Wednesday, October 21, 2009
रिश्ते जब रिसने लगेंगे ~~
~~
तुम अपने आँसुओं को
बेवजह ज़ाया मत करना
ये आँसू तब काम आयेंगे
जब तुम्हारे करीने से सजाये
रिश्ते रिसने लगेंगे;
विश्वास जब घिसने लगेंगे;
तुम्हारे एहसासों को
जब ठाँव नहीं मिलेगा;
तुम्हें तुम्हारा अपना जब
सलोना गाँव नहीं मिलेगा;
जब बाबूजी का 'चमरौधा'
पड़ा होगा औंधा;
सावन में जब खेतों में धूल उड़ेंगे
और सूखेगा पौधा;
जब तुम्हारा ही बेटा
तुम्हें सलीका सिखायेगा;
टी वी पर किसी के
एनकाउण्टर की मसालेदार खबर
दिन भर छायी रहेगी,
और् सुबह का गया
तुम्हारा कोई अज़ीज
शाम तक घर नहीं आयेगा.
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मत करना ---
~~~
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39 comments:
बड़े काम के होते है ये आंसू , सहेज कर रखना ही पड़ेगा
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
तुम्हे तुम्हारा अपना सलोना
जब गाँव नहीं मिलेगा
ये आंसू तब काम आँयेंगे.......बहुत सुन्दर !!
kabhi kabhi in aasuo ko sahej kar rakhna hi padhta hain.... bahut badiya sachmuch adbhut......
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
बहुत सुन्दर भावपूर्ण बधाई ...
naman hai is soch ki kalam ko
आपकी रचनाये जमीन से जोड्ती है .........जो मुझे बहुत ही भाता है ......बेहतरीन रचना!बधाई!
बेहतरीन लिखा है आपने
आभार
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
तब तक तो संभालने ही पड़ते हैं ये आंसू....बहुत ही मार्मिक रचना..दिल को छू लेने वाली
bhavpurn rachana bahut sunder
"एनकाउण्टर की मसालेदार खबर
दिन भर छायी रहेगी,
और् सुबह का गया
तुम्हारा कोई अज़ीज
शाम तक घर नहीं आयेगा.
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना ---"
इस मार्मिक कविता के लिए आभार!
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
तुम्हे तुम्हारा अपना सलोना
जब गाँव नहीं मिलेगा
ये आंसू तब काम आँयेंगे
और घाव रिसने लगएंगे विश्वास घिसने लगेंगे
बहुत बदिया दिल को छूने वाली रचना है शुभकामनायें
ये आँसू तब काम आयेंगे
जब तुम्हारे करीने से सजाये
रिश्ते रिसने लगेंगे;
haan ! yeh aansoo tabhi kaam ayenge aur aate bhi hain............ bahut achcha laga..... kai lines to aansoo le aatin hain...... ekdum feel hone lage hain kai saare shabd to........
जब बाबूजी का 'चमरौधा'
पड़ा होगा औंधा;
bahut dil ko chho lene wali line hai yeh .........
bahut sunder aur bhaavnapoorn kavita....
ये आँसू तब काम आयेंगे
जब तुम्हारे करीने से सजाये
रिश्ते रिसने लगेंगे;
विश्वास जब घिसने लगेंगे;
बहुत अच्छॆ भाव लिये है आप की यह कविता.
धन्यवाद
बहुत सुंदर..कई सारे बात सुंदर ढंग से पिरो कर प्रस्तुत किया आपने..ग़ज़ल बहुत अच्छे लगे..धन्यवाद
सुंदर ढंग से लिखी गयी रचना .. अच्छे भाव !!
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना ---
bahut sundar rachna ,shubh dipawali .
बहुत बेहतरीन रही आपकी यह रचना.
तब तुम्हारे आंसू काम आएंगे ...
मार्मिक अभिव्यक्ति ...!!
bahut umda verma ji, ye aansoo jab............ hriday sparshi abhivyakti.
इन आंसुओं को जाया मत होने दीजिए...मोतियों से ज़्यादा कीमत है इनकी...
जय हिंद...
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
बहुत ही भावपूर्ण रचना ।
aansu dil ki zuban hote hai jo hum nahi kah sakte wo kah dete hai.....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण लगी आपकी यह रचना .शुक्रिया
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना ---
सुंदर पंक्तियां
और् सुबह का गया
तुम्हारा कोई अज़ीज
शाम तक घर नहीं आयेगा.
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना ---
bahut hi marmik varnan........har pankti dil ko andar tak choo gayi.........rongte khade ho gaye.
जिंदगी के अनेक तीखे मोडों से गुजरती , भावपूर्ण रचना. सुन्दर
रिश्तों का रिसना...कितना मार्मिक एक्प्रेशन है...बहुत ही खूबसूरत और दिल को छू लेने वाले जज्बात.
आंसू ज़ाया मत करना!!!!!!!!!!!!
ये आंसू मेरे दिल की ज़ुबान है:(
पर ऐसी चाहत ही क्यों कि उसे रोना पड़े .....!!
बहुत ही सुंदर और गहरे भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना प्रशंग्सनीय है!
वाह वाह अच्छी कविता के लिये साधुवाद स्वीकारें
टी वी पर किसी के
एनकाउण्टर की मसालेदार खबर
दिन भर छायी रहेगी,
और् सुबह का गया
तुम्हारा कोई अज़ीज
शाम तक घर नहीं आयेगा.
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना ---
sundar...
और् सुबह का गया
तुम्हारा कोई अज़ीज
शाम तक घर नहीं आयेगा.
तब ये तुम्हारे आँसू
तुम्हारे बहुत काम आयेंगे
इन्हें बेवजह जाया मर करना
दिल में ऊँडस गयी आपकी कविता !!!
Dard ke ehsaas me doobee rachna...kambakht aansoo waqt bewaqt nikal aate hain..aankhen rotee hain, hont muskate hain..
Janam din kee badhayee ke liye shukgr guzaar hun!
http://shamasnasmaran.blogspot.com
htp://shama-kahanee.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
htp://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Kitna daravna khayal hai...kisee ko apna salona gaanv kaa naa milna...
Gazab kee abhiwayaktee hai...darasal, alfaaz kho gaye hain, yahee saty hai...isse aage kay kahun?
दर्द और आग दोनो बचा कर रखने और वक्त पर इस्तेमाल करने वाला ही बुध्दिमान होता है।
--अच्छी लगी कविता।
रचना के भाव छू गए मन को.बेहद मार्मिक रचना है
तुम्हारे अहसासों को
जब ठांव नहीं मिलेगा
तुम्हे तुम्हारा अपना सलोना
जब गाँव नहीं मिलेगा
सुन्दर, अति सुन्दर..............
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
aati sundar
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