शनिवार, 19 सितंबर 2009

नामुमकिन है बरी हो पाना ~~


***
पीठ पीछे भी तुम एक आँख रखो
जेहन में अपने एक सलाख रखो

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

सूरज से गुफ्तगू करने निकले हो
सिर पर तुम दरख्त की शाख रखो

नामुमकिन है तुम्हारा बरी हो पाना
संग अपने सबूत बेशक लाख रखो

चल रहे तीर दिल को छू न सकें
जिस्म के आर-पार एक सुराख रखो
~~~~~

34 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है-हर शेर दाद के काबिल.

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया लिखा आपने !!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah verma ji, jism ke aar paar ek soorakh rakho. bahut khoob sabhi sher umda. badhai.

Unknown ने कहा…

varmaaji..........mubaaraq ho.....

aflaatoon gazal..........

raakh ka jawaab nahin

badhaai dil se.......

निर्मला कपिला ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो
लाजवाब हर शेर काबिले तारीफ है बधाई

Razia ने कहा…

चल रहे तीर दिल को छू न सकें
जिस्म के आर-पार एक सुराख रखो
जिस्म मे सुराख -- वाह क्या कहने
बहुत खूबसूरत == हर शेर बेहतरीन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह लाजवाब !!


सुराख करवा ही लेता हूँ अब तो
दुकान बता दैंगे प्लीज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

बहुत बढ़िया शेर हैं।
जिन्दाबाद!

Prem Farukhabadi ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

लाजवाब शेर काबिले तारीफ है बधाई

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

हर शेर लाजवाब ....!!

Urmi ने कहा…

काफी दिनों बाद आपका लिखा हुआ ख़ूबसूरत रचना पढने को मिला! बहुत बढ़िया और शानदार रचना लिखा है आपने! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

Nitish Raj ने कहा…

अच्छी रचना, उम्दा शब्द। बढि़या, उम्दा प्रस्तुति।

वाणी गीत ने कहा…

चल रहे तीर दिल को छू न सके जिस्म के आर पार एक सुराख़ रखो ..नामुमकिन है ऐसे शेर पढ़कर भी दाद ना देना..!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

namumkin hai baree hona,saboot lakh rakho......sahi kaha

अपूर्व ने कहा…

चल रहे तीर दिल को छू न सकें
जिस्म के आर-पार एक सुराख रखो

एक एक शेर जैसे नगीने सा जड़ा गया हो ग़ज़ल मे..बेहतरीन

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

उम्दा ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

नामुमकिन है तुम्हारा बरी हो पाना
संग अपने सबूत बेशक लाख रखो

एक एक शेर कमाल का .... लाजवाब, विद्रोह का स्वर उठाते, आक्रोश से भरे ........... लाजवाब वर्मा जी ....... कमाल की ग़ज़ल है .......... इतने दिनों बाद आपके ब्लॉग से .........

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वाकई यह शेर बहुत खूबसूरत है--
सबूत मांगेगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

Ria Sharma ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

सूरज से गुफ्तगू करने निकले हो
सिर पर तुम दरख्त की शाख रखो

Bahut hee lajvaab sher !!!

Arthpoorn !!

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

नामुमकिन है तुम्हारा बरी हो पाना
संग अपने सबूत बेशक लाख रखो...bahut achhi rachna hai....tun kahi bhi rahe sar pe tere ilzam to hai....

Kulwant Happy ने कहा…

ऐसी कैद तो हमको मंजूर है। जनाब..बहुत खूब लिखा है।

Pritishi ने कहा…

"Chal rahe teer dil ko chhoo na sake" ...
Bahut achchi Gazal

RC

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सबूत माँगेंगे लोग आग लगने का
अपनी मुठ्ठियों में तुम राख रखो

बहुत ही बढिया, वर्मा साहब

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

आदरणीय वर्मा साहब,

हर एक शे’र उस्तादाना है।

क्या कहा है :-

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

आपकी कृपा रही तो मैं भी सीख लूंगा कुछ कहना।

दर्पण साह ने कहा…

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो


sabse acchi line !!!
behterin !!
behterin !!

sandhya ने कहा…

चल रहे तीर दिल को छू न सकें
जिस्म के आर-पार एक सुराख रखो

bahut hi sundar rachana

Sudhir (सुधीर) ने कहा…

वर्मा जी, बहुत अच्छी लगी आपकी रचना विशेष रूप से यह शेर

सबूत मांगेंगे लोग आग लगने का
अपने मुट्ठियों में तुम राख रखो

Admin ने कहा…

सीधे दिल में उतरने वाली रचना

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

चल रहे तीर दिल को छू न सकें
जिस्म के आर-पार एक सुराख रखो

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सुन्दर! सम्भव है, मित्र?

mukti ने कहा…

its a beautiful gazal. a masterpiece!

सदा ने कहा…

सभी शेर एक से बढ़कर एक किसी एक की तारीफ करना दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी, बधाई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

wah! ek ek shabd bol raha hai..............

zinda shabdon ka jadoo kiya hai aapne..... is mein .....

shama ने कहा…

"Ba-izzat baree honewalon
Jao zindgee ka
jashn manao..."

Nahee hote baree ham,to apne zameer se...kitna sach kaha...

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Naveen Tyagi ने कहा…

bahut sundar gajal hai.