शुक्रवार, 11 जून 2010

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं ~~



समुंदर में वे पूरा शहर रखते हैं
हालात पर फिर नज़र रखते हैं
.

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे
दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं
.

कर रहे हैं होशों-हवास का दावा

कदम इधर, कभी उधर रखते हैं
.

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं

कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं
.

बड़े फख्र से फिर वही दुहराते हैं

दाव में बीबी-बच्चे, घर रखते हैं
.


वे ही मिले ख़बरों की सुर्खियों में

जो सारे ज़हान की ख़बर रखते हैं
.

सोते रहोगे कब तक, देखो तो
बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं

54 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं
कमाल का ख्याल है.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं

Bahut sundar, Vistar ke neeche dhan kee potlee jo hotee hai

डॉ टी एस दराल ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे
दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं

हाय , मार डाला ।

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं
कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं

कागज़ी शेर ऐसे ही होते हैं ।
अच्छी लगी ये ग़ज़ल ।
एक छोटा सा प्रयास मैंने भी किया है ।

समय चक्र ने कहा…

समुंदर में वे पूरा शहर रखते हैं

हालात पर फिर नज़र रखते हैं

.क्या बात है सर ... बढ़िया रचना...आभार

अंजना ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं
कमाल का ख्याल है.

वाह ...बढ़िया रचना...आभार ।


मेरा शनि अमावस्या पर लेख जरुर पढे।आप की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ....आभार
http://ruma-power.blogspot.com/

दिलीप ने कहा…

waah sirji bahut khoob..lajawaab sher hai saare ke saare...

Razia ने कहा…

शानदार गज़ल
बहुत सुन्दर सारे शेर लाजवाब

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut badiya rachna hai
vermaji, kahne ko, koi shabd nahin

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

vandana gupta ने कहा…

वर्तमान हालात का गज़ब का चित्रण किया है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

गज़ब की लाजवाब रचना
आज के हालात का सुन्दर चित्रण.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पुरी ग़ज़ल ही एक एक हालत को बता रही है....बहुत अच्छी प्रस्तुति...

Aman Peace ने कहा…

बहुत सुन्दर

rashmi ravija ने कहा…

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं
कहते हैं कि शेर का जिगर रखते
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल है...हर शेर जानदार

संजय भास्‍कर ने कहा…

.क्या बात है सर ... बढ़िया रचना...आभार

शारदा अरोरा ने कहा…

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं
कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं
bahut pasand aaya

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो
बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं
...नया अंदाज है कहने का..बहुत खूब.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बिल्कुल ठीक विवरण है.. अजगर छोड़ दिया है कुंडली में लपेट रहा है...

Arvind Mishra ने कहा…

हम तो अजगर देखने आये थे निराश होकर जा रहे हैं !

कडुवासच ने कहा…

बेहद प्रसंशनीय गजल, बधाई !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत अच्छा ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

halaato ko shabdo ki gahri chot dekar thoka hai...dekhna hai ki ab tasveer kaisi ho.

acchhi rachna.aabhar.

Shah Nawaz ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे
दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं

Bahut Zabardast!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आदमी की भीड़ में, खोया हुआ है आदमी।
आदमी की नीड़ में, सोया हुआ है आदमी।।

आदमी घायल हुआ है, आदमी की मार से।
आदमी का अब जनाजा, जा रहा संसार से।।

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

इस गज़ल की ज़मीन ज़ुबां पर चढ़ने वाली है...

गज़ब के अश्आर कह गये हैं...

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

वाहवाह जी वाह....इतनी बेहतरीन ग़ज़ल इतने देर से पढ़ पाया...सुंदर भाव..

kshama ने कहा…

Oh! Kya gazab rachna hai...! ispe kya tippanee dee jaye? Khamosh rahun,yahi behtar hai..

kshama ने कहा…

Behad sashakt rachna hai! Kaash aisa fan hame bhi haasil hota!

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बढिया है।

वाणी गीत ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे ...दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं

आजकल लोग जहर से नहीं दवा से ही तो मरते हैं

कोई कब तक चैन से सो पाए ...बिस्तरों पर वो अजगर रखते हैं ...

वाह .....

दीपक 'मशाल' ने कहा…

जबरदस्त ग़ज़ल...

Udan Tashtari ने कहा…

वाह वाह!


सोते रहोगे कब तक, देखो तो
बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं

-छा गये सर जी आप तो!! आनन्द आ गया/

Jyoti ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो
बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं
बढ़िया रचना...........

रश्मि प्रभा... ने कहा…

baap re....khyaal bach gaye

सुज्ञ ने कहा…

रचना क्यों न बने कालजयी वर्माजी,
देकर दाद काव्य की कदर रखते हैं।

M VERMA ने कहा…

निर्मला कपिला has left a new comment on your post "तुम श्वासों की गति पर ध्यान न देना ~~":

कर रहे हैं होशों-हवास का दावा

कदम इधर, कभी उधर रखते हैं

.

हर बात में सूखे पत्ते सा कांपते हैं

कहते हैं कि शेर का जिगर रखते हैं
पूरी रचना लाजवाब है । शुभकामनायें

आशुतोष कुमार सिंह ने कहा…

बहुत खूब

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

बहुत सही कहा आपने...

रंजना ने कहा…

वाह वाह वाह....लाजवाब...कमाल !!!

कोई एक शेर चुन न सकी...सभी के सभी लाजवाब हैं...
बहुत ही सुन्दर रचना... वाह !!!

Aman Peace ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

अनुपम है आपकी लेखनी तरह तरह के ख़याल रखते है……………। बहुत अच्छी लगी यह रचना।

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

Laajawab, behtreen gazal.

Urmi ने कहा…

दिल को छू गयी! बहुत ही सुन्दर और लाजवाब!

अजय कुमार ने कहा…

सोते रहोगे कब तक, देखो तो ।

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं ॥

सजग कर दिया ।

Dr.Ajmal Khan ने कहा…

wah wah......

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे
दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं

कमाल के शेर हैं सब ... हर शेर नया ही लगता है ... कहानी कहता हुवा ...

अभिषेक आर्जव ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं . कर रहे हैं होशों-हवास का दावा कदम इधर, कभी उधर रखते हैं .
बहुत ही सुन्दर लगी ये पन्क्तियां !

sandhyagupta ने कहा…

वे ही मिले ख़बरों की सुर्खियों में

जो सारे ज़हान की ख़बर रखते हैं

Bahut khub likha hai.badhai.

sumit ने कहा…

bade kareene se samaj pe chot karte hai
bahut accha likhte hai aap
kalam ko talwar sa chalate hai aap

kumar zahid ने कहा…

वे ही मिले ख़बरों की सुर्खियों में

जो सारे ज़हान की ख़बर रखते हैं





सोते रहोगे कब तक, देखो तो

बिस्तरों पर वे अजगर रखते हैं


bahut belag bat ..
umda peshkas...

ज्योति सिंह ने कहा…

मरीज़ की हालत सुधरे भी कैसे

दवा की जगह वे ज़हर रखते हैं
badi sundarata se sach aur gahri baat kah gaye aap ,ati sundar .

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत अच्छी ग़ज़ल जीवन के यथार्थ को दर्शाती.हर एक बात लाज़वाब

शरद कोकास ने कहा…

बढिया गज़ल है ।

Asha Lata Saxena ने कहा…

एक नवीन भाव लिए कविता |बधाई
आशा