाह ...बहुत ही बढि़या।

Coral ने कहा…

सुन्दर !

Sadhana Vaid ने कहा…

शांति सन्देशा लेकर आये

नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?

Bahut khoobsoorat alfaz hain ! bahut hi sundar ! vaah !

Ramakant Singh ने कहा…

जो राह मुहैया की तुमने

वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
tikhe lekin LAJAWAB.

Kailash Sharma ने कहा…

संस्कारित-सभ्यों के बीच

आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

तीखे प्रश्न उठाती लाज़वाब प्रस्तुति..आभार

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

लाजवाब रचना

मनोज कुमार ने कहा…

ग़ज़ल के कई शे’र बदलते वक़्त की तस्वीर पेश करते हैं।

M VERMA ने कहा…
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M VERMA ने कहा…
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प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

Amrita Tanmay ने कहा…

क्यूं हैं..अनुत्तरित क्यूं हैं ?प्रभावशाली ..

dinesh aggarwal ने कहा…

उद्देलित कर देती हुई गजल.....
निश्चित ही सराहनीय

दीपिका रानी ने कहा…

छोटी बहर की बहुत सुंदर ग़ज़ल पढ़ने को मिली.. शुक्रिया

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

chote meter me likhi gayee ek aaur behtarin ghazal...pahli rachna padhi..phir doosri..wakai shandaar likhte hai aap...punah dher sari badhayiyo ke sath